धर्म, कला और कर्म के दीप: 10 नवंबर के महान व्यक्तित्व

🌟10 नवंबर के जन्मे महान व्यक्तित्व: इतिहास में अमर नाम जिन्होंने समाज, कला और विचारों को नई दिशा दी


भारत और विश्व के इतिहास में 10 नवंबर का दिन अनेक अद्भुत प्रतिभाओं के जन्म का साक्षी रहा है। इस दिन जन्मे लोगों ने अपने-अपने क्षेत्र में ऐसी अमिट छाप छोड़ी, जिसने आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा दी। चाहे वह धार्मिक सुधार हों, स्वतंत्रता संग्राम का संघर्ष, साहित्यिक सृजन या कलात्मक अभिव्यक्ति — इन सबने समाज को नए विचार और ऊँचे आदर्श दिए। आइए जानते हैं 10 नवंबर को जन्मे उन महान विभूतियों के जीवन, कार्य और योगदान के बारे में विस्तार से—
1️⃣ मार्टिन लूथर (जन्म: 10 नवंबर 1483, आइज़लेबेन, जर्मनी)
मार्टिन लूथर यूरोप में धार्मिक सुधार आंदोलन “प्रोटेस्टेंट रिफॉर्मेशन” के जनक माने जाते हैं। वे एक जर्मन भिक्षु, धर्मशास्त्री और विचारक थे जिन्होंने रोमन कैथोलिक चर्च की नीतियों के विरोध में आवाज़ उठाई। 1517 में “95 थिसिस” के प्रकाशन के साथ उन्होंने ईसाई धर्म की नई धारा – प्रोटेस्टेंटिज़्म – की नींव रखी। लूथर ने बाइबिल का जर्मन भाषा में अनुवाद कर आम जन तक धार्मिक ज्ञान पहुँचाया। उनके विचारों ने यूरोप में सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक परिवर्तन की नींव रखी।

ये भी पढ़ें – सोमवार का अंक ज्योतिष: कौन सी संख्या खोलेगी भाग्य के द्वार

2️⃣ सुरेन्द्रनाथ बनर्जी (जन्म: 10 नवंबर 1848, कोलकाता, पश्चिम बंगाल)
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के अग्रणी नेताओं में से एक, सुरेन्द्रनाथ बनर्जी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के संस्थापकों में शामिल थे। उन्हें “भारत का ग्लैडस्टोन” कहा जाता था। शिक्षाविद और पत्रकार के रूप में उन्होंने देश में राष्ट्रीय चेतना जगाई। 1879 में उन्होंने इंडियन नेशन नामक समाचार पत्र की स्थापना की, जो ब्रिटिश शासन की नीतियों की आलोचना करता था। बनर्जी ने प्रशासनिक सुधार और भारतीयों को उच्च पदों पर नियुक्त करने की वकालत की। उनका जीवन स्वतंत्रता और शिक्षा के प्रति समर्पण का प्रतीक रहा।

ये भी पढ़ें – 🚆🚗✈️ “रफ्तार से विकास की ओर – परिवहन दिवस पर याद करें सफर को संवारने वाले कदम”

3️⃣ सच्चिदानंद सिन्हा (जन्म: 10 नवंबर 1871, आरा, बिहार)
सच्चिदानंद सिन्हा भारतीय संविधान सभा के प्रथम अध्यक्ष थे। वे एक विद्वान, शिक्षाविद, अधिवक्ता और पत्रकार के रूप में प्रसिद्ध थे। सिन्हा जी ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और देश की संवैधानिक परंपरा को मजबूत किया। उन्होंने इंडियन नेशन पत्र में लेख लिखकर समाज में सुधार और शिक्षा पर बल दिया। सिन्हा का मानना था कि “शिक्षा ही स्वतंत्रता की पहली सीढ़ी है।” उनका योगदान भारत की लोकतांत्रिक नींव के निर्माण में ऐतिहासिक है।
4️⃣ दत्तोपन्त ठेंगडी (जन्म: 10 नवंबर 1920, आर्वी, वर्धा, महाराष्ट्र)
दत्तोपन्त ठेंगडी भारतीय मजदूर आंदोलन के राष्ट्रवादी नेता और भारतीय मजदूर संघ के संस्थापक थे। वे एक दूरदर्शी विचारक और समाज सुधारक थे जिन्होंने मजदूरों को आत्मनिर्भरता और देशहित के मार्ग पर चलने का संदेश दिया। संघ की विचारधारा के आधार पर उन्होंने श्रमिकों में “राष्ट्र सर्वोपरि” की भावना जगाई। ठेंगडी ने श्रमिक कल्याण, स्वदेशी उद्योग और आत्मनिर्भर भारत की अवधारणा को बल दिया। उनके संगठन आज भी देशभर में करोड़ों मजदूरों के अधिकारों की रक्षा कर रहे हैं।

