आओ परिस्थितियों से लड़कर इतिहास रचें

गोंदिया Rkpnews – वर्ष 1971 में आई हिंदी फीचर फिल्म, कभी धूप कभी छांव का कवि प्रदीप द्वारा लिखा और गाया गीत, सुख दुख दोनों रहते जिसमें जीवन है वो गांव, कभी धूप तो कभी छांव, ऊपर वाला पासा फेंके नीचे चलते दांव, भले भी दिन आते, जगत में बुरे भी देने आते। इस गीत की मेरे हर नौजवान साथियों को एक-एक पंक्ति गंभीरता से पढ़ना और सुनना चाहिए जो बहुत ही प्रेरणास्त्रोत है। खुशियों या सकारात्मक परिस्थितियों में तो हर व्यक्ति जीवन जीनें को आतुर रहता है, परंतु सृष्टि का यह नियम है कि हमेशा ऐसा नहीं होता, जीवन का चक्र घूमते रहता है। यदि आज सकारात्मक परिस्थितियां हैं तो कल नकारात्मक परिस्थितियां भी आनी ही है! जिससे हमें मुकाबला कर आगे बढ़ना है और स्थितियों पर परिस्थितियों से निपट कर सफलताके झंडे गाड़कर इतिहास रचना है। जो ख़ुद में स्थिर होते हैं, हर परिस्थितियों से लड़ते हैं, वही अपने जीवन में इतिहास रखते हैं। क्योंकि जब हम निर्भीकता से विपत्तियों का मुकाबला करने के लिए कटिबद्ध होंगे त्योहिं विपत्तियां दुम दबाकर भाग खड़ी होगी। इसलिए आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से विभिन्न विचारों को समाहित करते हुए चर्चा करेंगे, आओ परिस्थितियों से लड़ कर इतिहास रचें। 

साथियों बात अगर हम मानवीय जीवन में परीक्षा की घड़ी की करें तो अनुकूल परिस्थितियों में तो सभी सटीकता से जीवन यापन करने और अपने आप को सुदृढ़ और सुलझा हुआ कहने लगते हैं परंतु असली व्यक्तित्व और सटीकता का पता तो तब चलता है जब विपरीत परिस्थितियों में भी स्थिरता के से मुकाबला कर उन्हें अनुकूल बनाकर इतिहास रचते हैं। असल में हमें विपरीत परिस्थितियों में हिम्मत रखना और जिंदगी में जो भी परिस्थितियां हो उसका डटकर सामना करना हमारी जिंदगी में जो भी समस्या हो उन समस्याओं का हल निकालना और उन समस्याओं का हल निकालते और लड़ते-लड़ते मर जाना बेहतर है। किसी भी समस्या से भागना नहीं चाहिए विकट परिस्थितियों में जूजते रहेंगे तो हमारी समस्याओं का हल अपने आप निकलता रहेगा और आने वाली पीढ़ी के लिए समस्याओं का निराकरण भी लाएंगे और हमारी आने वाली पीढ़ी के लिए आदर्श भी बनेंगे जो लोग समस्याओं से लड़ते हैं और उसका हल निकालते हैं और डरते नहीं है वह लोग महान हैं। 

साथियों बात अगर हम सटीक कहावत मानव परिस्थितियों का दास होता है और उस दास शब्द को अस्वीकार करने की करें तो, मुश्किल परिस्थितियों से बाहर निकलने के लिए हमें सर्वप्रथम उन वजहों को समझने का प्रयास करना चाहिए जिनके चलतेये परिस्थितियाँ पैदा हुईं हैं।परिस्थितियों पर बारिकी से नजर रखते हुए सब्र के साथ परिस्थितियों का सामना करने का प्रयास करना चाहिए जो परिस्थितियाँ हमारे बस में ना हों उनके लिए अधिक चिंतित हम ना हों। वे समय के साथ खुद ब खुद सामान्य हो जाएँगी। हर हालत में धैर्यवान बने रहकर ईश्वर अल्लाह (समय) पर भरोसा करना चाहिए । समय से बलवान कोई नहीं । चाहे कितनी भी मुश्किल परिस्थिति हो समय बीतने के साथ-साथ मुश्किल से मुश्किल परिस्थितियों को बदलकर सामान्य होते देर नहीं लगतीं। कितना भी गहन अंधकार वाली रात्रि हो कुछ पलों में सूर्योदय अवश्यंभावी है। 

