संसद में ऑपरेशन सिंदूर पर शाब्दिक महासंग्राम: पीएम नरेन्द्र मोदी बनाम नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी – ट्रंप के नाम की भी गूंज
ऑपरेशन सिंदूर पर संसद में जो 32 घंटे लंबी ऐतिहासिक बहस हुई, उसे न केवल देश बल्कि पूरी दुनिया ने लाइव देखा। यह केवल भारत की सैन्य रणनीति या विदेश नीति पर चर्चा नहीं थी, बल्कि लोकतंत्र की परिपक्वता और विपक्ष तथा सत्तापक्ष के बीच तीखे लेकिन लोकतांत्रिक संवाद का उदाहरण भी बनी।
बहस के दौरान अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का नाम 29 बार आया, जिन्होंने कथित रूप से भारत-पाक युद्ध विराम में अपनी भूमिका का दावा किया है। वहीं पाकिस्तान के डीजीएमओ द्वारा युद्धविराम का निवेदन स्वीकार किए जाने पर विपक्ष और देश की जनता के बीच यह सवाल गूंजता रहा कि क्या यह निर्णय उचित था?
तीन अनुत्तरित प्रश्न जो आज भी खड़े हैं:
राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने क्या कहा?
राहुल गांधी ने कहा कि पूरा विपक्ष सरकार के साथ खड़ा था लेकिन ट्रंप के सीजफायर दावों पर चुप्पी से कई सवाल खड़े हुए। उन्होंने सीधे तौर पर प्रधानमंत्री से पूछा कि क्या वह ट्रंप को झूठा कहने का साहस रखते हैं। वहीं प्रियंका गांधी ने पहलगाम हमले पर जवाबदेही की मांग की—किसी का इस्तीफा क्यों नहीं हुआ?
पीएम मोदी का जवाब क्या रहा?
प्रधानमंत्री मोदी ने संसद में देर रात्रि एक घंटा 22 मिनट का भाषण देते हुए कहा कि दुनिया के किसी भी नेता ने भारत को ऑपरेशन सिंदूर रोकने को नहीं कहा। उन्होंने ट्रंप से बात न हो पाने का कारण सुरक्षा मीटिंग बताई और स्पष्ट किया कि ऑपरेशन सिंदूर अब भी जारी है। उनका संदेश था—“अब अगर पाकिस्तान हमला करेगा तो घुस कर मारा जाएगा, यही न्यू नॉर्मल है।”
32 घंटे की ऐतिहासिक बहस में तर्क और प्रतितर्क से संसद गूंजती रही। हालांकि प्रधानमंत्री ने अधिकांश सवालों का जवाब दिया, फिर भी ट्रंप के 29 बार के बयान, पाकिस्तान के निवेदन पर युद्धविराम और दुनियाँ में घूमे डेलिगेशन पर कोई सीधा खंडन या स्पष्टता नहीं दी गई। इससे देश के एक हिस्से में असंतोष और अनुत्तरित सवाल अब भी जीवित हैं।
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