✍🏻राम शंकर सिंह
स्वर्गीय रूद्र नारायन सिंह गृहस्थ जीवन व्यतीत करते हुए भी एक संत थे। उनका जन्म सन् 1898 ई. में तत्कालीन बस्ती जनपद के खलीलाबाद तहसील के गांव देवरिया गंगा में हुआ था। अल्पायु में ही उनका विवाह 14 वर्ष की अवस्था में सन् 1912 ई. में जनपद देवरिया के बरडीहा नामक ग्राम में हुआ था। परन्तु 4 वर्ष बाद ही धर्म पत्नी सन् 1916 ई. में गोलोकवासी हो गयीं। स्व. सिंह को कोई संतान नहीं उत्पन्न हुआ था। वे विचलित होते हुए भी अपने मन को अपने अनुज मुकुन्द नारायन सिंह के बच्चों के साथ लगाकर जीवन-यापन शुरू किया। वे शिक्षा क्षेत्र में बस्ती मण्डल के ख्यातिलब्ध अध्यापक माने जाते थे। वे लालगंज (बस्ती) में हेडमास्टर के पद पर कार्यरत थे। उनके कार्यव्यवहार को देखते हुए सरकार ने एक अतिरिक्त भार वहाँ के "पोस्टमास्टर" का भी दे रक्खा था। उन्होंने पूरे ईमानदारी एवं कर्तव्यनिष्ठा से दोनों पदों का सकुशल निर्वहन करते रहे।
विद्यालयी शिक्षा देने के साथ ही साथ वे बच्चों को गृहस्थ जीवन का गुरुमंत्र भी बताते रहते थे। परोपकार एवं सेवा उनमें कूट -कूट कर भरा था। उनसे मिलने एवं गुरूतर शिक्षा ग्रहण करने हेतु लोग लालायित रहते थे। उनके मुख से हर स्वांस श्रीराम नाम निकलता रहता था। पूरा श्री रामचरित मानस कंठस्थ था। समाज सेवा के क्षेत्र में भी उनका कोई सानी नहीं था। उस समय अन्न का संकट रहते था। हर जरूरत मन्द को वे अपने सामर्थ्य एवं आवश्यकतानुसार अन्न दान भी किया करते थे। असहाय मजबूर एवं ईमानदार व्यक्ति की हर समय सहायता करने को तत्पर रहते थे। इसी बीच सन् 1954 ई. में उनके छोटे भाई मुकुन्द नारायन सिंह की मृत्यु हो गयी। वे उनके पुत्र बड़े भाई रामकिंकर सिंह एवं पक्तियों के लेखक (रामशंकर सिंह) की परवरिस एवं शिक्षा-दीक्षा तथा गृहस्थ आश्रम की सभी आवश्यकताओं को सप्रेम पूरा करते रहते थे, और अपने पुत्र की तरह पालन पोषण करते रहे। कभी यह अहसास नहीं होने दिया कि वह हमारे सगे पिता नहीं हैं।
उनकी अभिलाषा थी कि उनके परिवार से कोई न कोई शिक्षा के लौ को सदैव जलाये रक्खे। इसी बात को ध्यान में रखते हुए उनके अनुज मुकुन्द नारायन सिंह के जेष्ठ पुत्र रामकिंकर सिंह ने अध्यापन कार्य शुरू किया और वे भी अपने बड़े पिता श्री के पदचिन्हों पर चलते हुए एक प्रसिद्धि प्राप्त अध्यापक रहे तथा भाई रामकिंकर सिंह ने अपने बड़े पिता स्वर्गीय रूद्र नारायन सिंह के सपनों को साकार करने के उद्देश्य से अपने घर पर ही सन् 1975 ई.,में "कृषक वैस पूर्व माध्यमिक विद्यालय- देवरिया गंगा" नाम से एक विद्यालय की नींव डाली। जो आज भी गरीब बच्चों को उत्तम शिक्षा दे रहा है तथा भाई रामकिंकर सिंह के एकलौते पुत्र संतोष कुमार सिंह भी समाज सेवा में अपना पूरा जीवन खपा रहे हैं। वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी में प्रदेश उपाध्यक्ष पद पर निःस्वार्थ सेवा दे रहे हैं।
बड़े पिता स्वर्गीय रूद्र नारायन सिंह जी ने अपनी 83 वर्ष की आयु पूरा करते हुए सन् 1981ई में गोलोक वासी हो गए।
अपने बड़े पिता जी के सपनों को साकार करने के उद्देश्य से मैंने अपने बच्चों को शिक्षा क्षेत्र में समर्पित करने तथा समाज सेवा को भी ध्यान में रखते हुए अपने पुत्रों में से जेष्ठ पुत्र कृष्ण कुमार सिंह को डॉक्टर बनाया। जो आज बस्ती मण्डल में होम्योपैथ के ख्यातिलब्ध डॉक्टर के रूप में जाने जाते हैं। वहीँ द्वितीय पुत्र राम कुमार सिंह संत कबीर नगर जनपद के प्रसिद्ध विद्यालय हीरालाल रामनिवास इण्टर कालेज के कुशल प्रधानाचार्य के पद को सुशोभित करते हुए समाज सेवा में भी अपना योगदान दे रहे हैं। वर्तमान में भारत तिब्बत समन्वय संघ में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के रूप में देश सेवा एवं शिव सेवा में अपने को समर्पित करने के साथ अन्य कई राष्ट्रीय संस्थाओं से भी जुड़े हैं। तृतीय पुत्र ड. श्याम कुमार सिंह, पवित्रा डिग्री कालेज गोरखपुर में प्राचार्य के पद को सुशोभित कर शिक्षा क्षेत्र में सेवा दे रहे हैं।आज उस सन्त की याद में उनके पौत्र एवं मेरे मझले पुत्र राम कुमार सिंह ने सन् 2014 में संत कबीर नगर जिले के ग्राम महदेवा नानकार, पोस्ट बौरब्यास में वहाँ की जनता के माँग को ध्यान में रखते हुए एक अंग्रेजी माध्यम विद्यालय (रूद्र नारायन सिंह स्मृति शिक्षण संस्थान द्वारा संचालित ऑर एन एस मेमोरियल अकादमी के नाम से पूर्ण रूप से सुसज्जित विद्यालय का निर्माण कर एक पिछड़े इलाके के गरीब बच्चों को कम से कम शुल्क में बेहतर से बेहतर ढंग से शिक्षा देकर समाज को शिक्षित करने का वीणा उठाया है। जो आज के उपभोक्तावादी समाज में एक अद्वितीय मिसाल है।
संघ से जुड़ कर शिवमय होकर कैलाश मानसरोवर मुक्ति महा यज्ञ में समर्पित होकर अपने को धन्य करने का सौभाग्य प्राप्त करना शिव कृपा ही है। रामकुमार सिंह के पुत्र ई. सुधांशु कुमार सिंह भी भारतीय जनता पार्टी से जुड़ कर देश सेवा में लगे हैं।धन्य थे स्वर्गीय रूद्र नारायन सिंह जी जिनके पद चिन्हों पर चलकर आज पूरा परिवार शिक्षा एवं समाज सेवा से जुड़ा हुआ है। ईश्वर ऐसे महापुरुष के रूप में हर परिवार में जन्म ले ऐसी मेरी कामना है।।मैं अपने दादा जी स्वर्गीय रूद्र नारायण सिंह जी के चरणों में बारंबार प्रणाम करते हुए श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूं।
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