बुद्धिमान लोग प्राय: जवाब होते
हुए भी पलट कर नहीं बोलते हैं,
क्योंकि रिश्तों को बनाये रखने के
लिए चुप रहना ही जरूरी होता है।
जब तक हम प्रतिक्रिया नहीं देते,
तब तक किसी व्यक्ति या किसी
परिस्थिति से असहज नहीं होते हैं,
ऐसे लोग शांत व धैर्य शील होते हैं।
मौन रहना बहुत बड़ी साधना है,
सोच समझ कर बोलना कला है,
प्रातः काल की सकारात्मक सोच
पूरा दिन खुश रहने की ज़रूरत है।
बड़े भाग्य मानुष तनु पावा ।
सुर दुर्लभ सब ग्रंथन गावा ॥
कोटि कोटि आभार प्रभू का।
सौभाग्य दिया नरतनु पाने का॥
मन में करुणा, क्षमा व सद्भावना,
मृदु भाषी व परोपकार की भावना,
आदित्य इस जीवन का सार यही है,
मानव तन पाने का संस्कार यही है।
डा० कर्नल आदि शंकर मिश्र
‘आदित्य’
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