अनुचित स्पर्धा की चाहत भी
लोगों की नक़ल कराती है,
औरों की कृतियाँ, अंदाज,
तरीक़ा भी औरों का अपनाती है।
अपना कहने की चाहत में
औरों का संगीत चुराकर भी,
अपना गीत, कला अपनी
अपनी ही धुन है बतलाती है।
पर यदि जुनून हो दृढ़ता से,
मज़बूत पकड़ अपनी होती,
नक़ल न कोई कर पाता है,
अपने गीत कला अपनी होती।
नकारात्मक होकर कोई
नहीं सफलता पा सकता है,
जितना दूरी होगी इस दुर्गुण
से उतना सुख कोई पाता है।
ज्ञान प्राप्ति से भी बेहतर उसका
विज्ञान समझना होता है,
जितना उत्तम विश्लेषण होगा
विज्ञान भी उतना उत्तम होता है।
मित्र बहुत ऐसे होंगे अपने,
जो हमें जानते तो होंगे,
आदित्य बहुत कम ही होंगे,
जो हमें समझते भी होंगे।
डॉ कर्नल आदि शंकर मिश्र
‘आदित्य’
ये भी पढ़ें –1492: कोलंबस ने देखी “नई दुनिया” की धरती
ये भी पढ़ें –🌍जब दुनिया ने देखे खोज, क्रांति और विद्रोह के पड़ाव
ये भी पढ़ें –एक ऐसा दिन जब भारत ने अपना सच्चा समाजवादी खो दिया
ये भी पढ़ें –🌅 12 अक्टूबर 2025: रविवार का दिव्य पंचांग — शरद की शांति में सूर्य उपासना का शुभ दिवस
वाराणसी (राष्ट्र की परम्परा)। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में मंगलवार सुबह सुरक्षा व्यवस्था उस समय सतर्क…
संभल (राष्ट्र की परम्परा)। उत्तर प्रदेश के संभल जिले में मीट कारोबार से जुड़ी बड़ी…
नई दिल्ली (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)। भारत मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, आज देश के…
भटनी/देवरिया(राष्ट्र की परम्परा)। देवरिया जिले के भटनी थाना क्षेत्र के बलुआ अफगान गांव में रविवार…
राजस्थान (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)। राजस्थान पुलिस को मंगलवार को बड़ी कामयाबी मिली है। लॉरेंस…
बिहार (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)। विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा को बड़ा राजनीतिक बढ़ावा देते…