प्रेम ही ईश्वर, ईश्वर ही प्रेम

प्रेम ही ईश्वर है प्रेम परमात्मा है,
प्रेम के सिवाय कुछ भी नहीं है,
प्रेममय हर जीव, जीव जीवन है,
चराचर के प्रेम में परम ईश्वर है।

निर्जीव भी जड़ है फिर चाहे
वो किसी भी रूप में भी हो,
पेड़ पौधे पशु पक्षी मनुष्य,
ईश्वर स्वरुप, परमात्मा है।

जो निराकार है, साकार है,
मनुष्य का जीवन साधना है,
चार आश्रम, चार पुरुषार्थ में,
चार वेद में और चार वर्ण में।

मेरा तो ऐसा मानना है कि गृहस्थ
आश्रम से बड़ा कोई आश्रम नहीं है,
जिसमें प्रेम, सेवाभाव, दानशीलता,
सहिष्णुता, मृदुभाव स्वार्थहीनता है।

प्रेम आसक्ति है प्रेम में शक्ति है,
प्रेम ही पूजा है, प्रेम ही भक्ति है,
प्रेम में पवित्रता है, प्रेम अनुरक्ति है,
प्रेम के बिना यह जीवन अधूरा है।

आदित्य प्रेम बिना जीवन व्यर्थ है,
प्रेम के बिना जीवन में नीरसता है,
प्रेम ही ईश्वर है, ईश्वर ही प्रेम है,
प्रेम में सच्चाई, प्रेम में विश्वास है।

  • डा. कर्नल आदि शंकर मिश्र
    ‘आदित्य’, ‘विद्यावाचस्पति’

rkpnews@desk

Recent Posts

स्वरोजगार हेतु बेरोजगारों को मिलेगा 10 लाख तक का ऋण

मऊ ( राष्ट्र की परम्परा ) जिला ग्रामोद्योग अधिकारी राजेन्द्र प्रसाद ने बताया कि उ०…

6 minutes ago

सनातन देवी-देवताओं पर अभद्र टिप्पणी के विरोध में हिंदू समाज पार्टी ने सौंपा ज्ञापन

लखनऊ (राष्ट्र की परम्परा) सोशल मीडिया पर सनातन धर्म के देवी-देवताओं पर की गई अभद्र…

15 minutes ago

अवैध चाकू के साथ घूम रहा था युवक, पुलिस ने दबोचा — नशे की लत और आपराधिक प्रवृत्ति से परेशान रहती है पुलिस

सलेमपुर/देवरिया (राष्ट्र की परम्परा)।कोतवाली क्षेत्र के ग्राम हथुआ उर्फ़ अवरंगाबाद निवासी मुहम्मद हुसैन सिद्दीकी उर्फ़…

54 minutes ago

दरवाजे पर खड़े युवक को बदमाशों ने मारी गोली, हालत गंभीर — पुलिस जांच में जुटी

मईल/देवरिया (राष्ट्र की परम्परा)। देवरिया जिले के मईल थाना क्षेत्र के जिरासो गांव में गुरुवार…

1 hour ago

इतिहास की वे विदाईयाँ, जिन्होंने भारत के हृदय को छू लिया

(ऐतिहासिक दिवस पर श्रद्धांजलि विशेष लेख) भारत के इतिहास में 31 अक्टूबर का दिन केवल…

2 hours ago