रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद पहली नई दिल्ली यात्रा, बदलती वैश्विक राजनीति में भारत की रणनीति पर पड़ेगा असर। अमेरिका की चेतावनी के बीच तेल व्यापार जारी रखने का संकेत।
नई दिल्ली (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)।रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन संभावित रूप से 5-6 दिसंबर को भारत आ सकते हैं, जहां वे 23वें भारत-रूस शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। यह फरवरी 2022 में रूस-यूक्रेन संघर्ष शुरू होने के बाद पुतिन की पहली नई दिल्ली यात्रा होगी।
क्रेमलिन ने पहले ही पुष्टि की थी कि पुतिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मई में भेजे गए निमंत्रण को स्वीकार कर लिया है, हालांकि दोनों देशों ने अभी तक यात्रा की अंतिम तारीख का ऐलान नहीं किया है। पुतिन की यह यात्रा चीन के तियानजिन में एससीओ शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात के बाद सामने आई है।
विश्लेषकों के अनुसार, बदलती वैश्विक राजनीति और बढ़ती चीन-रूस भारत निकटता के बीच यह दौरा काफी अहम माना जा रहा है।
अमेरिका-भारत संबंधों पर प्रभाव
हाल ही में, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस के साथ भारत के व्यापार पर 50 प्रतिशत टैरिफ की घोषणा की। अमेरिकी अधिकारियों का आरोप है कि भारत रूस से कच्चे तेल का आयात करके यूक्रेन युद्ध को अप्रत्यक्ष रूप से वित्तपोषित कर रहा है।
हॉवर्ड लुटनिक, अमेरिकी वाणिज्य सचिव, ने चेतावनी दी कि यदि भारत अमेरिकी बाजार में अपने उत्पाद बेचना चाहता है, तो उसे राष्ट्रपति के निर्णयों के अनुरूप कदम उठाने होंगे।
भारत सरकार ने अमेरिका के इस रुख को पाखंडी और अनुचित बताते हुए कड़ी निंदा की है। अधिकारियों ने कहा कि कच्चे तेल का आयात पूरी तरह बाज़ार की मांग और राष्ट्रीय हितों के अनुसार किया जा रहा है।
भारत-रूस ऊर्जा सहयोग जारी
पश्चिमी दबाव के बावजूद भारत ने रूस से तेल आयात जारी रखने का संकेत दिया है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह कदम भारत की ऊर्जा सुरक्षा रणनीति और रूस के साथ मजबूत द्विपक्षीय संबंधों को दर्शाता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि रूस के साथ व्यापार और रणनीतिक साझेदारी, भारत की वैश्विक भू-राजनीति में संतुलन बनाए रखने की कोशिश का हिस्सा है।
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