साथियों इसीलिए तो कहा जाता है कि मानव परिस्थितियों का दास होता है ,कौन सी परिस्थिति कब मनुष्य को क्या करने के लिए विवश कर दें ,वह स्वयं नहीं जानता क्योंकि परिस्थितियां मनुष्य के सामने दूसरा विकल्प छोड़ती ही नहीं। परंतु हां ,यदि हम स्वयं को संतुलित रखें और एक स्वस्थ मानसिकता के साथ बचपन से पोषण किया जाए तो हम परिस्थितियों को बदल तो नहीं सकते परंतु उन परिस्थितियों का दास तत्व भी स्वीकार नहीं कर सकते क्योंकि जब हमें स्वयं को संभालना आताहै तो परिस्थितियों को भी संभालना आ ही जाता है। बुरी से बुरी परिस्थितियां भी मनुष्य के सामने हाथ जोड़कर खड़ी हो सकती है। यदि वह उस परिस्थिति को हैंडल करना जानता हों यह बहुत कठिन काम होता है क्योंकि 1 दिन में तो कोई भी व्यक्ति यह सीख नहीं सकता ।कुछ परिस्थितियों को जहां पर हम सिर्फ कमजोर पड़ते हैं उनको तो हम हरा ही सकते हैं, हर परिस्थिति का सामना करने के लिए मनुष्य को मानसिकमजबूती चाहिए और संतुलित विचारधारा चाहिए, साथ ही साथ उसका मानसिक पोषण ऐसा होनाचाहिए कि हर परिस्थिति को देखने का एक सकारात्मक दृष्टिकोण हो ,तब वह किसी भी परिस्थिति को फेस करने में बिल्कुल भी घबराए नहीं क्योंकि जो होना है वह तो होकर ही रहेगा परंतु उससे बाहर आने के लिए वह व्यक्ति कभी गुम नहीं होगा बल्कि उन परिस्थितियों को फिर किसी के जीवन में ना आए इस पर काम करेगा, यही तो होता है एक मनुष्य की ताकत अगर वह चाह ले तो उसे कोई भी परास्त नहीं कर सकता। 

साथियों वह नियति हो या फिर परिस्थिति कोई फर्क नहीं पड़ता और जीवन में अच्छे और बुरे दोनों वक्त आते हैं। जिस तरह से हम अच्छे वक्त को संभालना बचपन से जानते हैं, उसी तरीके से हमें बुरे वक्त को भी संभालना सीखना चाहिए किस तरीकेसे हम इनको संभाले कि यहपरिस्थितियां कभी भी हमारे जीवन में ऐसी परिस्थिति ना क्रिएट करें की हम टूट कर बिखर जाएं यदि टूट कर बिखर भी जाएं तो स्वयं को जोड़कर पुनः खड़ा होने की हिम्मत अपने अंदर रखनी चाहिए। जीवन में जीवन से ज्यादा कुछ भी महत्वपूर्ण नहीं होता परंतु अक्सर देखा जाता है कि इंसान छोटी-छोटी बातों को लेकर के भी आत्महत्या कर लेता है या फिर कोई ऐसा कदम उठा लेता है जिसकी हम कल्पना भी नहीं करते इन्हीं सब से निपटने के लिए हमें स्वयं को मानसिक रूप से सबल बनाना होता है। जब भी हम अपने जीवन में कमजोर होते हैं, चाहे वह कमजोरी शारीरिक हो आर्थिक हो या मानसिक हो, उस वक्त हमारा मन दुर्बल होता है तथा हम परिस्थितियों से संघर्ष करने में कमजोर होते हैं। 

