April 24, 2025

राष्ट्र की परम्परा

हिन्दी दैनिक-मुद्द्दे जनहित के

बिजौली तिवारी में श्रीमद्भगवत कथा

अपने फ़कीरी में नवाबी मिजाज रखिये- रामशंकर शास्त्री

मृत्यु मानवता का एक अभिन्न हिस्सा है। इसे स्वीकार करना और इसके बारे में जानना महत्वपूर्ण है

बरहज/देवरिया (राष्ट्र की परम्परा)। मृत्यु मानवता का एक अभिन्न हिस्सा है। इसे स्वीकार करना और इसके बारे में जानना महत्वपूर्ण है।मृत्यु एक शाश्वत सत्य है। इसे न रोका जा सकता है,न झुठलाया जा सकता है न ही ठुकराया जा सकता है न ही टाला जा सकता है।
जन्म हुआ है तो मृत्यु होगी। मगर कब होगी,कहां होगी, किस वक्त हो होगी इसका कोई ठिकाना नहीं है। पहले की अपेक्षा अब कुछ ज्यादा ही मृत्यु , उत्पाती, उदण्ड, बेवजह, बेवक्त हो चली है। अब यह उम्र की समय-सीमा के बंधन से मुक्त हो गई है। यह बातें बिजौली तिवारी में चल रहे श्रीमद्भगवत कथा में अयोध्या धाम से पधारे कथा व्यास राम शंकर शास्त्री ने कही। उन्होंने कहाकि मृत्यु कारक रोग कम से कम 55-60 की उम्र के बाद ही दस्तक देते थें। मगर अब यह किसी भी उम्र के लोगों को चपेटे में ले ले रहे हैं। इसलिए अक्सर मेरा सबसे निवेदन रहता है दिल-दिमाग पर अतिरिक्त भार न डालिये। जो तय है वह होकर रहेगा। किसी विषय पर चिंता नहीं चिंतन करिये। लोगों से वैमनस्यता ईर्ष्या छोड़ दीजिए। अत्यधिक लाभ के लिए लोभ से मुक्त हो जाइये। अपने फ़कीरी में नवाबी मिजाज रखिये। खुश रहिये खुशमिजाज लोगों से वार्ता करिये। भूतकाल में मत जाईये क्योंकि आपका भूतकाल अच्छा रहा होगा तब भी दर्द देगा बुरा रहा होगा तब भी दर्द देगा। वर्तमान में जीने की कोशिश करिए । भविष्य की बेहतरी का प्रयास हो मगर उसके लिये वर्तमान मत खराब करिये। जो आज उम्र औऱ ख्वाहिशें है वह कल नहीं होंगी। और आपका वर्तमान रोज-रोज भूतकाल में तब्दील होता जाएगा। जो आज है कल नही होगा…जो कल आएगा सम्भवतः हम न रहें। इसलिए खुश रहने की कोशिश करिये खुशियां खोजिये। लोग क्या कहेंगे जैसी जिंदगी नरक औऱ लोगों का गुलाम बनाने वाली सोच से खुद को मुक्त रखिये। आप बेहतर करेंगे तब भी,आप बुरा करेंगे तब भी कुछ तो लोग कहेंगे। सबसे अहम बात, सेहत के प्रति संजीदा, सतर्क रहिये। इस दौरान राजेश्वर सिंह, सत्यप्रकाश सिंह, अमरेंद्र सिंह।