भारत ने गिनी को भेजे अत्याधुनिक रेल इंजन, मेक इन इंडिया को मिली नई उड़ान
छपरा (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)बिहार के सारण जिले के मढ़ौरा स्थित रेल इंजन कारखाने ने एक नया कीर्तिमान रच दिया है। यहां तैयार किए गए आधुनिक रेल इंजन अब अफ्रीकी देश गिनी की पटरियों पर दौड़ने को तैयार हैं। इसी क्रम में चार इंजन की पहली खेप ‘कोमो’ नाम से गिनी के लिए रवाना कर दी गई है।
यह उपलब्धि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मेक इन इंडिया अवधारणा को वैश्विक मंच पर मजबूती प्रदान करती है। गिनी के लिए बनाए गए इन इंजनों की क्षमता 4500 हार्स पॉवर है, जबकि आने वाले समय में 6000 हार्स पॉवर तक की क्षमता वाले इंजन के निर्माण की योजना भी तैयार है।
तीन हजार करोड़ का समझौता
मई-जून 2025 में गिनी से एक प्रतिनिधिमंडल मढ़ौरा पहुंचा था। उसी दौरान 140 लोकोमोटिव इंजन के निर्यात के लिए 3000 करोड़ रुपये का एक बड़ा करार हुआ। इस करार के तहत सिर्फ दो महीने बाद ही पहली खेप तैयार कर रवाना कर दी गई। आने वाले महीनों में ‘कोमो’ की अन्य खेपें भी गिनी भेजी जाएंगी।
रंग और डिजाइन में खास
भारत में सप्लाई होने वाले रेल इंजनों का रंग जहां लाल और पीला रखा जाता है, वहीं गिनी को निर्यात किए गए इंजनों का रंग नीला रखा गया है।
इन इंजनों का कैब पूरी तरह से एयरकंडीशंड है। इनमें इवेंट रिकॉर्डर, लोको कंट्रोल सिस्टम, उन्नत एएआर ब्रेक सिस्टम और अन्य अत्याधुनिक उपकरण लगाए गए हैं। इनकी खासियत यह है कि इन्हें गिनी की भौगोलिक और तकनीकी जरूरतों को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया है।
भविष्य की राह
मढ़ौरा रेल इंजन कारखाने की यह उपलब्धि भारत के रेल निर्यात क्षेत्र के लिए एक बड़ा कदम है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे न केवल भारत की तकनीकी क्षमता का प्रदर्शन हुआ है बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय इंजनों की मांग भी बढ़ेगी।
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