🪔 भैया दूज की कथा और महत्त्व भी जानें
“दीपों की रोशनी में जब घर जगमगाता है, तो मन की हर अंधियारी भी मिट जाती है।”
गृह विशेष संवाददाता | राष्ट्र की परम्परा
दीपावली केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति की आत्मा है — प्रेम, प्रकाश, समृद्धि और पारिवारिक सौहार्द का उत्सव।
हर साल कार्तिक अमावस्या को मनाया जाने वाला यह पर्व, मां लक्ष्मी, भगवान गणेश और कुबेर की आराधना का प्रतीक है।
इस दिन सही भोजन और विधिपूर्वक पूजन से घर में सुख-शांति और आर्थिक समृद्धि आती है।
🌼 घर को महकाने वाला शुभ भोजन
दीपावली के दिन बना भोजन न केवल स्वाद का प्रतीक है, बल्कि उसमें धार्मिक और आध्यात्मिक ऊर्जा भी होती है।
कहा जाता है — “जहाँ सात्विकता, स्वच्छता और प्रेम हो, वहीं लक्ष्मी का निवास होता है।”
🍛 1. पूरनपोली या गुड़-चना दाल परांठा
गुड़ और चने की दाल से बना यह व्यंजन लक्ष्मी पूजन के बाद बनाना शुभ माना जाता है।
यह संपन्नता और मधुरता का प्रतीक है।
🍚 2. खीर — चावल, दूध और शुद्ध घी का संगम
खीर को “शुभता का प्रसाद” कहा गया है।
लक्ष्मी पूजन के बाद खीर का भोग लगाने से घर में सौभाग्य और समृद्धि बनी रहती है।
🫓 3. पूड़ी और कद्दू की सब्जी
उत्तर भारत में दीपावली की सुबह यह पारंपरिक भोजन बनता है।
कद्दू को देवी लक्ष्मी का प्रतीक माना गया है — इसका सेवन नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है।
🧆 4. चने और सूखे मेवे
ऊर्जा और संतुलन का प्रतीक — शरीर और मन दोनों में सकारात्मक शक्ति जगाते हैं।
🍬 5. मिठाइयाँ : बेसन लड्डू, बर्फी और गुजिया
दीपावली का स्वाद मिठाइयों के बिना अधूरा है।
“जितनी मिठास मिठाई में, उतनी ही बातों में हो” — यही दीपावली का संदेश है।
🌸 लक्ष्मी आगमन के भोजन नियम
1️⃣ भोजन सात्विक और ताजे घी में बना होना चाहिए।
2️⃣ प्याज-लहसुन का प्रयोग न करें।
3️⃣ पहले मां लक्ष्मी और गणेश जी को भोग लगाएँ, फिर परिवार भोजन करे।
4️⃣ भोजन में मिठास और प्रेम का भाव अवश्य हो।
5️⃣ दीपावली की रात रसोई में दीप जलाना “अन्न देवता” का सम्मान माना गया है।
🪔 दीपोत्सव का भावनात्मक संदेश
“अंधकार चाहे कितना भी गहरा हो, एक दीपक की लौ उसे मिटा सकती है।”
दीपावली हमें सिखाती है कि बाहरी सफाई जितनी ज़रूरी है, मन की शुद्धि भी उतनी ही आवश्यक है।
इस दिन किया गया दान, सेवा और शुभ कार्य कई गुना फल देता है।
🌺 भैया दूज 2025 : प्रेम, रक्षा और आशीर्वाद का पर्व
दीपावली के दो दिन बाद मनाया जाने वाला भैया दूज भाई-बहन के पवित्र प्रेम का प्रतीक है।
इसे यम द्वितीया भी कहा जाता है।
📜 भैया दूज की पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, यमराज और उनकी बहन यमुना का प्रेम अद्भुत था।
एक दिन यमुनाजी ने अपने भाई को घर आमंत्रित किया, तिलक किया और भोजन कराया।
प्रसन्न होकर यमराज ने वरदान दिया —
“जो बहन इस दिन अपने भाई का तिलक करेगी, वह उसके दीर्घायु और सुख की कामना करेगी।”
तभी से यह परंपरा आज तक चली आ रही है।
💐 भैया दूज पर क्या करें
1️⃣ सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
2️⃣ बहन भाई के माथे पर चंदन या कुमकुम का तिलक लगाए।
3️⃣ पूजा में सुपारी, पान, रोली, मिठाई और नारियल का प्रयोग करें।
4️⃣ भाई बहन को उपहार दे और आशीर्वाद ले।
5️⃣ भोजन में पुए, पूड़ी, हलवा और खीर बनाना शुभ माना गया है।
🌹 भैया दूज का आध्यात्मिक अर्थ
भैया दूज केवल तिलक का पर्व नहीं, बल्कि संबंधों में विश्वास और प्रेम की पुनर्स्थापना का अवसर है।
भाई का प्रण — “मैं सदा तुम्हारी रक्षा करूंगा।”
बहन का आशीर्वाद — “तुम्हारा जीवन दीपों की तरह उज्जवल रहे।”
🕯️ दीप से दीप जले — यही दीपावली का अर्थ
दीपावली और भैया दूज दोनों हमें सिखाते हैं कि रोशनी और रिश्ते जीवन की असली पूंजी हैं।
सात्विक भोजन, मां लक्ष्मी की आराधना और भैया दूज का तिलक —
ये तीनों मिलकर जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, समृद्धि और प्रेम का संगम बनाते हैं।
🪔 हर दीपावली यह संकल्प लें — हम सिर्फ घर नहीं, दिल भी रोशन करेंगे।
महाराजगंज (राष्ट्र की परम्परा)। तिलक एकेडमी इंग्लिश मीडियम स्कूल, पुरैना खंडी चौरा में आयोजित वार्षिक…
गोरखपुर (राष्ट्र की परम्परा)। शहर स्थित एकेडेमिक ग्लोबल स्कूल को स्टार एजुकेशन अवॉर्ड्स 2025 से…
संत कबीर नगर (राष्ट्र की परम्परा)। जिलाधिकारी आलोक कुमार के निर्देश पर बघौली ब्लॉक क्षेत्र…
गोरखपुर (राष्ट्र की परम्परा)। रावेंशा विश्वविद्यालय, कटक में 10 जनवरी 2026 से आयोजित होने वाली…
शाहजहांपुर(राष्ट्र की परम्परा)l कड़ाके की ठंड और शीतलहर के बीच जरूरतमंदों को राहत पहुंचाने के…
शाहजहांपुर(राष्ट्र की परम्परा)l जैतीपुर क्षेत्र के त्रिमधुरम बैसरा ट्रस्ट ने विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास, खेल-कूद…