हर वर्ष 24 अक्टूबर को वर्ल्ड पोलियो डे मनाया जाता है। यह दिवस केवल पोलियो बीमारी के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए ही नहीं बल्कि पोलियो वैक्सीन के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले वैज्ञानिक जोनास साल्क को सम्मानित करने के लिए भी मनाया जाता है। पोलियो एक अत्यंत संक्रामक बीमारी है, जो मुख्यतः बच्चों को प्रभावित करती है और गंभीर मामलों में स्थायी पक्षाघात या मृत्यु का कारण बन सकती है।
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पोलियो और इसका प्रभाव
पोलियो, जिसे पोलियोमाइलिटिस भी कहा जाता है, वायरल संक्रमण है जो नसों पर हमला करता है। पोलियो से संक्रमित व्यक्ति में बुखार, थकान, सिरदर्द, उल्टी और मांसपेशियों में दर्द जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। कुछ मामलों में यह बीमारी पक्षाघात का कारण बन सकती है। बीसवीं सदी के मध्य तक पोलियो ने वैश्विक स्तर पर लाखों बच्चों के जीवन को प्रभावित किया।
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जोनास साल्क और पोलियो वैक्सीन
1955 में जोनास साल्क ने पोलियो के खिलाफ पहला सुरक्षित और प्रभावी इनैक्टिव पोलियो वैक्सीन (IPV) विकसित किया। इस खोज ने पोलियो से लड़ाई में क्रांतिकारी बदलाव लाया। साल्क की वैक्सीन ने न केवल बच्चों को पोलियो से बचाया बल्कि दुनिया भर में पोलियो के मामलों में तेज़ी से गिरावट लाई। साल्क ने जीवन भर यह विश्वास रखा कि वैक्सीन को लाभ कमाने के उद्देश्य से नहीं बल्कि मानवता की सेवा में उपयोग किया जाना चाहिए।
वर्ल्ड पोलियो डे का महत्व
वर्ल्ड पोलियो डे का उद्देश्य केवल वैक्सीन की उपलब्धता का जश्न मनाना नहीं है, बल्कि लोगों में जागरूकता फैलाना और यह सुनिश्चित करना भी है कि हर बच्चा पोलियो से सुरक्षित रहे। इस दिन विभिन्न स्वास्थ्य संगठन, सरकारें और एनजीओ मिलकर पोलियो अभियान चलाते हैं। पोलियो मुक्त दुनिया का सपना तभी साकार हो सकता है जब हर बच्चे तक वैक्सीन पहुंचे।
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भारत और पोलियो उन्मूलन
भारत ने पोलियो उन्मूलन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति की है। 1985 से व्यापक पोलियो टीकाकरण कार्यक्रम चलाए गए, और 2014 में भारत को पोलियो मुक्त देश घोषित किया गया। यह सफलता केवल सरकारी प्रयासों के कारण नहीं, बल्कि समुदाय के जागरूक योगदान और स्वास्थ्य कर्मचारियों की मेहनत का परिणाम भी है।
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आगे की राह
हालांकि भारत में पोलियो नियंत्रण में है, लेकिन दुनिया के कुछ हिस्सों में यह अभी भी खतरा बना हुआ है। इसलिए नियमित टीकाकरण और जागरूकता अभियान जारी रखना अनिवार्य है। वर्ल्ड पोलियो डे हमें याद दिलाता है कि स्वास्थ्य सुरक्षा केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हर नागरिक का कर्तव्य भी है।
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