देवरिया में अवैध कब्ज़ा, मॉल-मैरिज हॉल और नर्सिंग होम पर उठ रहे सवाल

प्रतीकात्मक फोटो

देवरिया (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)। सरकार ने भले ही जीरो टॉलरेन्स व भू-माफियाओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का निर्देश दिया है। लेकिन यह फरमान जिले में बेअसर दिखाई दे रहा है। जिले में सरकारी जमीन, नगर पालिका की भूमि, जिला पंचायत की जमीन से लेकर ट्रस्ट व आश्रम की संपत्ति पर कब्ज़े का खुला खेल चल रहा है। कहीं ट्रस्ट के नाम की जमीन पर बड़ी-बड़ी इमारत व होटल खड़ा हो रहा है तो कहीं दबंगई के बल पर कब्जा की गई जमीनों पर या तो स्कूल या व्यवसायिक प्रतिष्ठान चल रहे हैं।
जनता का आरोप है कि “हमहू लूटी, तू हू लुटअ” वाली कहावत यहां चरितार्थ हो रही है। सवाल यह है कि क्या प्रशासन अपनी ही जमीन बचाने में रुचि नहीं रखता? बानगी के तौर पर, कुछ वर्ष पूर्व तत्कालीन जिलाधिकारी अमित किशोर ने पीडब्ल्यूडी की कब्जाई हुई जमीन को मुक्त कराया था, जिस पर बाद में विभागीय आवास बने। लेकिन आज भी कई महत्वपूर्ण जमीनें अवैध कब्ज़े की जद में हैं। उधर गांधी आश्रम की जमीन आवंटन को लेकर तरह तरह के सवाल उठ रहे हैं कि किस नियम और किस प्रक्रिया के तहत यह जमीन एसएस मॉल के मालिक को पार्किंग के लिए दी गई है। यह एक बड़ा सवाल है। उधर जिला प्रशासन ने अब तक इस पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया है, जबकि जनता सच जानना चाहती है। इसी प्रकार आर्य समाज ट्रस्ट की जमीन बैनामा कर कब्जाई गई और वहां होटल खड़ा कर दिया गया है। रामलीला मैदान समिति का गठन बदलकर कैसे छिन्न-भिन्न हुआ, इसका भी जवाब प्रशासन से मांगा जा रहा है।

शहर में बने मॉल, नर्सिंग होम, मैरिज हॉल और व्यवसायिक प्रतिष्ठानों को लेकर भी गंभीर सवाल हैं: बिना पार्किंग के कैसे चल रहे हैं ये बड़े मॉल व नर्सिंग होम? क्या इन मॉल सेंटरों में काम करने वाले युवक-युवतियों का रिकॉर्ड किसी सरकारी दफ्तर में दर्ज है? क्या बाल श्रम को बढ़ावा तो नहीं मिल रहा? युवाओं को उचित पारिश्रमिक मिल रहा है या उन्हें किसी गंदे धंधे में धकेला जा रहा है? इन प्रतिष्ठानों के निर्माण का मानक क्या है और किस नियम के तहत अनुमति मिली? सबसे बड़ी परेशानी मैरिज लानों की है, जो रिहायशी इलाकों में बने हैं। पूरी रात डीजे और शोर-शराबे से आम नागरिकों का जीवन दूभर हो गया है। लोगों का कहना है कि इन अवैध लानों और मॉल्स की अकूत कमाई के सामने प्रशासन और राजनीति दोनों खामोश दिखाई दे रहे हैं।
जनता का सीधा सवाल है कि क्या प्रशासन किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है? क्या अवैध कमाई की कोई कड़ी अफसरशाही और राजनीतिक रसूख से जुड़ी है या फिर जांच सिर्फ कागज़ों में ही सिमट कर रह जाएगी।
इन सब मुद्दों पर जिले की जनता प्रशासन से पारदर्शिता और ठोस कार्रवाई की मांग कर रही है।

Editor CP pandey

Recent Posts

बिहार विधानसभा चुनाव 2025: 14 नवंबर को निर्णायक मतगणना जारी , कई वीवीआईपी सीटों पर टकराव चरम पर

पटना(राष्ट्र की परम्परा)। बिहार की 18वीं विधानसभा के गठन की उलटी गिनती शुरू हो चुकी…

52 minutes ago

कोदईपुर के प्राथमिक विद्यालय में विवादित शिक्षिका हुई निलंबित

नीरज कुमार मिश्रा की आईजीआरएस शिकायत संख्या 40018725025213 के आधार पर हुई कार्यवाही महराजगंज(राष्ट्र की…

57 minutes ago

बिहार विधानसभा चुनाव 2025: मतगणना शुरू, सुरक्षा कड़ी – ऐतिहासिक मतदान के बाद तय होगी सत्ता की नई दिशा

पटना (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए शुक्रवार सुबह से मतगणना की…

58 minutes ago

प्रथम प्रधानमंत्री पंडित नेहरू: विज्ञान, आधुनिकता और प्रगति के पथप्रदर्शक

पुनीत मिश्र भारत के इतिहास में 14 नवम्बर केवल एक तिथि नहीं, बल्कि आधुनिक भारत…

1 hour ago

14 नवंबर 1962: जब संसद ने चीन से हर इंच भूमि वापस लाने की प्रतिज्ञा ली

• नवनीत मिश्र भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में कुछ तिथियाँ केवल घटनाओं की याद नहीं,…

1 hour ago