Saturday, December 27, 2025
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1971 के रण में अदम्य पराक्रम की मिसाल: परमवीर चक्र विजेता लांस नायक अल्बर्ट एक्का

जयन्ती पर विशेष- पुनीत मिश्र

भारत के सैन्य इतिहास में 1971 का भारत–पाकिस्तान युद्ध अद्वितीय शौर्य, रणनीतिक कुशलता और सर्वोच्च बलिदान का प्रतीक है। इसी युद्ध में भारतीय सेना के जिस वीर सपूत ने अपने अदम्य साहस से इतिहास रचा, वे थे परमवीर चक्र से सम्मानित लांस नायक अल्बर्ट एक्का। उनकी जयंती देशभक्ति, कर्तव्यनिष्ठा और राष्ट्र के लिए सर्वस्व न्योछावर करने की प्रेरणा का अवसर है।
लांस नायक अल्बर्ट एक्का का जन्म झारखंड (तत्कालीन बिहार) के एक साधारण आदिवासी परिवार में हुआ। सीमित संसाधनों और कठिन परिस्थितियों में पले-बढ़े अल्बर्ट एक्का के भीतर बचपन से ही साहस और देशसेवा की भावना विद्यमान थी। भारतीय सेना में भर्ती होकर उन्होंने बिहार रेजिमेंट में अनुशासन, परिश्रम और वीरता के बल पर अपनी अलग पहचान बनाई।
1971 के युद्ध के दौरान पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान बांग्लादेश) के गंगासागर क्षेत्र में भारतीय सेना को शत्रु की सुदृढ़ रक्षा व्यवस्था का सामना करना पड़ा। दुश्मन के बंकर, मशीनगन पोस्ट और बारूदी अवरोध भारतीय टुकड़ियों की प्रगति में बड़ी बाधा बने हुए थे। ऐसे निर्णायक क्षण में लांस नायक अल्बर्ट एक्का ने असाधारण साहस का परिचय दिया। उन्होंने जान की परवाह किए बिना शत्रु के बंकरों पर धावा बोला और अत्यंत निकट से हमला कर कई दुश्मन ठिकानों को ध्वस्त कर दिया।
गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद उन्होंने पीछे हटने से इनकार कर दिया। अंतिम सांस तक लड़ते हुए उन्होंने दुश्मन की मशीनगन पोस्ट को नष्ट किया, जिससे भारतीय सेना को आगे बढ़ने का मार्ग मिला और अभियान को निर्णायक सफलता प्राप्त हुई। अंततः राष्ट्र की रक्षा करते हुए वे वीरगति को प्राप्त हुए, लेकिन उनका पराक्रम युद्ध की दिशा बदलने में निर्णायक सिद्ध हुआ।
लांस नायक अल्बर्ट एक्का के इस अद्वितीय शौर्य और सर्वोच्च बलिदान के लिए उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। यह सम्मान केवल एक वीर सैनिक का नहीं, बल्कि उस भावना का प्रतीक है जो देश की एकता, अखंडता और सम्मान के लिए अपने प्राणों की आहुति देने को तत्पर रहती है।
अल्बर्ट एक्का का जीवन और बलिदान यह सिखाता है कि सच्चा साहस परिस्थितियों से नहीं, बल्कि संकल्प से जन्म लेता है। उनकी शौर्यगाथा आज की पीढ़ी को कर्तव्य, अनुशासन और राष्ट्रप्रेम के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है। उनकी जयंती पर उन्हें नमन करते हुए यह संकल्प लेना ही सच्ची श्रद्धांजलि है कि हम देशहित को सर्वोपरि रखेंगे और उनके आदर्शों को अपने जीवन में आत्मसात करेंगे।
परमवीर चक्र विजेता लांस नायक अल्बर्ट एक्का की अमर गाथा सदैव यह स्मरण कराती रहेगी कि भारत की सुरक्षा और सम्मान ऐसे ही वीर सपूतों के अदम्य साहस और बलिदान से सुरक्षित है।

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