December 23, 2024

राष्ट्र की परम्परा

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बखिरा डेवलपमेंट प्लान अंतर्गत एग्रो टूरिज्म कोर ग्रुप की बैठक सम्पन्न

संत कबीर नगर (राष्ट्र की परम्परा)। पर्यावरणविद् डॉ. उमर सैफ की अध्यक्षता में बखिरा झील डेवलपमेंट प्लान अंतर्गत एग्रो टूरिज्म कोर ग्रुप के सदस्यों की ऑनलाइन बैठक शुक्रवार को संपन्न हुई।
बैठक में डॉ. उमर सैफ द्वारा बताया गया कि विश्व में मिशन लाइफ अंतर्गत जैव विविधता का संरक्षण एवं सफाई के महत्व को ध्यान में रखते हुए कुल 17 लक्ष्य निर्धारित है, जिससे ग्रीन रिवॉल्यूशन भी शामिल है। विश्व में भुखमरी एक महत्वपूर्ण मुद्दा हैl इसके उपरांत एक अच्छा स्वास्थ्य सभी को चाहिए जिसमें कीटनाशक के प्रयोग को रोकते हुए खाद्य का उत्पादन, मछलियां, फल, अनाज, सब्जियां इत्यादि का उत्पादन किया जाना होता है। जलवायु प्रभाव- जिसमें बढ़ता हुआ तापक्रम, वनस्पतियों का विस्थापन, मानसून का देर से आना या असंतुलित होना, गर्म हवाओं का चलना यह सब पाया जाता है इन्हें प्राकृतिक रूप से संतुलित किया जाना है।
उन्होंने कहा कि प्राकृतिक उत्तरदायी उत्पादन (रिस्पांसिबल प्रोडक्शन एंड कंजप्शन) के अंतर्गत हम फसलों का उत्पादन, चारे का उत्पादन इस प्रकार से करें कि उनके सह उत्पाद खेती में प्रयोग हो। जैसे चारे का उत्पादन करने से उसे पशु खाते हैं और पशुओं के मलमूत्र का खेती में प्रयोग होता हैl एक वैज्ञानिक तरीके से ऊर्जा का संचार प्रकृति में बना रहता है। पशुओं की वैकल्पिक प्रयोग के लिए यह जरूरी होगा कि बैलों को रहट, ढेकली जैसे कार्यों में लगाएं जिससे कि उनकी ऊर्जा का एक तर्कसंगत इस्तेमाल हो सके।
उपनिदेशक कृषि डॉ. राकेश कुमार सिंह ने बखिरा डेवलपमेंट का एक्शन प्लान के संबंध में बताया कि बखिरा झील से लगी हुई ग्राम सभाओं की पूरी न्याय पंचायत को इसके अंतर्गत शामिल किया जाए जिसमें बखिरा से झील से सटी हुई ग्रामों का क्षेत्रफल भी हो और उसे दूरस्थ क्षेत्रफल जो उसे न्याय पंचायत में आते हैं वह भी शामिल हो। ऐसे किसान का विवरण तैयार कर लिया जाए।
प्रोग्रेसिव फार्मर समूह का निर्माण हेतु इस क्षेत्र में कृषक उत्पादक संगठन, कृषि के समूह, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन अंतर्गत निर्मित समूह जो पहले से कार्य कर रहे हैं उन्हें चिन्हित कर लिया जाए अथवा नए समूह का निर्माण कर दिया जाए जो की पहले से मछली पालन, बागवानी, एल्गी प्रोडक्शन, एग्रो फॉरेस्ट्री, एग्रीकल्चर इत्यादि कार्य कर रहे हो इन समूहों के माध्यम से उनमें एक्सपोजर विजिट, सभाए, गोष्ठी इत्यादि के माध्यम से प्रचार प्रसार किया जाए, कृषि विज्ञान केंद्र के फ्रंट लाइन डेमोंसट्रेशन, कृषि विभाग के डेमोंसट्रेशन व अन्य विभाग के प्रदर्शन इन क्षेत्रों में आयोजित किए जाएं। इन समूहों को लीड फार्मर के रूप में तैयार किया जाए शुरुआत में इन समूहों को मजबूती प्रदान करें। इन समूह के साथ निजी कंपनियों को भी जोड़ा जाए। प्राकृतिक खेती के साथ हाइब्रिड बीजों का भी चयन किया जाए। बायोडायवर्सिटी, सीड बैंक, ट्रेडिशनल प्रैक्टिसेस, हब्र्स एंड फूड डेमोंसट्रेशन प्लाट शामिल हो।
नर्सरी रेजिंग में हॉर्टिकल्चर नर्सरी, एक्वा नर्सरी, फ्रूट्स प्लांट नर्सरी भी शामिल हो।
खंड विकास अधिकारी द्वारा बताया गया कि क्षेत्र में एग्रो फॉरेस्ट्री से संबंधित एक समूह पहले से गठित है जो कार्य कर रहा है इसकी एक सक्सेस स्टोरी बनाए जाने का सुझाव दिया गया।
प्रमाणीकरण के अंतर्गत ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन, एफएसएसआई सर्टिफिकेशन शामिल होते हैंl जिसकी तकनीकी उलझन में जाने की वजह स्थानीय स्तर पर एक कमेटी बनाकर मात्रा एफएसएसएआई का प्रमाणीकरण करते हुए स्थानीय स्तर पर उत्पादों को मान्यता प्रदान कर उसकी मार्केटिंग की जाने की आवश्यकता होगी। क्षेत्र में एग्रोफोरेस्ट्री क्रॉपिंग सिस्टम एडॉप्शन, मत्स्य पालन, मशरूम खेती, कुकुट पालन, बटेर पालन, मुर्गी पालन, आर्नामेंटल फिश एल्गी प्रोडक्शन, मेन्योर प्रोडक्शन जैसे कार्य किया जा सकते हैं। नई तकनीकी को आत्मसात करते हुए फ्लोटिंग एग्रीकल्चर एवं ड्रोन के माध्यम से स्प्रे का भी सुझाव दिया गया।
इस अवसर पर मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी यशपाल सिंह, जिला कृषि अधिकारी पीसी विश्वकर्मा, जिला उद्यान अधिकारी समुद्र गुप्त मल्ल, भूमि संरक्षण अधिकारी सीपी सिंह, खंड विकास अधिकारी बघौली श्वेता वर्मा, मुख्य कार्यकारी अधिकारी मत्स्य विजय मिश्र एवं कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डा. संदीप कश्यप, डा. आरवी सिंह, डा. रत्नाकर पांडेय सहित अन्य अधिकारी आदि उपस्थित रहे।