December 3, 2024

राष्ट्र की परम्परा

हिन्दी दैनिक-मुद्द्दे जनहित के

श्रीमद्भागवत कथा सुनने से मनुष्य होता है तृप्त: सूर्य नारायण

देवरिया(राष्ट्र की परम्परा)l श्रीमद्भागवत का पाठ करने से अनंत पुण्य फल मिलता है। श्रीमद्भागवत कथा सभी वेदों का सार है। इस कथा को सुनने से मनुष्य तृप्त होता है और जन्म जन्मांतर के पाप से मुक्त हो जाता है। पुरुषोत्तम महीने में भागवत कथा सुनने का महत्व है।
यें बातें घटैला चेती गांव में आयोजित सात दिवसीय संगीतमयी श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह ज्ञानयज्ञ में कथा वाचक आचार्य सूर्य नारायण शुक्ल ने गुरुवार रात छठवें दिन कहीं, उन्होंने रास पंचाध्यायी का वर्णन करते हुए कहा कि महारास में पांच अध्याय हैं। उनमें गाए जाने वाले पंच गीत भागवत के पंच प्राण हैं। जो भी ठाकुरजी के इन पांच गीतों को भाव से गाता है वह भव पार हो जाता है। उन्हें वृंदावन की भक्ति सहज प्राप्त हो जाती है। महारास में भगवान श्रीकृष्ण ने बांसुरी बजाकर गोपियों का आह्वान किया और महारास लीला से ही जीवात्मा का परमात्मा से मिलन हुआ। रास तो जीव का शिव के मिलन की कथा है। यह काम को बढ़ाने की नहीं काम पर विजय प्राप्त करने की कथा है। इस कथा में कामदेव ने भगवान पर पूर्व सामर्थ्य के साथ आक्रमण किया लेकिन वह भगवान को पराजित नहीं कर पाया उसे ही परास्त होना पडा। रासलीला में जीव का शंका करना या काम को देखना ही पाप है। जब-जब जीव में अभिमान आता है भगवान उनसे दूर हो जाते हैं। जब कोई भगवान को न पाकर विरह में होता है तो श्रीकृष्ण उस पर अनुग्रह करते है उसे दर्शन देते है। भगवान श्रीकृष्ण के विवाह प्रसंग को सुनाते हुए उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण का प्रथम विवाह विदर्भ देश के राजा की पुत्री रुक्मणि के साथ संपन्न हुआ। जीव परमात्मा का अंश है। इसलिए जीव के अंदर अपार शक्ति रहती है। यदि कोई कमी रहती है, तो वह मात्र संकल्प की होती है। संकल्प एवं कपट रहित होने से प्रभु उसे निश्चित रूप से पूरा करेंगे। इस दौरान उन्होंने रास पंचाध्यायी, मथुरा गमन और श्रीकृष्ण-रुक्मिणी विवाह के प्रसंग का सुंदर वर्णन किया।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि विधायक रामपुर कारखाना सुरेन्द्र चौरसिया, मुख्य यजमान सूर्य नारायण द्विवेदी, मालती द्विवेदी, संतोष द्विवेदी, शशिभूषण चौबे, रत्नेश द्विवेदी ने श्रीमद्भागवत महापुराण की आरती उतारी। कथा में मुख्य यजमान सूर्य नारायण द्विवेदी, मालती द्विवेदी, संतोष द्विवेदी, रत्नेश द्विवेदी, रामकुमार दूबे, विजय प्रताप तिवारी, संतोष उपाध्याय, संकल्प उपाध्याय, अभय तिवारी, प्रांजल दूबे, शुभम तिवारी, आशुतोष राणा, संगीता, आशुतोष द्विवेदी, हर्ष द्विवेदी, अनुराग तिवारी, रुदल गोंड, प्रतीक दूबे, शशिप्रभा द्विवेदी, दिव्या द्विवेदी, वंदना दूबे, अर्चना तिवारी, अनुपमा उपाध्याय, आर्या द्विवेदी, सांभवी उपाध्याय, दुर्गा मिश्रा, विनोद यादव, दिनेश चौहान, श्रीप्रकाश पांडेय, डॉ. हरिनारायण त्रिपाठी, सुरेश पांडेय समेत अन्य लोग मौजूद रहे।