तिब्बत की पूर्ण आजादी से ही संभव है भारत की सुरक्षा: बीटीएसएस

शिव भक्तों के लिए जीवन का ध्येय और चुनौती है कैलाश की मुक्ति

भारत तिब्बत समन्वय संघ का दो दिवसीय अधिवेशन चिंतन 2024 इंदौर में 29 से

संत कबीर नगर (राष्ट्र की परम्परा)। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तिब्बत की स्वतंत्रता के मसले को किसी न किसी तरह जीवंत रखने के लिए भारत तिब्बत समन्वय संघ अर्थात बीटीएसएस युद्धस्तर पर कई प्रयास कर रहा है। तिब्बत अर्थात अखंड भारत के त्रिविष्टप नामक पवित्र भाग की चीन के चंगुल से छुड़ाने के हर संभव ऐसे प्रयास करने में संघ जुटा है कि देवों के देव महादेव का अपना मूल स्थान कैलाश मानसरोवर पुनः भारत का हिस्सा बन सके, जो कि भगवान गणेश व भगवान कार्तिकेय की अपनी जन्मस्थली भी है। दुनिया में हर शिव भक्त की अभिलाषा रहती है कि वह कैलाश और मानसरोवर का साक्षात दर्शन कर सके। दर्शन के उस अधिकार से रोकने वाले चीन से उसे मुक्त कराना हर शिव भक्त के लिए अब चुनौती भी है और जीवन का ध्येय भी। अतएव बीटीएसएस इस आंदोलन को धार देने के लिए वर्ष में 4 राष्ट्रीय बैठकें आयोजित करता है, इसी क्रम में वर्ष के पूर्वार्द्ध की दो दिवसीय राष्ट्रीय बैठक अर्थात चिंतन 2024 इंदौर के श्रीजी वाटिका में आज से, 29 व 30 जून को होने जा रही है। इस बैठक में देश के विभिन्न अंचलों से प्रतिनिधि आयेंगे।
दो दिवसीय बैठक में कुछ नए राजनीतिक प्रस्तावों के पारित होने की आशा है और पूर्व के सभी पारित 30 प्रस्तावों का मूल्यांकन करके कोई संशोधन/अनुपूरक प्रस्ताव लाने होंगे तो उन पर भी विचार करना संभव है।
बीटीएसएस तिब्बत की पूर्ण स्वतंत्रता की हिमायती है और सही मायनों में हम चाहते हैं कि चीन की दीवार तक भारतीय सैनिक जाएं और उसके पार चीन को खदेड़ कर अखंड भारत के लिए वहीं डट जाएं।
दुनिया के सबसे बड़े आतंकी देश चीन को अगर समय रहते नियंत्रित नहीं किया गया तो पूरी दुनिया को यह युद्ध में झोंक देगा। वैसे भी चीन के वामपंथ ने भारत में गृहयुद्ध की स्थिति बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। असंख्य मुद्दे हैं, जिन पर वर्तमान की राष्ट्रवादी केंद्र सरकार के लिए हम भी तिब्बत और कैलाश मानसरोवर के प्रश्न पर राह सुगम करने में लगे हुए हैं। लेकिन इसके लिए समाज को बहुत सुदृढता से इसमें लगना होगा।
चिंतन 2024 में 29 जून को सुबह 10 बजे से कार्यक्रम प्रारंभ होगा और 30 जून को दोपहर 2 बजे समापन होगा। भारत सरकार को तिब्बत पर और अधिक मुखरता दिखाना तभी संभव होगा, जब समाज जागृत हो।
उक्त दो दिवसीय आयोजन के पीछे मंशा यही है कि वर्तमान में तिब्बत को ले कर दुनिया के बाकी देश भी तेजी से जागृत हो रहे हैं लेकिन भारत में जागृत जनता को होना होगा। इन्ही सब की रणनीति बनाने के लिहाज से कई प्रकार के विचारों का आदान प्रदान करना है और इसमें समाज के हर वर्ग को जुड़ना चाहिए। इन दो दिनों की बैठक में अखंड भारत के पुनर्निर्माण की दिशा में भी चिंतन होगा।
संघ के इस चिंतन बैठक में शामिल होने के लिए पूर्वी उत्तर प्रदेश से सैकड़ों गणमान्य जन रवाना चुके हैं।

rkpNavneet Mishra

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