गोरखपुर(राष्ट्र की परम्परा)। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के मदन मोहन मालवीय मिशन टीचर ट्रेनिंग सेंटर में 11वें गुरु दक्षता कार्यक्रम के तहत 22 दिसंबर को आयोजित सत्रों में राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन में महिलाओं की भूमिका और भूजल प्रबंधन जैसे विषयों पर सारगर्भित विमर्श हुआ।
प्रथम सत्र में इतिहास विभाग की पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. निधि चतुर्वेदी ने “राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन में महिलाओं का योगदान” विषय पर व्याख्यान देते हुए कहा कि भारतीय सभ्यता में महिलाओं की भूमिका प्राचीन काल से बौद्धिक, सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से निर्णायक रही है। वैदिक काल की विदुषी महिलाओं का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि ज्ञान-परंपरा में स्त्रियाँ केवल सहभागी नहीं, बल्कि विचार-निर्माण की अग्रणी शक्ति रही हैं।
उन्होंने मध्यकालीन सामाजिक परिवर्तनों और औपनिवेशिक दौर, विशेषकर 1857 के बाद महिलाओं में उभरी राष्ट्रीय चेतना पर प्रकाश डाला। उपयोगितावादी, सुधारवादी और पुनरुत्थानवादी दृष्टिकोणों के माध्यम से महिलाओं की स्थिति को स्पष्ट करते हुए 1857 से गांधी युग तक उनके त्याग, नेतृत्व और सक्रिय सहभागिता के उदाहरण प्रस्तुत किए। प्रो. चतुर्वेदी ने यह भी रेखांकित किया कि क्रांतिकारी आंदोलनों में महिलाओं की भूमिका का ऐतिहासिक पुनर्मूल्यांकन आज नए राष्ट्रवादी दृष्टिकोण के साथ हो रहा है।
तृतीय सत्र में डॉ. राम आशीष यादव ने “भूजल प्रबंधन” पर वैज्ञानिक व्याख्यान दिया। उन्होंने सतही जल स्रोतों के प्रदूषण और क्षरण के कारण बढ़ती भूजल निर्भरता, जनसंख्या वृद्धि, औद्योगीकरण और अनियंत्रित दोहन से उत्पन्न संकट की व्याख्या की। जलभृतों की संरचना बताते हुए उन्होंने अत्यधिक पंपिंग से लवणता, नाइट्रेट और आर्सेनिक जैसी समस्याओं को मानव स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा और पारिस्थितिकी के लिए गंभीर खतरा बताया। दिल्ली, लखीमपुर और सीतापुर के उदाहरणों से भूजल ह्रास और प्रदूषण की स्थिति स्पष्ट की गई।
डॉ. यादव ने समाधान के रूप में वर्षा जल संचयन, वैज्ञानिक प्रबंधन, प्रभावी नीतियों और स्थानीय समुदाय की भागीदारी पर बल दिया तथा बचपन से जल संरक्षण शिक्षा की आवश्यकता रेखांकित की “जल है तो जीवन है।”
द्वितीय सत्र में प्रतिभागियों ने डॉ. के. एम. मिश्रा के मार्गदर्शन में विषयगत प्रस्तुतियाँ दीं, जबकि चतुर्थ सत्र में प्रो. देवेश कुमार के मार्गदर्शन में प्रस्तुतियाँ हुईं। देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के प्रतिभागियों ने कार्यक्रम में सक्रिय सहभागिता की। संचालन प्रो. राकेश तिवारी ने किया और सह-संचालन व धन्यवाद ज्ञापन डॉ. के. एम. मिश्रा ने दिया।
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