
बहराइच (राष्ट्र की परम्परा)। चिलचिलाती गर्मी के साथ चल रही गर्म हवा स्वस्थ व्याक्ति को भी नुकसान पहुँचा सकती है।इस मौसम मे बगैर खाये पिये बाहर निकलने से कोई भी व्यक्ति हीट स्ट्रोक( लू )का शिकार हो सकता है।ध्यान न देने पर यह हीट स्ट्रोक गम्भीर रूप धारण कर सकता है।गर्मी के मौसम मे लू चलते ही सबसे ज्यादा हीट स्ट्रोक के ही मरीज आते है।स्वस्थ व्यक्ति भी इसके शिकार हो सकते है।यह बातें सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पयागपुर के अधीक्षक डा धीरेंद्र कुमार त्रिपाठी ने जानकारी देते हुए कही।उन्होंने कहा कि इस मौसम मे जब तापमान बढ़ जाता है तो लू चलने लगती है।ऐसे मे अगर कोई व्यक्ति बहुत देर तक इस वातावरण मे रहता है तो उसके शरीर के तापमान मे अचानक परिवर्तन होने लगता है।तथा शरीर मे मौजूद जल की मात्रा कम होने लगती है।और उसकी त्वचा सूखने लगती है।शरीर का तापमान 37 डिग्री सेंटीग्रेड होता है और जब शरीर का तापमान उससे ऊपर बढ़ने लगता है।इसे हीट स्ट्रोक कहा जाता है।गर्मियों की यह बीमारी काफी खतरनाक होती है।इससे बेहोशी और संधि पार तक हो सकता है।जिससे शरीर के दूसरे अंग भी प्रभावित हो सकते है।गुर्दे और लीवर पर भी इसका असर पड़ सकता है।डा0 त्रिपाठी ने बताया कि ऐसे व्यक्ति के शरीर को ठण्डा रखने की कोशिश करनी चाहिए।उसके तुरंत बाद किसी डाक्टर के पास ले जाना चाहिए।बच्चों को इस मौसम मे विशेष रूप से बचाने की कोशिश करनी चाहिए।यदि लू लग गयी तो बुखार चढ़ने लगता है।बुखार के ज्यादा बढ़ने पर मस्तिष्क के भीतर के तापमान वाला केन्द्र(हाईपोथैलम्प)काम करना बन्द कर देता है और बच्चों को ज्यादा खतरा हो सकता है।लू में शरीर को ढक कर रखना चाहिए।बच्चों को बुखार हो जाये तो तुरंत पानी से हाथ पैर और सिर पोंछना चाहिए ।उन्होंने कहा कि बर्फ का पानी नहीं पीना चाहिए और यदि उल्टी होने लगे तो नींबू, नमक,और ओआरएस का घोल पीना चाहिए।
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