महराजगंज(राष्ट्र की परम्परा)। जो लोगों के दूसरों के साथ बातचीत करने, संवाद करने, सीखने और व्यवहार करने के तरीके को प्रभावित करता है। हालांकि ऑटिज्म का निदान किसी भी उम्र में किया जा सकता है, लेकिन इसे विकासात्मक विकार के रूप में वर्णित किया जाता है क्योंकि लक्षण आमतौर पर जीवन के पहले दो वर्षों में दिखाई देते हैं। उक्त बाते गोरखपुर सानवी हेल्थ केयर गोरखपुर के चाइल्ड साइको लाजिस्ट डाक्टर शुभम पांडेय ने कही ।
उन्होंने कहा कि आज के परिवेश में यह सब ज्यादे बच्चो में ही पाया जाता है। बड़े लोगों के साथ संवाद और बातचीत करना कठिन लगता है। यह समझना कठिन है कि दूसरे लोग क्या सोचते या महसूस करते हैं।चमकदार रोशनी या तेज आवाज जैसी चींजों को भारी तनावपूर्ण या असुविधाजनक पाना
अपरिचित स्थितियों और सामाजिक घटनाओं के बारे में चिंतित या परेशान होना।
उन्होंने कहा कि बच्चो में ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर एक विकासात्मक विकलांगता है। यह हर बच्चे में अलग-अलग दिख सकता है। यह दैनिक जीवन को प्रभावित कर सकता है। ऐसे बच्चों में उनके संचार, सामाजिक संपर्क और व्यवहार में विकासात्मक अंतर होता है। पुरुषों में ऑटिज्म होने की संभावना महिलाओं की तुलना में चार गुना अधिक होती है, जिसमें एक हजार पुरुषों में 36.5 और एक हजार महिलाओं में 8.8 ऑटिज्म पाया जाता है। ए एसडी के लक्षण 12-18 महीने की उम्र में ही दिखाई दे सकते हैं।बच्चों में ऑटिज़्म के लक्षणएएसडी के लक्षणों में सामाजिक- संचार में कठिनाई और दोहरावपूर्ण व्यवहार या सीमित रुचियां शामिल हैं। एएसडी वाले कुछ बच्चों में केवल कुछ विशेषताएं होती हैं। अन्य बच्चों में कई लक्षण हो सकते हैं। एएसडी वाले बच्चों में व्यवहार संबंधी चुनौतियां होना आम बात है। इन चुनौतियों में नखरे, चिंताएं या ध्यान केंद्रित करने में परेशानी शामिल हो सकती है।
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