नेता जी के जीवनी पर हो रहा शोध
शोध छात्र राधाकांत यादव
का शोध बिषय
मुलायम सिंह यादव के ब्यक्तित्व और कृतित्व
छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर में कर रहे शोध
संबाददाता कुशीनगर
देश के पूर्व रक्षा मंत्री व उत्तर प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री रहे स्व0 मुलायम सिंह यादव का जन्म दिन 22नवम्बर 1939 को सैफई इटावा उत्तर प्रदेश में हुआ इनके माता का नाम मूर्ति देवी और पिता का नाम सुघर सिंह यादव है नेता जी का शैक्षिक योग्यता बीए बीटीसी एवं एल एल बी है आज हम जन्मदिन के अवसर पर ‘नेताजी’ के स्वप्न, संघर्ष और योगदान को याद करना जरूरी है । मुलायम सिंह ग्रामीण किसान परिवेश से निकले हुए ,एक शिक्षक से पिछड़ों दलितो,अल्पसंख्यकों व आम जनमानस के नेता के रूप में मशहूर हुए। उनका लगाव लोक भाषा, लोक साहित्य, लोकगीत से जग जाहिर है, हिंदी भाषा के उत्थान के लिए उन्होंने अपने मुख्यमंत्रित्त्व काल में तमाम प्रयास किया । उन्होंने देश से अग्रेजी हटाने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि वे देश की सभी भाषाओं का आदर करते हैं पर अंग्रेजी भाषा के विरोधी इसलिए है कि इसने हमारी सभ्यता एवं संस्कृति पर आघात किया । उन्होंने सरकारी अधिकारियों को अंग्रेजी में लिखी नाम पट्टिका तक को हटाने के आदेश दिये थे।
नेताजी का हिंदी को बढ़ावा देने का उनका एक और कारण था वह चाहते थे कि गरीब तबके के लोग हिन्दी भाषा को अपने जीवन शैली में उतार सके और उनमें हीन भावना का आभास न हो । सरकारी कामकाज की भाषा ऐसी हो जिसे गांव का सामान्य से सामान्य व्यक्ति भी समझ सके । 31 दिसम्बर 1989 को मुख्यमन्त्री ने राज्य के वयोवृद्ध पत्रकारों को पांच हजार रु. वार्षिक तथा ६० वर्ष की आयु पार कर चुके लेखकों कवियों, शायरों, नर्तकों, संगीतज्ञों, चित्रकारों और मूर्तिकारों को, जो अपने-अपने क्षेत्रों में स्थापित हो चुकने के बाद बेसहारों को 250 रु. मासिक पेंशन दिए जाने की घोषणा की। वर्ष 1994 में जब नेताजी मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने यश भारती पुरस्कार की शुरुआत साहित्य, समाज सेवा, पत्रकारिता, चिकित्सा जैसे कई अन्य क्षेत्रों में योगदान के लिए किया। यह यश भारती सम्मान उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दिए जाने वाला सर्वोच्च सम्मान है।
जब पहली बार नेताजी मुख्यमंत्री बने तो गरीब किसानों के आत्महत्या से बचाने के लिए 10000 रु/- तक की कर्ज माफी का ऐलान किया और सभी जिलाधिकारीयों को निर्देश दिये कि किसी भी किसान को कर्ज वसूली के नाम पर परेशान ना किया जाए। 14 मार्च 1990 को जब नेताजी मुख्यमंत्री थे, तब जनता दरबार के दौरान एक ऐसी घटना जो साबित करती है कि मुलायम सिर्फ नाम के ही मुलायम नहीं थे ,बल्कि उनका हृदय बहुत ही कोमल था। पति से तलाक ले चुकी निलोफर मुख्यमंत्री के सामने रो पड़ती है। क्या हुआ ? पूछने पर पास खड़े एक वृद्ध व्यक्ति बताते हैं कि पति से तलाक हो गया ,अब गुजारा नहीं हो रहा, कोई नौकरी मिल जाए तो अच्छा है । मुख्यमंत्री ‘हाँ’ में जवाब देते है और प्रार्थना पत्र के साथ प्रमाण पत्र मांगते हैं। निजी सचिव मेहरोत्रा को निर्देश देते हैं । ऐसा नहीं था कि नेताजी सिर्फ गरीब और किसान की ही बात को ध्यान देते थे बल्कि वे राज्य कर्मचारियों के प्रति भी उदार रहते थे । उन्होंने पूर्ववर्ती सरकारों के राज्य कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु को 58 वर्ष से 55 वर्ष करने सम्बन्धी प्रस्ताव को नकार दिया और यह भी कहा कि यदि आर्थिक कारणों से किसी सार्वजनिक इकाई को तोड़ा जाता है तो कर्मचारियों को अन्य किसी विभाग में समायोजित किया जायेगा ।
