नई दिल्ली(राष्ट्र की परम्परा डेस्क)भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पाकिस्तान को उसके काले इतिहास की याद दिलाकर करारा जवाब दिया। भारत के प्रभारी राजदूत एल्डोस मैथ्यू ने पाकिस्तान द्वारा भारत के खिलाफ झूठे आरोप लगाने की कोशिश पर पलटवार करते हुए कहा कि पाकिस्तानी सेना का असली चेहरा 1971 में बांग्लादेश मुक्ति आंदोलन के दौरान पूरी दुनिया देख चुकी है।भारत ने कहा कि पाकिस्तानी सेना ने उस समय महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा को युद्ध के हथियार की तरह इस्तेमाल किया। अनुमानों के अनुसार 1971 में पाकिस्तानी सैनिकों ने 2 से 4 लाख तक बंगाली महिलाओं और बच्चियों के साथ बलात्कार किया। हजारों महिलाओं ने आत्महत्या तक कर ली। इतना ही नहीं, पाकिस्तानी सेना ने बलात्कार शिविर भी बनाए जहाँ महिलाओं को बंधक बनाकर यातनाएँ दी जाती थीं।भारत ने कहा कि यह शर्मनाक कृत्य आज भी पाकिस्तानी सेना की छवि पर कलंक की तरह मौजूद है। संयुक्त राष्ट्र में भारतीय प्रतिनिधि के बयान के दौरान पाकिस्तानी डिप्लोमैट पूरी तरह खामोश रहे और कोई जवाब नहीं दे पाए।बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान पाकिस्तानी जनरल टिक्का खान, जिन्हें ‘बंगाल का कसाई’ कहा जाता था, और उनके उत्तराधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल ए.के. नियाज़ी ने इस अमानवीय अभियान का नेतृत्व किया था। ऑपरेशन ‘सर्चलाइट’ के नाम से चलाए गए इस अभियान का उद्देश्य जातीय बंगालियों और गैर-मुसलमानों का सफाया करना था।भारत ने संयुक्त राष्ट्र में दो टूक कहा कि पाकिस्तान की सेना जंग जीतने के लिए नहीं बल्कि महिलाओं के साथ अत्याचार करने के लिए कुख्यात रही है।
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