पुतिन का भारत दौरा: बदलते विश्व परिदृश्य में साझेदारी का नया अध्याय

नवनीत मिश्र

भारत और रूस के संबंध दशकों से भरोसे, रणनीतिक सहयोग और परस्पर सम्मान पर आधारित रहे हैं। वैश्विक राजनीति के बदलते स्वरूप जहाँ शक्ति-संतुलन नए सिरे से गढ़ा जा रहा है, के बीच रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का हालिया भारत दौरा केवल औपचारिक कूटनीतिक घटना नहीं, बल्कि भविष्य की बहुध्रुवीय दुनिया की दिशा तय करने वाला एक महत्वपूर्ण पड़ाव साबित हुआ।
पिछले कुछ वर्षों में पश्चिमी देशों के साथ रूस के तनावपूर्ण संबंधों, यूक्रेन संकट और प्रतिबंधों की श्रृंखला ने विश्व राजनीति में गंभीर बदलाव पैदा किए हैं। ऐसे दौर में भारत ने अपनी विदेश नीति के मूल मंत्र रणनीतिक स्वायत्तता, को कायम रखा है। पुतिन की यात्रा इसी सिद्धांत की मजबूत अभिव्यक्ति थी, जिसमें भारत ने दिखाया कि वह किसी भी शक्ति-गुट का अनुयायी नहीं, बल्कि वैश्विक संतुलन का स्वतंत्र स्तंभ है।
इस दौरे में ऊर्जा, रक्षा, अंतरिक्ष और व्यापार जैसे प्रमुख क्षेत्रों में सहयोग को नई गति मिली। विशेषकर ऊर्जा सुरक्षा पर हुई चर्चाएँ भारत के लिए महत्वपूर्ण हैं। रूस विश्व के प्रमुख ऊर्जा-उत्पादक देशों में से है और भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था को स्थिर, सस्ती और दीर्घकालिक ऊर्जा आपूर्ति की आवश्यकता है। यह साझेदारी केवल आर्थिक नहीं, भू-राजनीतिक रूप से भी अहम है, क्योंकि यह भारत को वैश्विक ऊर्जा बाजार में मजबूती प्रदान करती है।
रक्षा क्षेत्र में सहयोग भारत-रूस संबंधों की पहचान रहा है। सुखोई, ब्रह्मोस और एस-400, एस-500 जैसे परियोजनाएँ इस भरोसे का प्रमाण हैं। पुतिन के दौरे ने यह संदेश दिया कि भविष्य में भी रक्षा प्रौद्योगिकी के संयुक्त विकास और उत्पादन पर दोनों देश समान रूप से प्रतिबद्ध हैं। यह सहयोग भारत की आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को भी बल देता है।
जहाँ एक ओर भारत पश्चिमी देशों के साथ गहन साझेदारी बनाए हुए है, वहीं रूस के साथ संबंधों का संतुलन बनाए रखना उसकी सामरिक मजबूरी नहीं, बल्कि रणनीतिक बुद्धिमत्ता का संकेत है। यह संतुलन भारत को किसी भी वैश्विक परिवर्तन के बीच अपनी राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को सुरक्षित रखने में सक्षम बनाता है।
पुतिन का यह दौरा यह भी याद दिलाता है कि भारत कूटनीतिक संवाद और संतुलित नीति के माध्यम से आज अंतरराष्ट्रीय मंच पर मध्यस्थ, साझेदार और निर्णायक शक्ति की भूमिका में है। बहुध्रुवीय विश्व के निर्माण में भारत और रूस दोनों की भूमिका अनिवार्य है, और इस यात्रा ने इस दिशा में नई ऊर्जा का संचार किया है।

rkpNavneet Mishra

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