ये भी पढ़ें – हत्या का आरोपी मुठभेड़ में ढेर होने से बचा, पैर में लगी गोली

5️⃣ सदानंद बकरे (जन्म: 10 नवंबर 1920, बार्सेलोना, महाराष्ट्र)
सदानंद बकरे भारत के प्रसिद्ध मूर्तिकार, चित्रकार और आधुनिक कला आंदोलन के अग्रदूतों में से एक थे। वे बॉम्बे प्रोग्रेसिव आर्टिस्ट्स ग्रुप के संस्थापक सदस्य थे, जिसने भारतीय कला में आधुनिकता की शुरुआत की। बकरे के चित्रों में भारतीय भावनाओं का गहरापन और पश्चिमी कला की शैली का सुंदर समावेश दिखता है। उनकी कलाकृतियाँ लंदन, मुंबई और पेरिस के प्रमुख गैलरियों में प्रदर्शित हुईं। उन्होंने भारतीय आधुनिक कला को विश्व पटल पर पहचान दिलाई।
6️⃣ जॉनी मार्क्स (जन्म: 10 नवंबर 1909, माउंट वर्नन, न्यूयॉर्क, अमेरिका)
जॉनी मार्क्स अमेरिकी संगीतकार और गीतकार थे, जिन्हें क्रिसमस गीत “Rudolph the Red-Nosed Reindeer” के लिए प्रसिद्धि मिली। उनके गीतों ने 20वीं सदी की अमेरिकी संस्कृति में उत्सव की भावना को नया रूप दिया। मार्क्स ने “Silver and Gold” और “Rockin’ Around the Christmas Tree” जैसे प्रसिद्ध गीतों की रचना की। संगीत के क्षेत्र में उनका योगदान आज भी हर त्योहार के मौसम में गूंजता है।
7️⃣ मनमोहन महापात्र (जन्म: 10 नवंबर 1951, कटक, ओडिशा)
मनमोहन महापात्र उड़िया फिल्मों के मशहूर निर्देशक, पटकथा लेखक और निर्माता थे। उन्हें “उड़िया सिनेमा के सत्यजित राय” कहा जाता है। उनकी फिल्मों में ग्रामीण जीवन, मानवीय संवेदनाएं और समाज की वास्तविकता झलकती थी। “Seeta Raati”, “Niraba Jhada” और “Jhini Jhini” जैसी फिल्में कलात्मक उत्कृष्टता की मिसाल हैं। महापात्र को राष्ट्रीय पुरस्कार और अनेक अंतरराष्ट्रीय सम्मान प्राप्त हुए। उन्होंने उड़िया सिनेमा को वैश्विक पहचान दिलाई।
8️⃣ डोनकुपर रॉय (जन्म: 10 नवंबर 1954, शिलांग, मेघालय)
डॉ. डोनकुपर रॉय मेघालय के दसवें मुख्यमंत्री और एक शिक्षाविद राजनेता थे। वे एक सच्चे जनसेवक के रूप में जाने जाते थे, जिन्होंने राज्य के विकास, शिक्षा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर विशेष ध्यान दिया। रॉय जी ने वित्त और योजना मंत्री के रूप में राज्य की आर्थिक नीतियों को संतुलित दिशा दी। वे “मीनिमम गवर्नमेंट, मैक्सिमम गवर्नेंस” के समर्थक थे। उनका जीवन ईमानदारी, नीति और जनकल्याण का प्रतीक है।
9️⃣ जॉय गोस्वामी (जन्म: 10 नवंबर 1954, कोलकाता, पश्चिम बंगाल)
जॉय गोस्वामी बंगाली भाषा के प्रख्यात कवि हैं जिनकी कविताओं में मानवीय भावनाओं का गहरा चित्रण मिलता है। उनकी रचनाएँ जैसे “Pagla Ghoda” और “Ghumiyechho Jhaupata?” ने आधुनिक बंगाली कविता को नया जीवन दिया। गोस्वामी ने सामाजिक असमानताओं और अस्तित्व के संघर्ष को संवेदनशील शब्दों में पिरोया। उन्हें “अंजन सेन स्मृति पुरस्कार” और “अनंद पुरस्कार” से सम्मानित किया गया। उनकी कविताएँ आज भी युवा पीढ़ी को चिंतन के लिए प्रेरित करती हैं।
🔟 रोहिणी खादिलकर (जन्म: 10 नवंबर 1963, मुंबई, महाराष्ट्र)
रोहिणी खादिलकर भारत की पहली महिला शतरंज चैम्पियन के रूप में इतिहास में दर्ज हैं। उन्होंने 1981 में एशियाई शतरंज चैम्पियनशिप जीतकर भारत का नाम गौरवान्वित किया। मात्र 13 वर्ष की आयु में उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर सफलता प्राप्त की और महिलाओं में शतरंज को लोकप्रिय बनाया। रोहिणी बाद में एक पत्रकार और समाजसेवी के रूप में भी सक्रिय रहीं। उनकी प्रेरणादायक यात्रा भारतीय महिलाओं के लिए आत्मविश्वास का प्रतीक है।
🌸 10 नवंबर का दिन ऐसे महान व्यक्तित्वों के जन्म का प्रतीक है जिन्होंने समाज, संस्कृति, राजनीति और कला के हर क्षेत्र में अमिट योगदान दिया। इनकी जीवन यात्राएँ बताती हैं कि समर्पण, संघर्ष और सृजनशीलता से ही इतिहास लिखा जाता है।

