नई दिल्ली (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने लद्दाख में हालिया हिंसा के बाद उठ रही स्थानीय नाराजगी और असुरक्षा पर गहरी चिंता जताई है। रमेश ने कहा कि लद्दाख के लोग अपनी जमीन और रोज़गार के अधिकारों को गंभीर खतरे में देखते हुए भारी निराशा का सामना कर रहे हैं। उन्होंने केंद्र सरकार से कहा कि केवल बातचीत पर निर्भर रहने की बजाय अब समय आ गया है कि वह अपनी अंतरात्मा को जागृत करे और स्थानीय लोगों की जायज़ मांगों को पूरी तरह से पूरा करे।
रमेश ने यह भी स्पष्ट किया कि छठी अनुसूची के तहत मिलने वाले विशेष संरक्षण और निर्वाचित विधायिका की मांगों को लगातार नजरअंदाज किया गया है, जबकि स्थानीय प्रशासन और निर्वाचित निकायों पर एलजी और नौकरशाही का पूर्ण नियंत्रण है। उन्होंने चीन द्वारा वास्तविक नियंत्रण रेखा पर एकतरफा फैसलों और प्रधानमंत्री द्वारा 19 जून, 2020 को चीन को क्लीन चिट देने के बाद उत्पन्न हुई अनिश्चितता पर भी चिंता जताई।
जयराम रमेश ने अपने बयान में लद्दाख के सांस्कृतिक, आर्थिक, पारिस्थितिक और सामरिक महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि यहाँ के लोग हमेशा से गौरवान्वित भारतीय रहे हैं। उनकी पीड़ा और संकट सरकार के लिए चेतावनी है कि अब केवल औपचारिक बातचीत से काम नहीं चलेगा, बल्कि स्थानीय समुदाय की वैध आकांक्षाओं को तुरंत पूरा करना अनिवार्य है। 24 सितंबर को हुई हिंसा के बाद लेह में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 163 के तहत प्रतिबंध भी लागू हैं।
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