गोरखपुर(राष्ट्र की परम्परा)
आइये आके महफिल जमा दीजिए,
आप भी बेवजह मुस्कुरा दीजिए।
पास उजड़े हुए इस चमन के कभी,
बैठ के खुद ब खुद मशवरा कीजिए।
आंसुओ के समंदर से बाहर लिकल,
साज दिल का कभी गुनगुना दीजिए।
आइना दर्द सुनने को बेताब है,
रूबरू जा के सब कुछ बता दीजिये।
आज अपनों से अपनी लड़ाई में फिर,
हार कर फ़र्ज अपना अदा कीजिए।
टूट जाने का अपने गिला न करें,
फूल बनके गुलिस्तां सजा दीजिए।
लुट गए हैं तो क्या इश्क में हम सभी,
दिल लगाने की फिर से खता कीजिए।
कब मिला है किसी को मुकम्मल जहाँ,
शौक से जिंदगी का मजा लीजिये।
आइये आके महफिल जमा दीजिए,
आप भी बेवजह मुस्कुरा दीजिए।
बरहज/देवरिया (राष्ट्र की परम्परा)। आज़ादी से पहले अंग्रेजी हुकूमत में बने बरहज के न्यू प्राथमिक…
उतरौला /बलरामपुर, (राष्ट्र की परम्परा)। आज़ादी के बाद भी सड़क की सुविधा से वंचित ग्रामीणों…
बलिया(राष्ट्र की परम्परा) उभांव थाना क्षेत्र के ककरासो गांव के पास बुधवार की सुबह करीब…
लखनऊ(राष्ट्र की परम्परा डेस्क) उत्तर प्रदेश में स्मार्ट प्रीपेड बिजली मीटर लगाने के नाम पर…
लखनऊ (राष्ट्र की परम्परा डेस्क) राजधानी में कर चोरी का बड़ा मामला उजागर हुआ है।…
विधायक हाईकोर्ट व आदेश की फोटो भोपाल (राष्ट्र की परम्परा) मध्यप्रदेश की राजनीति और न्यायपालिका…