लखनऊ (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान विद्या भारती के तत्वावधान में सरस्वती शिशु मंदिर के एक बड़े प्रकल्प को नए स्वरूप में प्रस्तुत किया गया। इस अवसर पर आयोजित उद्घाटन समारोह में शिक्षा, संस्कृति और समाज से जुड़े कई प्रमुख अतिथि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का आयोजन [कार्यक्रम स्थल का नाम] में किया गया, जहां बड़ी संख्या में शिक्षाविद्, विद्यार्थी, अभिभावक और समाजसेवी भी मौजूद रहे।
मुख्य अतिथि के रूप में पधारे मुख्यमंत्री दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। अपने उद्बोधन में उन्होंने कहा कि शिक्षा केवल रोजगार का साधन भर नहीं है, बल्कि यह जीवन निर्माण की प्रक्रिया है। इसी सोच को लेकर विद्या भारती ने यह नया शैक्षिक प्रकल्प तैयार किया है।
विद्या भारती का मानना है कि “विद्या वह है, जो हमारी मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करे।” इसी भावना को केंद्र में रखते हुए इस प्रकल्प को नए रूप में प्रस्तुत किया गया है। इसमें विद्यार्थियों को न केवल आधुनिक शिक्षा दी जाएगी, बल्कि उन्हें भारतीय संस्कृति, परंपराओं और जीवन मूल्यों से भी जोड़ा जाएगा।
आयोजकों ने बताया कि इस प्रकल्प का उद्देश्य विद्यार्थियों के व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास करना है। उन्हें जीवनोपयोगी, संस्कारयुक्त और समाजोन्मुख शिक्षा प्रदान की जाएगी, जिससे वे परिवार, समाज और राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों का निष्ठापूर्वक निर्वहन कर सकें।
कार्यक्रम में वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि शिक्षा अनुशासन, नैतिकता और राष्ट्रीय चेतना के साथ जुड़ी होनी चाहिए। यही कारण है कि विद्या भारती द्वारा समय-समय पर चलाए गए शैक्षिक अभियानों की तरह यह प्रयास भी समाज को नई दिशा देने वाला साबित होगा।
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