
संत कबीर नगर (राष्ट्र की परम्परा)। सरयू नदी का जलस्तर एक बार फिर तेजी से बढ़ रहा है। खतरे के निशान से अब यह मात्र 35 सेंटीमीटर नीचे है। नदी का पानी हर घंटे औसतन छह मिलीमीटर की दर से ऊपर जा रहा है। पानी की यह रफ्तार देखकर बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में रह रहे लोगों की चिंता और बढ़ गई है। आमतौर पर अगस्त के अंतिम दिनों या सितंबर के शुरुआती सप्ताह में नदी का जलस्तर बढ़ता है, ऐसे में इस समय हो रही तेजी से लोग आशंकित हैं।
जिले में सरयू नदी के किनारे बने 32 किलोमीटर लंबे एमबीडी बांध के आसपास बसे कई गांव सबसे अधिक प्रभावित हैं। रामपुर, पड़रिया, नकहा, तेजपुर, भोतहा, नरायनपुर और छपरा मगर्वी जैसे गांवों में ग्रामीणों की धड़कनें बढ़ गई हैं। लोग दिन-रात बंधे पर डेरा डाले हुए हैं और जलस्तर पर नजर रख रहे हैं। वहीं ढोलबजवा, तुर्कवलियां नायक और बढ़ेपुरवा समेत अन्य गांवों में भी फसलें डूबने की आशंका बनी हुई है।
धान, गन्ना, मक्का, परवल और चरी जैसी प्रमुख फसलें डूबकर खराब होने लगी हैं। ग्रामीणों का कहना है कि इस साल समय से बोआई हुई थी और अच्छी पैदावार की उम्मीद थी, लेकिन बढ़ते पानी ने मेहनत पर पानी फेर दिया है। पशुओं के चारे की समस्या भी विकराल रूप ले रही है। चारा लाने के लिए किसानों को नाव का सहारा लेना पड़ रहा है।
गांवों में जलभराव के कारण सामान्य जनजीवन प्रभावित है। लोग गांव से बाहर आने-जाने के लिए पानी भरे रास्तों से गुजरने को मजबूर हैं। कई परिवार सुरक्षित स्थानों पर चले गए हैं, जबकि जो लोग गांव में हैं वे अधिकतर समय बंधों पर ही बिता रहे हैं। वहां चौपाल जैसी स्थिति बन गई है, जहां लोग एक-दूसरे से अपनी समस्याएं साझा करते हैं।
अवर अभियंता मनोज कुमार सिंह ने बताया कि बंधों की सुरक्षा के लिए पूरी व्यवस्था की गई है। जिन स्थानों पर कटान का अंदेशा है वहां बालू की बोरियां और बोल्डर रखे गए हैं। पेट्रोलिंग दल लगातार निगरानी कर रहे हैं और किसी भी आपात स्थिति से निपटने की तैयारी है।
पानी के चलते मच्छरों की संख्या बढ़ रही है और बीमारियों का खतरा भी मंडरा रहा है। स्वास्थ्य विभाग की टीमें गांवों में दवाएं और जागरूकता सामग्री बांट रही हैं। प्रशासन ने ग्रामीणों से अपील की है कि वे बच्चों और महिलाओं की सुरक्षा का विशेष ध्यान रखें, पीने के पानी को उबालकर इस्तेमाल करें और अपने परिचितों व रिश्तेदारों से लगातार संपर्क बनाए रखें।
किसानों का कहना है कि बाढ़ ने उन्हें हर बार आर्थिक नुकसान पहुंचाया है। धान और गन्ना जैसी मुख्य फसलें डूब जाती हैं, जिससे कर्ज और बढ़ जाता है। वहीं पशुओं को पालना भी कठिन हो जाता है क्योंकि चारा लाना और रखना मुश्किल हो जाता है।
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