पुलिसिया रौब दिखाते हुए दुबारा थाने में दिखाई पड़ने पर अंजाम भुगतने की दी धमकी
कोतवाल कर्नलगंज के हिटलरशाही रवैये से पत्रकारों में आक्रोश।
गोंडा( राष्ट्र की परम्परा )l एक तरफ प्रदेश के मुख्यमंत्री जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारियों को आम जनता व लोकतंत्र के चौथे स्तंभ कहे जाने वाले पत्रकारों से विनम्रतापूर्वक और सम्मान के साथ बात कर उनसे पेश आने की सख्त हिदायत दे रहे हैं। वहीं इसके विपरीत गोंडा जिले में प्रशासनिक अधिकारी अपनी सीमाओं को लांघकर अर्मादित आचरण कर प्रशासनिक सेवा पर दाग लगाने का काम कर रहे हैं। इस समय आये दिन जिस तरह से प्रशासनिक अधिकारी पत्रकारों को लेकर जो नाराजगी दिखा रहे हैं,इससे पत्रकार जगत हतप्रभ और स्तब्ध है और लोगों में आक्रोश है। ताजा मामला कोतवाली कर्नलगंज का है। जहां एक पीड़ित की खबर कवरेज करने गए एक निष्पक्ष एवं निर्भीक पत्रकार के साथ कोतवाल श्रीधर पाठक नेे अभद्रता की सीमा लांघते हुए न केवल उन्हें थाना परिसर में दुबारा दिखाई पड़ने पर अनगिनत धारायें लगाकर जेल भेजने की धमकी दी बल्कि उनका फोन भी अपने एक दरोगा से छिनवाकर वीडियो डिलीट कर फोन फार्मेट करने को कहकर फोन ले लिया गया। जिसकी शिकायत जिले से लेकर शासन स्तर तक आला अधिकारियों से की गई है। इस निंदनीय घटना को लेकर काफी संख्या में पत्रकारों ने गहरी नाराजगी जाहिर की है और बेलगाम कोतवाल व उनके अधीनस्थों पर कार्रवाई करने की मांग की है,अन्यथा आंदोलन करने की चेतावनी दी है।
पीड़ित पत्रकार महादेव प्रसाद मौर्य ने प्रदेश के मुख्यमंत्री,पुलिस महानिदेशक, अपर पुलिस महानिदेशक,पुलिस अधीक्षक गोंडा को ईमेल के माध्यम से भेजकर अवगत कराया है कि वह पेशे से एक दैनिक समाचार पत्र का स्थानीय पत्रकार है,जो क्षेत्र की जनसमस्याओं व अपराधिक घटनाओं और अन्य मुद्दों को समाचार पत्र- सोशल मीडिया के माध्यम से शासन प्रशासन के संज्ञान में लाने का कार्य करता है। दिनांक 18 दिसंबर 2024 को एक पीड़ित के परिजन के माध्यम से फोन पर मिली सूचना पर कोतवाली कर्नलगंज गये थे। जहां देखा कि एक पुरूष उपनिरीक्षक पीड़िता की तहरीर लेकर उनसे सुलह समझौते की बात कर रहे थे,जब पीड़िता व उसके परिजन सुलह समझौते पर सहमत नहीं हुए तब उन्हें प्रभारी निरीक्षक श्रीधर पाठक कोतवाली कर्नलगंज के पास भेज दिया गया। जहां पर प्रभारी निरीक्षक भी पीड़ित परिजन पर काफी देर तक सुलह समझौते का अनावश्यक मानसिक दबाव बनाते रहे और पीड़ित परिजन के ना मानने पर उपरोक्त प्रभारी निरीक्षक पीड़िता को अभद्र भाषा का प्रयोग करने लगे। तभी वह अपनी मोबाइल से वीडियो बनाने लगा। वीडियो बनाते देखकर प्रभारी निरीक्षक श्रीधर पाठक भड़क उठे और अपमान जनक शब्द का प्रयोग कर अभद्रता पर उतारू हो गये और एक उपनिरीक्षक को बुलाकर उनके फोन को छिनवाकर वीडियो डिलीट करने और फोन फार्मेट करने को कहा तथा फोन ले लिया गया,जिस पर पत्रकार ने कहा कि यह उनका काम है और उन्हें करने दें,तो उन्होंने पुलिस कर्मियों से कहा कि इन पत्रकार महोदय की पूरी क्राईम हिस्ट्री निकालो और इनके ऊपर गंभीर से गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज करके जेल भेज दो,जिससे यह पत्रकारिता करना भूल जायें। प्रभारी निरीक्षक ने पुलिसिया रौब जमाते हुए धमकी देकर कहा कि आज के बाद थाना परिसर में दुबारा दिखाई ना पड़ना नहीं तो अंजाम बहुत बुरा होगा। इसके बाद कोतवाली कार्यालय में कंप्यूटर पटल पर मौजूद एक कांस्टेबल ने नाम, पता व मोबाइल नंबर दर्ज करके धमकाते हुए कहा कि आज से तुम दूसरों का फोटो वीडियो बनाना तो दूर खुद की फोटो खींचना भूल जाओगे। उसके फोन में निजी आवश्यक दस्तावेज, बैंक खाता संबंधी अप्लीकेशन, डिटेल, फोन कवर में पांच सौ रुपए का नोट व ओरिजनल आधार कार्ड रखा था जिसे कोतवाली पुलिस ने ले लिया है जो आज तक नहीं दिया गया है। उसने मोबाइल रेडमी 13 सी जो अक्टूबर माह 2024 में खरीदी गई थी,जिसकी कीमत करीब 12,500 रूपये है। वहीं पीड़िता को भी थाने में रात्रि करीब 11 बजे तक रोके रहे और उसे मेडिकल कराने के लिए एक ग्राम चौकीदार के साथ सरकारी अस्पताल कर्नलगंज भेजा गया। इस निंदनीय घटना को लेकर काफी संख्या में पत्रकारों ने गहरी नाराजगी जाहिर की है और बेलगाम कोतवाल व उनके अधीनस्थों पर कार्रवाई करने की मांग की है,अन्यथा आंदोलन करने की चेतावनी दी है।
मामले में पुलिस अधीक्षक विनीत जायसवाल से उनके सीयूजी नंबर पर संपर्क कर उनकी प्रतिक्रिया जानने का प्रयास किया गया,लेकिन फोन नेटवर्क क्षेत्र से बाहर होने से उनका पक्ष नहीं जाना जा सका।
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