February 6, 2025

राष्ट्र की परम्परा

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महात्मा गांधी ने दी थी, राघवदास को बाबा की उपाधि – प्रो.शरद चंद्र मिश्र

परमहंस बाबा राघवदास व्याख्यानमाला का पांचवां दिन

बरहज/देवरिया(राष्ट्र की परम्परा)
स्थानीय बाबा राघवदास भगवानदास स्नातकोत्तर महाविद्यालय आश्रम बरहज में, बाबा राघवदास के 126 वीं जयंती पर राजनीतिक विज्ञान विभाग द्वारा आयोजित व्याख्यानमाला के चौथे दिन शुक्रवार को ‘भारतीत ॠषि परंपरा के मूर्तरूप बाबा राघवदास’ विषय पर मुख्य वक्ता बीआरडी पीजी कालेज देवरिया के प्राचार्य प्रो.शरद चंद्र मिश्र ने कहा कि, अनंत महाप्रभु के शिष्य बनने के बाद राघवदास ने अनंत गुफा में घोर तपस्या की। उसके बाद गोरखपुर में महात्मा गांधी से संपर्क हुआ। गांधी इनकी सेवा भावना की क्षमता और दक्षता के कारण उन्हें बाबा की उपाधि से संबोधित किया। तभी से वह बाबा राघवदास के नाम से विख्यात हए। उनका व्यक्तित्व बहुआयामी एवं चतुर्थी था। उन्होंने कुटीर उद्योग की शुरुआत की। उस समय देवरिया जिले में ही 40 शिक्षण संस्थान स्थापित की। स्वाधीनता आंदोलन में बढ़ चढ कर सहभागिता की। कुआं खोदो आंदोलन चलाया, कुष्ठ सेवा आश्रम के द्वारा कुष्ठ रोगियों की सेवा की। उनके लिए मान सेवा ही धर्म था। वे गुण को ही धर्म और अवगुण को ही अधर्म मानते थे। बाबा भूदान आंदोलन में सक्रिय सहभागिता के कारण विनोबा भावे ने उन्हें भूदान आंदोलन का हनुमान कहा। प्राचार्य प्रो.शम्भुनाथ तिवारी ने आगंतुक अतिथियों का स्वागत कर उनके प्रति आभार ज्ञापित किया। डॉ.आभा मिश्र ने बाबा के आर्थिक पहलू पर विचार प्रस्तुत किया। डॉ. सूरज प्रकाश गुप्ता ने उनके तीन थाती करुणा, साधना एवं रचना की चर्चा की। संचालन राजनीति विज्ञान विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ.अरविंद पाण्डेय ने की। कार्यक्रम की शुरुआत अतिथियों द्वारा मां सरस्वती एवं बाबा राघवदास के चित्र के समक्ष पुष्पार्पण तथा दीप प्रज्वलित करके हुआ। मंगलाचरण श्रेया तिवारी ने तथा सरस्वती वंदना प्रदीप शुक्ला ने प्रस्तुत किया। मोहम्मद शोएब ने तराना एवं प्रेमा मिश्र ने सत्यम्, शिवम्, सुंदरम्.. भजन गाया। इस दौरान प्रमुख रूप से डॉ.विनीत कुमार पाण्डेय, डॉ.मंजू यादव, डॉ.वेद प्रकाश सिंह, डॉ.विवेकानंद पाण्डेय, प्रिंस उपाध्याय, प्रिती, दीपशिखा निषाद आदि मौजूद रहे।