July 14, 2025

राष्ट्र की परम्परा

हिन्दी दैनिक-मुद्द्दे जनहित के

अज्ञानता के अंधकार को दूर कर रहे भगवान महावीर स्वामी- पंकज जैन

आगरा(राष्ट्र की परम्परा)
भगवान महावीर जयंती जैन समुदाय के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, और इसे भारत सहित दुनिया भर में धूमधाम से मनाया जाता है। भगवान महावीर स्वामी जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर हैं। इस साल महावीर जयंती 21अप्रैल, रविवार को मनाई जाएगी।
इस अवसर पर समाजसेवी पंकज जैन ने भगवान महावीर स्वामी की जन्मजयंती की सभी को अग्रिम शुभकामनाये व्यक्त करते हुए कहा कि, दुष्टों की दुष्टता से लोगों को बचाने और जन – जन के कल्याण के लिए हमारी भारत भूमि पर अनेक महापुरुषों ने अवतार लिए हैं। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम, महाबली हनुमान जी, भगवान श्रीकृष्ण इसी धरती पर पैदा हुए हैं। ऐसे ही महान पुरुषों में भगवान महावीर स्वामी का नाम सर्वोपरि है। भगवान महावीर स्वामीजी की जन्मजयंती शांति और सद्भाव के लिए मनायी जाती हैं।आज जब इस संसार में घृणा, बैर, द्वेष, मार-काट का बोलबाला है, ऐसे में भगवान महावीर स्वामी जी के उपदेशों पर चलकर जीवन को सार्थक बनाया जा सकता है। इस साल भगवान महावीर स्वामी जी की जन्मजयंती 21 अप्रेल को हैं। कहा जाता हैं कि धर्म की संस्थापना करने वाले तथा सज्जन व्यक्तियों की रक्षा के लिए दुष्टों से बचने का मार्ग दिखाने वाले भगवतस्वरूप महावीर स्वामी जी का जन्म उस समय हुआ जब दुष्टों का महत्त्व बढ़ने के कारण केवल दुष्टों की ही प्रतिष्ठा समाज में लगातार बढ़ती जा रही थी, इससे उस समय का जन समाज मन-ही-मन पीड़ित और तंग था क्योंकि इससे दुष्टवादी चेतना सभी जातियों को हीन और मलीन समझ रही थी। कुछ समय बाद तो समाज में यह भी असर पड़ने लगा कि धर्म आडम्बर बनकर सभी जातियों को दबा रहा है। दुष्टजाति गर्वित होकर अन्य जातियों को पीड़ित करने लगी। इसी समय देवीजी की कृपा से भगवान महावीर स्वामी जी ने धर्म के सच्चे स्वरूप को समझाने के लिए परस्पर भेदभाव की गहराई को भरने के लिए सत्यस्वरूप में इस पावन भारत भूमि पर प्रकट हुए। भगवान महावीर जी का जन्म चैत्र माह के शुक्ल पक्ष के 13वें दिन पटना से कुछ किलोमीटर दूर बिहार के कुंडलपुर में हुआ था। उस समय वैशाली राज्य की राजधानी मानी जाती थी। उनका जन्म 599 ईसा पूर्व में हुआ था। उनके माता-पिता – राजा सिद्धार्थ और रानी त्रिशला ने उनका नाम वर्धमान रखा था। जब महावीर 30 वर्ष के हुए, तो उन्होंने सत्य की खोज में अपना सिंहासन और परिवार छोड़ दिया। वह एक तपस्वी के रूप में 12 वर्षों तक निर्वासन में रहे। इस दौरान उन्होंने अहिंसा का प्रचार करते हुए सभी के प्रति श्रद्धा का व्यवहार किया। इंद्रियों को नियंत्रित करने में असाधारण कौशल दिखाने के बाद उन्हें “महावीर” नाम मिला। यह व्यापक रूप से माना जाता है कि जब महावीर 72 वर्ष के थे, तब उन्हें ज्ञान (निर्वाण) प्राप्त हुआ।