संत कबीर नगर (राष्ट्र की परम्परा)।
जिला कृषि रक्षा अधिकारी शशांक ने बताया है कि वर्तमान समय में खरीफ की मुख्य फसल धान में कीट रोगों का प्रकोप प्रायः देखा जाता है।
उन्होंने बताया कि कीट- रोग की पहचान कर समय से निवारण करने पर उत्पादकता प्रभावित नहीं होती है कीट रोग के निवारण हेतु निम्नलिखित कृषि रक्षा रसायनों के फसल पर प्रयोग करने की संस्तुति की जाती है।
उन्होंने बताया कि गन्धी बग, यह कीट पीले रंग के शिशु तथा प्रीक विशेष गंध वाले हैl जो बालियों को दुग्धा अवस्था में दानों से रस घूसकर नुकसान पहुचाते हैंl प्रभावित बालियों में दाने नहीं बनते है। प्रबंधन फसल पर गंगी बम का प्रकोष होने पर 1.5 ली० नीम आयल प्रति हे. की दर से 800 ली पानी में मिलाकर छिड़काव करें। गंधी बग के रासायनिक नियंत्रण हेतु मैलाथियान 5 प्रतिशत अथवा कैनवसरेट 0.4 प्रतिशत मूल 25- किग्रा मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से प्रातः या सायं काल बुरकाव करें।
धान में झोका रोग (ब्लास्ट), यह जीवाणु से होने वाला रोग हैl प्रभावित भाग काला हो जाता है और भुरभुरा होकर टूट जाता है। प्रबंधन, रोग लगने की दशा में डेक्साकोनाजोल प्रति ईसी की ली मात्रा प्रति हे. की दर से छिड़काव करें।
झुलसा: पत्तियो पर कई रंग की लम्बी-लम्बी पारियों नसों के बीच में पड़ जाती हैं। प्रबंधन रोग के लक्षण दिखाई यथासमय खेत का पानी निकालकर 15 ग्राम स्ट्रेप्टोमाइसिन 90% + टेट्रासाइक्लीन हाइड्रोक्लोराइड 10% को 500ग्राम कामरी क्लोराइड 50% WP के साथ मिलाकर 500 ली० पानी में घोलकर प्रति है की दर से फसल पर छिड़काव करें।
जीवाणु झुलसा रोग: इस रोग में पत्तियाँ नोंक अथवा किनारे से एकदम सूखने लगती है सूखे हुए किनारे अनियमित एवं टेड़े मेढ़े हो जाते है प्रबंधन : रोग के लक्षण शुरू होते ही अंत में से पानी निकाल देना चाहिए रोग लगने पर नत्रजन का प्रयोग रोक दें। रासायनिक नियंत्रण हेतु 15 ग्राम स्ट्रेप्टोमाइसिन 90%+टेट्रासाइक्लीन हाइड्रोक्लोराइड 10% को 500 ग्राम कापर ऑक्सी क्लोराइड 50% WP के साथ मिलाकर 500 ली० पानी में घोलकर प्रति देव की दर से फसल पर छिड़काव करें।
More Stories
घर में लगी आग गुजर बसर का सारा सामान जलकर खाक
श्रीमद्भागवत कथा अमृत वर्षा का हुआ समापन रात भर झूमे लोग
डा. परविंदर सिंह का नाम एशिया बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्डस में दर्ज