Editor CP pandey

Recent Posts

सड़क पर सब्जी बेचने वालों पर प्रशासन की सख्ती, दो का हुआ चालान — नायब तहसीलदार गोपाल जी के नेतृत्व में कार्रवाई

सलेमपुर/देवरिया (राष्ट्र की परम्परा)। नगर क्षेत्र में बढ़ते जाम और सड़क पर फैल रहे अतिक्रमण…

4 hours ago

डीडीयू गोरखपुर विश्वविद्यालय में विधिक जागरूकता शिविर आयोजित, छात्रों को मिली कानूनी जानकारी

गोरखपुर(राष्ट्र की परम्परा)। उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देशानुसार तथा कुलपति प्रो. पूनम…

4 hours ago

एकता यात्रा का उद्देश्य “एक भारत, आत्मनिर्भर भारत” के संकल्प को सशक्त बनाना है: विजयलक्ष्मी गौतम

सरदार वल्लभभाई पटेल के राष्ट्र के प्रति योगदान से नागरिकों व विशेषकर युवाओं में जागरुकता…

5 hours ago

ददरी मेला में महिला व पुरुष कबड्डी प्रतियोगिता संपन्न

बलिया(राष्ट्र की परम्परा)l ऐतिहासिक ददरी मेला 2025 के अंतर्गत गुरुवार को महिला एवं पुरुष कबड्डी…

5 hours ago

द्वाबा महोत्सव का होगा भव्य आगाज़ कल, तैयारियां पूरी

संत कबीर नगर (राष्ट्र की परम्परा)। जिला पर्यटन एवं संस्कृति परिषद, संत कबीर नगर के…

5 hours ago