अपनी प्राचीनतम गौरव भूलने से निषादों की दशा हो रही ख़राब
बरहज/देवरिया(राष्ट्र की परम्परा)l प्रभु श्री राम के परम मित्र व श्रृंगवेरपुर के महाराजा निषादराज गुह्य की जयंती शनिवार को मत्स्यजीवी फिश फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड के तत्वाधान में धूमधाम से मनाई गयी। विजय कटरा स्थित कार्यालय पर आयोजित कार्यक्रम में लोगों ने महाराजा गुह्यराज का पूजन-अर्चन किया और समाज की उन्नति, तरक्की व स्वरोजगार की रूपरेखा तय की।
मत्स्यजीवी एफएफपीओ के चेयरमैन निषाद जितेन्द्र भारत ने कहा कि महाराज निषादराज गुह्य का जन्म त्रेतायुग में चैत शुक्ल पक्ष पंचमी को श्रृंगवेरपुर, प्रयागराज में हुआ था। प्रभु श्री राम के विषम परिस्थितियों में साथ देकर निषादराज ने मित्रवत धर्म निभाया था I वनगमन के दौरान श्रीराम ने अपनी पहली रात अपने मित्र निषादराज के यहां बिताई थी । निषादराज ने ही केवट हरिवंश से प्रभु श्रीराम को गंगा पार करावाया। अनिल निषाद व चिंतामणि साहनी ने कहा कि इस देश के मूल निवासी निषाद वंश के लोग हैं। देश की सभ्यता व संस्कृति निषाद संस्कृति रही है।भाजपा नगर अध्यक्ष विजय सिंह रिंकू ने कहा कि देश के स्वाधीनता संग्राम में निषादों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
सेवानिवृत शिक्षक मोहन निषाद ने कहा कि इतिहास की यत्नपूर्वक रक्षा करनी चाहिए धन तो आता है और चला जाता है, धन से हीन होने पर कुछ नष्ट नही होता किंतु इतिहास और अपना प्राचीनतम गौरव नष्ट होने पर उस समाज का विनाश निश्चित है। निषादो की वर्तमान दशा एवं स्थिती इसका परिणाम है।
इस अवसर पर सूरज प्रसाद निषाद, मुकेश पटेल, बृजा नन्द निषाद,नन्दलाल निषाद, गजानंद मौर्य दीनानाथ निशाद, ऋतुराज प्रजापति, राकेश निषाद आदि मौजूद रहेI
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