राजनीति गरमाई: तेजस्वी यादव के ‘चुनाव बहिष्कार’ बयान पर घमासान, नितिन नवीन बोले– हार मान चुके हैं तेजस्वी - राष्ट्र की परम्परा
August 18, 2025

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राजनीति गरमाई: तेजस्वी यादव के ‘चुनाव बहिष्कार’ बयान पर घमासान, नितिन नवीन बोले– हार मान चुके हैं तेजस्वी

पटना (राष्ट्र की परम्परा डेस्क) बिहार की सियासत उस वक्त गर्म हो गई जब नेता प्रतिपक्ष एवं राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता तेजस्वी यादव ने चुनाव बहिष्कार का संकेत देते हुए बयान दिया कि विपक्ष आपसी सहमति से आगामी विधानसभा चुनावों से दूरी बना सकता है। तेजस्वी का यह बयान वोटर वेरिफिकेशन प्रक्रिया को लेकर चुनाव आयोग पर लगातार हो रहे हमलों के क्रम में आया, लेकिन अब यह बयान राजनीतिक बवंडर का कारण बन गया है।

राजद नेता ने कहा कि यदि जरूरत पड़ी तो विपक्ष चुनाव बहिष्कार पर भी विचार करेगा। उन्होंने कहा, “जनता की भावना को देखते हुए हम सभी विपक्षी दलों के साथ मिलकर चुनावी बहिष्कार जैसे कदम पर भी विचार कर सकते हैं।” तेजस्वी ने यह भी कहा कि वोटर लिस्ट में भारी गड़बड़ियां हैं और यह चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल खड़ा करता है।

इस बयान पर बिहार सरकार में मंत्री और बीजेपी नेता नितिन नवीन ने तीखा पलटवार किया है। उन्होंने कहा,
“तेजस्वी यादव को यह आभास हो गया है कि इस बार जनता उन्हें पूरी तरह से नकारने जा रही है। चुनाव बहिष्कार का बयान दरअसल हार की पूर्वस्वीकृति है। यह बहाना बनाकर वे राजनीतिक जमीन बचाने की कोशिश कर रहे हैं।”

नितिन नवीन ने आगे कहा कि लोकतंत्र में चुनाव से भागना विपक्ष की जिम्मेदारी से भागने जैसा है। उन्होंने तेजस्वी से सवाल किया कि क्या वे बिहार की जनता को अपने मताधिकार से वंचित करने की योजना बना चुके हैं?

चुनाव आयोग पर सवाल, लेकिन समाधान क्या?

तेजस्वी यादव के इस बयान के बाद राजनीतिक विश्लेषक यह सवाल उठा रहे हैं कि यदि विपक्ष चुनाव से दूर होता है, तो क्या यह लोकतांत्रिक व्यवस्था को कमजोर नहीं करेगा? वहीं, यह भी सच है कि विपक्ष को चुनाव आयोग की प्रक्रिया पर सवाल उठाने का अधिकार है, लेकिन समाधान के लिए संवाद और दबाव की राजनीति जरूरी है।

विपक्ष की अगली रणनीति क्या?

तेजस्वी के इस बयान के बाद अब यह देखना होगा कि क्या इंडिया गठबंधन के अन्य दल भी इस प्रस्ताव को गंभीरता से लेते हैं या नहीं। फिलहाल इस मुद्दे पर विपक्ष में एकराय नहीं दिख रही है, लेकिन यह तय है कि इस बयान ने बिहार की राजनीति में नई बहस जरूर छेड़ दी है।