साथियों जीवन एक संग्राम है। इसमें वही व्यक्ति विजय प्राप्त कर सकता है, जो या तो परिस्थिति के अनुकूल अपने को ढाल लेता है या जो अपने पुरुषार्थ के बल पर परिस्थिति को बदल देता है। हम इन दोनों में से किसी भी एक मार्ग का या समयानुसार दोनों मार्गों का उपयोग कर जीवन-संग्राम में विजयी हो सकते हैं। परिस्थितियां बनती-बिगड़ती रहती है।ऐसे में विपरीत परिस्थितियों से कभी नहीं घबराएं।उनके साथ ताल-मेल बिठाएं और मन में धैर्य को स्थान दे।अपने अंदर करुणा,दया, प्रेम, आत्मीयता एवं सहानुभूति जैसे सद्गुणों का विकास करें।सात्विक विचारों के साथ-साथ सोच को सकारात्मक बनाएं,सत्कर्म को बढ़ावा दे।परिस्थितियां अपने आप अनुकूल बनती चली जाएगी।विकट परिस्थितियां हमारे संघर्ष को और पक्का करती हैं। स्वयं पर विश्वास रख कर आगे बढ़े, हर समय आप रो नहीं सकते हैं। हमको उन परिस्थितियों का डटकर मुकाबला करना होगा।धीरज, धर्म,मित्र,अरु नारी।आपतिकाल परखिए चारी॥

रामायण की इस चौपाई को हम अहर्निश ध्यान में रखते हुए आने वाली हर मुसीबत का निर्भीकता और दृढ़ता के साथ सामना कर सकते है। आप देखेंगे कि ज्यों ही हम विपत्तियों का मुकाबला करने के लिए कटिबद्ध होंगे, त्यों ही विपत्तियाँ दुम दबाकर भाग खड़ी होंगी, संकटों के सब बादल छँट जाएंगे और परिस्थिति निष्कंटक होकर हमारे लिए अनुकूल हो जायगी। 

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि, आओ परिस्थितियों से लड़कर इतिहास रचें। जो खुद में स्थिर होते हैं, हर परिस्थितियों से लड़ते हैं, वही अपने जीवन में इतिहास रचते हैं। जब हम निर्भयता से विपत्तियों का मुकाबला करने कटिबद्ध होंगे, त्यों ही विपत्तियां दुम दबाकर भाग खड़ी होगी। 

संकलनकर्ता लेखक – कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र

Editor CP pandey

Recent Posts

अमर दीपकों की स्मृति, जिन्होंने अपने कर्म से भारत का नाम रोशन किया

29 अक्टूबर का इतिहास के उनके याद में भारत का इतिहास उन महान विभूतियों से…

9 minutes ago

जानिए आपका भाग्यांक क्या कहता है

🔆आज का अंक राशिफल — पंडित सुधीर तिवारी द्वारा🔆(संख्या बताए आपके दिन की दिशा) अंक…

31 minutes ago

जागरूकता ही बचाव का सबसे बड़ा उपाय

विश्व स्ट्रोक दिवस 2025 (World Stroke Day 2025) हर साल 29 अक्टूबर को विश्व स्ट्रोक…

38 minutes ago

🧠 “स्ट्रोक पर काबू: जागरूकता और होम्योपैथी से जीवन की नई उम्मीद”

(विश्व स्ट्रोक दिवस 2025 विशेष लेख) हर साल 29 अक्टूबर को विश्व स्ट्रोक दिवस (World…

1 hour ago

✨निरंजन शुक्ला — जिनकी थाली में भरी है उम्मीद की रोटी और इंसानियत की खुशबू”✨

देवरिया (राष्ट्र की परम्परा)।आज के दौर में जहाँ स्वार्थ और दिखावे ने मानवता को पीछे…

2 hours ago

योगी सरकार का बड़ा फैसला: गन्ने का दाम बढ़ा, व्यापारियों को भी राहत

लखनऊ (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने गन्ना किसानों और…

2 hours ago