बेल पत्र प्रिय शिव जी को, यह शिव पुराण है कहता,
बिल्वपत्र में शिव की चाहत, बिल्वाष्टक भी कहता।
बेलपत्र की तीन पत्तियाँ,एक पत्र मानी जाती,
स्वच्छ, समूचे बेलपत्रों से,शिवलिंग पूजा की जाती।
राम नाम चंदन से लिख,शिवलिंग को अर्पित करते,
जलधारा के साथ सदा,शिव जी को समर्पित करते।
“ॐ त्रिगुणम त्रिगुणाकारम,
त्रयनेत्रम त्रय जन्मपाप संहारक़म,
त्रय बेलपत्रम अहं शिवम् समर्पितौ,”
के शुभ मंत्र का जाप भी करते हैं।
बेल पत्र से शिव लिंग पूजा,सारे पाप नष्ट हो जाते हैं,
इस महत्व का विधिवत वर्णन, स्कन्ध पुराण में पढ़ते हैं।
एक बार माँ पार्वती को,श्रम वश बहुत पसीना आया,
तब माता ने तर्जनी से, श्वेद कणों को झटकाया।
श्वेदकणों की कुछ बूँदे,मन्दार शिखर पर बरस गयीं,
बिल्ववृक्ष ने जन्म लिया, शिव की रुचि प्रकट हुईं।
बिल्वपत्र की पवित्रता में, माँ पार्वती प्रिय निवास है,
माता के अनेक रूपों का, बेलपत्र में मधुर वास है।
बिल्ववृक्ष की जड़मूलों में, माँ गिरिजा जी रहती हैं,
स्तंभ तने में माँ महेश्वरी, शाखाओं में माँ दक्षयायनी।
इनके पत्रों में माँ पार्वती,इनके फूलों में माता गौरी,
फलों में माँ कात्यायनी, अलौकिक निवास करती हैं।
लक्ष्मी माँ बिल्वपत्र से प्रसन्न,इनमें निवास करती हैं,
ऐश्वर्यवान वह होता जब, माँ लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।
घर आँगन में बिल्ववृक्ष हो, शिवप्रिया का वास वहीं है,
विष्णु प्रिया माता लक्ष्मी उस घर को सारा वैभव देती हैं।
बिल्वपत्र के औषधीय गुण,अत्यंत अलौकिक होते हैं,
बिल्वपत्र रस, मधू मिश्रण से, वात, पित्त, कफ दूर होते हैं।
बेलफलों का शरबत पीकर, शीतलता मिलती है,
इनका रस आँखों में जाकर, नेत्र ज्योति बढ़ती है।
ख़ाली पेट पियें 11 पत्तों का रस,सिर दर्द ग़ायब हो जाये,
बेलपत्र की विस्तृत महिमा, विधिवत आयुर्वेद बताये।
बेलपत्र, श्रीफल या सदाफल,शिवजी को प्यारे,
भंग, धतूरा, मन्दार फल, शिव जी को अर्पित करते।
सर्व मंगल मांगल्ये, शिवे सर्वार्थ साधिके,
शरण्ये त्रयम्बके गौरी,नारायणी नमोंsस्तुते।
मन्दार माला कुलिताल काये,
कृपाल मालाँकित शेख़राये,
दिव्यंबराये च दिव्यंबराये,
नम: शिवाय च नम: शिवाय।
श्रावण मास में सोमवार रुद्राभिषेक सबको करना,
108 बेलपत्र से शिवजी का, विधिवत अर्चन करना।
शिव की महिमा शिव ही जाने, हम तो उनके सेवक हैं,
शिव भक्त ‘आदित्य’ रहें, शिव सत्य हैं, शिव सुंदर हैं।
कर्नल आदि शंकर मिश्र, ‘आदित्य’
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