April 30, 2025

राष्ट्र की परम्परा

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किसान निःशुल्क करा सकेंगे अपनी मिट्टी की जांच

16 तत्वों की जांच हेतु उप निदेशक कृषि कार्यालय में बनाया गया लैब

महराजगंज (राष्ट्र की परम्परा)। मृदा परीक्षण खेती का एक महत्वपूर्ण अंग है। इसी के बदौलत खेत की मिट्टी से अधिक उत्पादन किसानों द्वारा किया जा सकता है। ऐसे में खरीफ सीजन में धान की होने वाली खेती को देखते हुए मिट्टी की जांच कराने के लिए कृषि विभाग ने पहले किया है। कृषि विभाग ने अधिक से अधिक किसानों को अपने खेतों की मिट्टी जांच कराने का सुझाव दिया है। इस बार लगभग 240 ग्राम पंचायतों के किसान निःशुल्क अपने खेतों की मिट्टी की जांच करा सकेंगे। प्राप्त समाचार के अनुसार जिले भर के करीब पांच लाख किसानों के खेत की मिट्टी जांचने के लिए सुकठियां स्थित उप निदेशक कृषि कार्यालय में लैब स्थापित किया गया है। लैब उप निदेशक कृषि कार्यालय के ऊपरी तल पर है। ऐसे में किसान मिट्टी का पीएच मान, पोटास, नाइट्रोजन व फास्फोरस तत्व की जांच करा सकते हैं। उप कृषि निदेशक संजीव कुमार वर्मा ने बताया कि कृषि विभाग के लैब में पोटास, नाइट्रोजन व फास्फोरस की जांच हो सकेगी। इसके लिए किसानों को किसी प्रकार का शुल्क नहीं देना पड़ेगा। कृषि विभाग के कर्मचारी स्वयं किसानों के खेतों में पहुंच कर एप पर आवश्यक आकड़ा अपलोड करने के बाद मिट्टी का नमूना एकत्र कर रहे हैं। मिट्टी जांच के दौरान 24 हजार किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड दिए जाने हैं।
कृषि विभाग की लैब में मिट्टी में जिंक, सल्फर, कापर,आयरन, बोरान,मैगनीज,क्लोरिन कैलेशियम,मैग्नीशियम, पोटैशियम जैसे सुक्ष्म तत्व मृदा परीक्षण के लिए करीब पचास लाख रूपये का यंत्र लगा हुआ है। बताया जा रहा है कि इस यंत्रों को चलाने के लिए एयर कंडीशन कमरा की जरूरत है। पर यह सुविधा न होने से यंत्र बंद ही रहता है। जिससे सुक्ष्म तत्वों की जांच के लिए नमूने गोरखपुर के प्रयोगशाला में भेजा जाता है। जहां से जांच की रिपोर्ट आने में कई महीने लग जाती है। मिट्टी की अच्छी सेहत के लिए 16 तत्वों का जांच होना जरूरी मिट्टी की अच्छी सेहत के लिए उनमें 16 तत्वों का होना जरूरी है। आक्सीजन, कार्बन व पानी प्रकृति से मिलती है। साथ ही नाइट्रोजन, पोटास व फास्फोरस का होना भी जरूरी है। कृषि विज्ञान केन्द्र बसुली के कृषि वैज्ञानिक डॉ. शिवपूजन यादव ने बताया कि अच्छी उत्पादन के लिए 120 प्रतिशत नाइट्रोजन , 40 प्रतिशत पोटास व 40 प्रतिशत फास्फोरस चाहिए। प्रमुख भूमिका सुक्ष्म कणों की होती है। उनमें जिंक, सल्फर, कापर, आयरन, बोरान, मैगनीज, क्लोरिन, कैलेशियम,मैग्नीशियम, पोटैशियम शामिल है। इन तत्वों की कमी होने से फसलों में बीमारियों का प्रकोप बढ़ जाता है। दाने भी कमजोर होने लगते हैं। जिससे उत्पादन भी कम होता है।