भलुअनी/देवरिया(राष्ट्र की परम्परा)
शांति सद्भावना विकास मंच ने टेकुआ चौराहा पर भारतीय सामाजिक क्रांति के ज्योति स्तंभ, भारतीय नारी शिक्षा के जन्मदाता, नारी शिक्षण संस्थान के प्रथम शिक्षक, कराहती पीड़ित मानवता के उद्धारक, अहिंसा के पुजारी, सर्वहारा वर्ग के महानायक, ज्योतिबा फुले की जयंती उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर मनाया गया। मंच के राज्य समन्वयक रामकिशोर चौहान ने बताया कि स्त्री शिक्षा को उन्होंने अपनी पत्नी सावित्री बाई फुले, और फातिमा शेख के साथ मिल कर शिक्षा के क्षेत्र में लौ जलाई। ज्योतिबा ने हिंदू धर्म में फैली ऊंच, नीच की अमानवीय भावना, तथा रूढ़ियों, एवं अंध परम्पराओ को समाप्त करने का संकल्प लिया। चौहान ने आगे बताया कि पूना से केसरी और मराठा नामक दो अखबार निकलते थें। दोनो के संपादक ब्राम्हण थें, केसरी के संपादक बाल गंगाधर तिलक थे, तथा मराठा के सम्पादक गोडाआगरकर थे। दोनो अखबारों ने संपादकीय लिखकर तत्कालीन अंग्रेजी हुकूमत की आलोचना की, सरकार ने आलोचना करने के कारण तिलक और आगरकर पर देश द्रोह का मुकदमा चलाकर दोनो को जेल में डाल दिया गया। उस समय देश के कोई सवर्ण समाज की हिम्मत नहीं हुई कि दोनो संपादकों की जमानत के लिए आगे आए। ज्योतिबा को इस बात को पता चला तो उन्होंने जेल से जमानत कराने के बाद ज्योतिबा ने शानदार स्वागत किया। ज्योतिबा के कट्ठर विरोधी होते हुए भी यह देश के लिए सोचते थे। तभी भी यह निर्लय लेकर समाज में अपना मानवीय मूल्यों का अच्छा छाप छोड़ने का कार्य किया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से भीम कुमार भारती, चंद्रहास सिंह, विवेकानंद पाण्डेय, मुख्तार पटेल, रामगति चौहान, दयालु चौहान, मगलेश, जयगोविंद मदेसियाँ, विशाल चौहान, आदि लोग उपस्थित रहे।
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