बलरामपुर (राष्ट्र की परम्परा)। उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले में स्थित देवीपाटन मंदिर का इतिहास अत्यंत प्राचीन और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। इसे 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। मान्यता है कि यहीं पर माता सती का बायां स्कंध कंधा और पाठ वस्त्र गिरे थे। वहीं बिहार की राजधानी पटना में स्थित पाटन देवी मंदिर भी एक प्रमुख शक्तिपीठ है, जहां देवी सती की दाहिनी जांग गिरी थी।
ऐतिहासिक महत्व
देवीपाटन मंदिर की स्थापना गुरु गोरखनाथ ने की थी। बाद में मौर्य वंश के राजा विक्रमादित्य ने इसका विकास कराया। यहां त्रेता युग से अखंड धूनी जल रही है, जो इस स्थान की दिव्यता और आस्था का प्रतीक मानी जाती है।
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धार्मिक महत्व
नवरात्रि के दौरान देवीपाटन मंदिर में देशभर से हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं। भक्तगण मां पाटन देवी के दर्शन कर मनोकामना पूर्ण करने की प्रार्थना करते हैं।
शक्तिपीठ की कथा
किंवदंती के अनुसार, पटना में स्थित पाटन देवी मंदिर को “पटनेश्वरी भगवती” के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि यहीं पर देवी सती की दाहिनी जांग गिरी थी।
शहर से संबंध
माना जाता है कि पाटन देवी मंदिर ने सदियों से पटना शहर की रक्षा की है। किंवदंती है कि इसी मंदिर के नाम पर बिहार की राजधानी का नाम पटना पड़ा।
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