नेताजी ने जो कुछ अहम फैसले लिए और योजनाएं शुरू कीं उनमें कन्या विद्या धन योजना में लड़कियों की उच्च शिक्षा के लिए उन्हें 25 हजार रुपये दिए जाते थे। बेरोजगारी भत्ता जैसी चीजें अहम रही । एक रुपये में पर्चा बनवाकर सरकारी अस्पतालों में इलाज की योजना हो या फिर गांवों में शौचालय के लिए निर्मला गांव योजना हो, साथ ही शहीदों का शव उनके घर तक पहुँचाने की कवायद, पुलिस विभाग में आउट ऑफ टर्न प्रमोशन और जिप्सी से हाइवे पेट्रोलिंग जैसी योजनाओं ने उन्हें स्थापित कर दिया।
मुलायम सिंह यादव गरीबों, पिछड़ों, दलितों, वचितों, शोषितों एवं अल्पसंख्यकों की आवाज को हमेशा सदन में उठाते रहे, उन्होंने गरीबों के आवास के लिए लोकसभा में कहा कि हम गरीब तबके के लोगो के लिए अलग-अलग मकान नहीं बनाएंगे तो इनकी गरीबी कैसे दूर होगी तथा उनके रहने की उचित व्यवस्था नहीं करेंगे तो साक्षरता के नाम पर लाखों करोड़ों रुपए जो खर्च किए जा रहे हैं वे व्यर्थ हो जाएंगे और जब उनकी सरकार बनी तब उन्होंने जाति धर्म से हटकर सभी गरीबों को समाजवादी लोहिया आवास दिया ।
नेताजी ने महिलाओं की समस्या को लोकसभा में उठाया और कहा कि वार्षो की आजादी के बाद आज तक गांव की स्थितियाँ ऐसी है कि महिलाएं सूर्य निकलने से पहले या अस्त होने के बाद ही शौच क्रिया के लिए ही जा सकती हैं, हमें इस पर ध्यान देना होगा अगर पूरे देश को प्रदूषण मुक्त करना है तो सबसे पहले गरीब लोगों के शौचालय का घर-घर व्यवस्था करना होगा और अपने दूसरे मुख्यमंत्रित्त्व काल में मात्र 06 महीने के अंदर 05 से 07 लाख तक शौचालय बनवाए । नेताजी ने वर्ष 2001 में लोकसभा में स्त्री भ्रूण हत्या या पेट में लड़की होने पर गर्भपात कराने को राष्ट्रीय अपराध की संज्ञा दी और इसे रोकने हेतु कठोर कानून बनाने की पैरवी भी की।
डा0 राममनोहर लोहिया के समाजवाद को अपने समय में नेताजी ने आगे बढ़ाया तो अब वर्तमान में उनके सुपुत्र अखिलेश यादव आगे बढ़ा रहे हैं. इस लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने यह साबित कर दिया कि उनकी समाजवादी पार्टी साम्प्रदायिकता का मुकाबला करने वाली देश की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी और उत्तर प्रदेश की पहली बड़ी पार्टी है।
मुलायम सिंह यादव जी का देहांत 82 साल की उम्र में 10 अक्टूबर 2022 को गुरुग्राम, हरियाणा के मेदांता अस्पताल में हुआ। मुलायम सिंह यादव जी को 26 जनवरी 2023 की पूर्व संध्या पर मरणोपरांत पद्म विभूषण से भारत की राट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु द्वारा सम्मानित किया गया।
More Stories
आयुर्वेदिक चिकित्सालय हैंडोवर होने से पहले ही बदहाल, स्थिति में
स्वच्छ भारत योजना के तहत घर-घर बनेगा शौचालय खंड विकास अधिकारी
ट्रक और डबल डेकर बस की जोरदार टक्कर में पांच की मौत