जिला उद्यान अधिकारी ने खांव खड्डा कुशीनगर में अत्याधुनिक मृदा परीक्षण मशीन का किया उद्घाटन
मिट्टी में मौजूद 17 प्रकार के पोषक तत्वों की मिलेगी जानकारी
कुशीनगर(राष्ट्र की परम्परा) ग्रीन बिजनेस पहल के तहत मंगलवार को जागृति समर्थित ‘पडरौना एग्री एफपीओ‘ खांव खड्डा कुशीनगर में मृदा परीक्षण मशीन का उद्घाटन जिला उद्यान अधिकारी कृष्ण कुमार ने किया। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार शरीर को स्वस्थ व तंदुरुस्त रखने के लिए हमें नियमित जांच की आवश्यकता पड़ती है उसी प्रकार हमारी मिट्टी भी है। इसमें भी तमाम तरह के पोषक तत्वों की जरूरत होती है। जिनकी कमी के कारण फसल उत्पादन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। अगर हम समय रहते मिट्टी की जांच कराकर उसके स्वास्थ्य के अनुसार उर्वरक का इस्तेमाल करें तो इससे फसल की लागत कम होगी ही पैदावार भी बढ़ जाएगा।
एफपीओ निदेशक उमेश कुमार ने कहा कि यह मृदा परीक्षण मशीन अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है। इसके माध्यम से एक घंटे के भीतर मृदा परीक्षण की प्रक्रिया पूरी हो जाती है। मृदा परीक्षण मशीन मिट्टी में उपलब्ध 17 प्रकार के पोषक तत्वों की जानकारी प्रदान करती है। जागृति के उद्यम कोर मनोज वर्मा ने बताया कि जागृति विभिन्न कार्यक्रमों, नवाचारों के माध्यम से देवरिया, कुशीनगर, गोरखपुर जिले के युवाओं, महिलाओं, किसानों को उद्यम के सहारे सशक्त और समृद्ध बनाने का मार्ग प्रशस्त कर रही है। उन्होंने युवाओं, महिलाओं, किसानों के लिए जागृति की ओर से चलाए जा रहे कार्यक्रमों की जानकारी दी। इस दौरान लघु कृषक कृषि-व्यवसाय संघ के पदाधिकारी संदीप कुमार, तरुण कुमार, एसएमएस दीपक कुमार, जागृति के उद्यम मित्र धीरेंद्र यादव, विवेक विश्वकर्मा समेत नौ अलग-अलग एफपीओ के किसान मौजूद रहे।
ऐसे संग्रह करें मिट्टी का नमूना
विषय वस्तु विशेषज्ञ सिद्धेश्वर गोड़ ने बताया कि जब खेत खाली हो तो चारो किनारे व बीच से नमूना संग्रह किया जाता है। जहां से मिट्टी लेनी हो वहां से घास-फूस साफ कर पांच से आठ सेंटीमीटर नीचे से मिट्टी निकालकर मिला देना चाहिए। लगभग पांच सौ ग्राम मिट्टी पॉलिथीन में भरकर परीक्षण के लिए उपलब्ध कराएं।
मृदा परीक्षण से लाभ
मृदा परीक्षण से मिट्टी में उपलब्ध पोषक तत्वों की जानकारी मिलती है।अनावश्यक उर्वरक के प्रयोग में कमी आने से लागत कम आती है।मिट्टी की सेहत पता चलने से समय पर उपचार में मदद मिलती है।मिट्टी की सेहत का ख्याल रखने से आगे की पीढियों को सहूलियत मिलती है।
फसलों में लगने वाले मिट्टी जनित रोग
पौधों की पत्ती पीला पड़ना।
पौधों के समुचित विकास में कमी।
पत्तियों में सिकुड़न होना।
बालियों में दाने कम होना।
पौधों का कमजोर होना।
सब्जी या फलों का फटना।
दानों में चमक न होना।
सब्जी या फलों में सड़न होना।
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