राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के लोक कलाकारों से की मुलाकात

पारंपरिक कला को मिला राष्ट्रीय मंच, राष्ट्रपति भवन में 10 दिवसीय आवासीय कार्यक्रम संपन्न

नई दिल्ली (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को राष्ट्रपति भवन में झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल से आए 29 लोक कलाकारों से भेंट की। ये सभी कलाकार राष्ट्रपति भवन में आयोजित 10 दिवसीय आवासीय सांस्कृतिक कार्यक्रम का हिस्सा थे, जो 14 जुलाई से 24 जुलाई तक चला। राष्ट्रपति कार्यालय से जारी एक आधिकारिक बयान में बताया गया कि इन कलाकारों ने सोहराय, पट्टचित्र और पटुआ जैसी पारंपरिक लोककलाओं का प्रतिनिधित्व किया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य इन विलुप्त होती लोककलाओं को संरक्षण देना, उन्हें प्रोत्साहित करना और देशभर में उनकी पहचान बढ़ाना रहा। राष्ट्रपति मुर्मू ने इन कलाकारों के साथ आत्मीय संवाद करते हुए उनके कार्यों की सराहना की। उन्होंने कहा कि, “भारत की सांस्कृतिक विविधता हमारी सबसे बड़ी ताकत है और हमारी लोककलाएं उस विरासत का सजीव प्रमाण हैं। इन कलाकारों के योगदान से न केवल संस्कृति सजीव रहती है, बल्कि देश के कोने-कोने में एक सांस्कृतिक संवाद भी स्थापित होता है।” राष्ट्रपति भवन में इन कलाकारों ने न केवल अपने चित्रों और कलाकृतियों का प्रदर्शन किया, बल्कि वहां निवास के दौरान अन्य आगंतुकों और अधिकारियों को भी इन कलाओं के तकनीकी और भावनात्मक पहलुओं से परिचित कराया। राष्ट्रपति भवन के संग्रहालय परिसर में इनकी कलाकृतियों की प्रदर्शनी भी आयोजित की गई थी। यह आयोजन ‘संस्कार भारती’, संस्कृति मंत्रालय और राष्ट्रपति भवन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया था। इसमें ग्रामीण पृष्ठभूमि से आए उन कलाकारों को आमंत्रित किया गया था, जो वर्षों से पारंपरिक लोककलाओं को अपने जीवन का हिस्सा बनाए हुए हैं। इस अवसर पर राष्ट्रपति मुर्मू ने सभी कलाकारों को सम्मान-पत्र भेंट किए और आश्वस्त किया कि भविष्य में भी ऐसे कार्यक्रमों के माध्यम से देश की सांस्कृतिक विरासत को जीवंत बनाए रखने का प्रयास जारी रहेगा।

प्रमुख कलाएं जिनका प्रदर्शन हुआ:

सोहराय चित्रकला (झारखंड): पारंपरिक रूप से दीवारों पर की जाने वाली यह आदिवासी कला कृषि, प्रकृति और जीवों को दर्शाती है।

पट्टचित्र (ओडिशा): कपड़े या ताड़पत्रों पर चित्रित देवी-देवताओं की कथात्मक चित्रशैली।

पटुआ कला (पश्चिम बंगाल): पटचित्र की एक प्रकार की कथा-कला, जिसमें चित्रों के साथ-साथ कलाकार खुद गीतों के माध्यम से कथा प्रस्तुत करते हैं।

इस मुलाकात से यह स्पष्ट है कि देश की सर्वोच्च संस्था राष्ट्रपति भवन, न केवल राजनीतिक और प्रशासनिक गतिविधियों का केंद्र है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपरा को संजोने का भी एक सशक्त मंच बन चुका है।

Karan Pandey

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