
सत्य, अहिंसा, कोमलता, त्याग,
दया इंसान के सद्गुण कहलाते हैं,
गीता में वर्णित गुणों में यह सभी
मानव के दिव्य गुण माने जाते हैं।
ये दीर्घ जीवन के आधार प्रबल हैं,
इनका असर अन्य गुणों पर पड़ता है,
कोमलता, मृदुलता मानव के गुण
मानवीय सद्गुणों के ही संपोषक हैं।
कोमल स्वभाव का सहारा पाकर
इंसान प्राणिमात्र के प्रति ही नहीं,
वनस्पतियों व जड़ पदार्थों के प्रति
भी आत्मीय भाव प्राप्त कर लेता है।
चिंतनशीलता अद्भुत तब्दीली लाती है,
सब उसको अपना लगने लगता है,
उसका प्रेम भाव मन, वचन और क़र्म
से किसी का अहित न करने देता है।
सबका हितसाधन ध्येय बन जाता है,
समाज में परिवर्तन सुधार ले आता है,
आचरण की मृदुलता शत्रु को ही नहीं,
पशु पक्षी को भी आत्मीय बनाता है।
राग मेघ मल्हार से मेघ आगमन और
वर्षा, मृदुलता भाव के परिणाम ही हैं,
रोगियों की चिकित्सा में भी संगीत
व गायन से पूरा उपचार हो जाता है।
इसके विरुद्ध ईर्ष्या, द्वेष, छल-कपट
समाज व संसार में कटुता फैलाते हैं,
शत्रुता व नकारात्मकता व्याप्त कर,
इंसान परस्पर ही घातक हो जाते हैं।
मृदुलता कोमलता से सबके बीच
गहरा तादात्म्य स्थापित हो जाता है,
रामायण के पात्र श्रीराम जैसा ही,
जीवन जीना अति कोमल हो जाता है।
अति कोमल रघुबीर सुभाऊ।
जद्यपि अखिल लोक कर राऊ॥
मिलत कृपा तुम्ह पर प्रभु करिहीं।
उर अपराध न एकउ धरिहीं ॥
श्रीराम चंद्र का स्वभाव कोमलता व
मर्यादा का बहुत उत्तम उदाहरण है,
कठोरता नकारात्मकता के लक्षण
श्रीराम के जीवन में कहीं न दिखते हैं।
आदित्य समाज व संसार के लिए,
श्रीराम जैसा बनकर ही समाज को,
मृदुलता कोमलता भाव ज़रूरी हैं,
मानव को सही दिशा दशा देनी हैं।
•कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’
लखनऊ
More Stories
खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम ने पनीर के दो नमूने किये संग्रह
देवरिया पुलिस का ‘मार्निंग वॉकर चेकिंग’ अभियान, आमजन से सीधा संवाद और सुरक्षा का भरोसा
बैंक, एटीएम व पेट्रोल पंपों की हुई सघन चेकिंगदेवरिया पुलिस का सुरक्षा अभियान, जनता में भरोसा मजबूत करने की पहल