जब 4 दिसंबर ने रचे इतिहास के सितारे – जिनकी रोशनी आज भी भारत को दिशा दे रही है
4 दिसंबर केवल एक तारीख नहीं, बल्कि भारतीय इतिहास, राजनीति, खेल, विज्ञान और कला के लिए एक स्वर्णिम अध्याय है। इस दिन जन्मे व्यक्तित्वों ने न केवल अपने क्षेत्र में गहरी छाप छोड़ी, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा मार्ग भी प्रशस्त किया। कोई हॉकी के मैदान पर अपना जादू बिखेर रहा था, तो कोई संसद, राष्ट्रपति भवन या शोध प्रयोगशालाओं में देश के भाग्य का मार्ग लिख रहा था। आइए जानते हैं 4 दिसंबर को जन्मे उन महान विभूतियों के बारे में, जिनका योगदान भारतीय इतिहास के पन्नों में अमर हो चुका है।
रानी रामपाल (जन्म: 4 दिसंबर 1994) – भारतीय महिला हॉकी की लौह प्रतिभा
रानी रामपाल का जन्म हरियाणा के करनाल जिले के एक बेहद साधारण परिवार में हुआ। आर्थिक तंगी के बावजूद उन्होंने अपने सपनों को कभी मरने नहीं दिया। बचपन से ही हॉकी में रुचि लेने वाली रानी को शुरुआती प्रशिक्षण शाहाबाद हॉकी अकादमी में मिला। उनकी मेहनत, अनुशासन और जुनून ने उन्हें भारतीय महिला हॉकी टीम का एक चमकता सितारा बना दिया।
उन्होंने कम उम्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व किया और कई महत्वपूर्ण मैचों में निर्णायक भूमिका निभाई। ओलंपिक, कॉमनवेल्थ और एशियाई खेलों जैसे मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए उन्होंने भारतीय महिला हॉकी का कद विश्व स्तर पर ऊँचा किया। रानी को कई राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।
उनकी कहानी उन गरीब और संघर्षशील बच्चों के लिए प्रेरणा है जो सीमित संसाधनों के बावजूद बड़े सपने देखने का साहस रखते हैं।
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सुनीता रानी (जन्म: 4 दिसंबर 1979) – एथलेटिक्स की स्वर्ण धाविका
सुनीता रानी उत्तर प्रदेश के मेरठ ज़िले में जन्मी एक महान एथलीट हैं। उन्होंने 1500 मीटर और 3000 मीटर स्टीपलचेज़ जैसी कठिन स्पर्धाओं में भारत का नाम रोशन किया। बचपन से ही दौड़ने में रुचि रखने वाली सुनीता ने कठिन प्रशिक्षण के बाद एशियाई खेलों और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में देश के लिए पदक जीते।
उनका सबसे बड़ा योगदान यह रहा कि उन्होंने महिलाओं को ट्रैक एंड फील्ड में आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। उन्होंने ग्रामीण पृष्ठभूमि से निकलकर यह साबित किया कि अगर इरादे मजबूत हों, तो सीमाएं खुद-ब-खुद टूट जाती हैं।
सुनीता रानी को अर्जुन पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया, जो भारत के सर्वोच्च खेल सम्मानों में से एक है। उनका जीवन शारीरिक शक्ति के साथ-साथ मानसिक दृढ़ता का प्रतीक है।
ओम बिड़ला (जन्म: 4 दिसंबर 1962) – राजनीति में सरलता और संगठन के प्रतीक
ओम बिड़ला का जन्म राजस्थान के कोटा जिले में हुआ। उन्होंने छात्र जीवन से ही राजनीति में रुचि लेना शुरू कर दिया और लगातार जनसेवा के क्षेत्र में सक्रिय रहे। वे एक कुशल संगठक और प्रभावशाली वक्ता के रूप में जाने जाते हैं।
राजनीति में उनका योगदान स्थानीय विकास से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक व्यापक रहा है। युवाओं को राजनीति से जोड़ने, स्वच्छता अभियान, शिक्षा और सामाजिक विकास जैसे मुद्दों पर उन्होंने अनेक कार्य किए। उनके नेतृत्व में अनेक योजनाओं को गति मिली और जनहित की भावनाओं को प्राथमिकता दी गई।
उनकी छवि एक सरल, अनुशासित और मेहनती जनसेवक के रूप में बनी रही है।
श्रीपति मिश्रा (जन्म: 4 दिसंबर 1923) – स्वतंत्र भारत के सशक्त नेता
श्रीपति मिश्रा का जन्म उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में हुआ था। वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रमुख नेताओं में गिने जाते थे और स्वतंत्रता के बाद देश की राजनीति में उन्होंने अहम भूमिका निभाई।
उन्होंने कई बार सांसद के रूप में क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया और ग्रामीण विकास, शिक्षा व स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। वे अपने क्षेत्र में ईमानदार और जनप्रिय नेता के रूप में पहचाने जाते थे। जनता के बीच उनकी गहरी पकड़ थी और वे जमीनी समस्याओं को संसद तक पहुँचाने का कार्य करते थे।
उनका जीवन त्याग, सादगी और राष्ट्रहित में समर्पण का प्रतीक है।
घंटसाला वेंकटेश्वर राव (जन्म: 4 दिसंबर 1922) – सुरों के सम्राट
घंटसाला वेंकटेश्वर राव का जन्म आंध्र प्रदेश में हुआ था और वे दक्षिण भारतीय सिनेमा के सर्वकालिक महान संगीतकारों में से एक रहे। उन्होंने तमिल और तेलुगू फिल्म उद्योग को अपनी मधुर रचनाओं से नई ऊंचाइयाँ दीं।
उनके गीत आज भी लोगों के दिलों में जिंदा हैं। उन्होंने हजारों फिल्मों में संगीत दिया और उनकी आवाज़ दक्षिण भारत में श्रद्धा के साथ सुनी जाती है। गीत लेखन और शास्त्रीय संगीत पर उनका गहरा प्रभाव था।
वे न केवल संगीतकार बल्कि एक श्रेष्ठ गायक और अभिनेता भी रहे। उनके योगदान ने भारतीय फिल्म संगीत की दिशा ही बदल दी।
इन्द्र कुमार गुजराल (जन्म: 4 दिसंबर 1919) – एक शांत लेकिन मजबूत प्रधानमंत्री
गुजराल साहब का जन्म अविभाजित भारत के पंजाब प्रांत में हुआ था (अब पाकिस्तान)। वे भारत के 12वें प्रधानमंत्री रहे और अपनी “गुजराल सिद्धांत” विदेश नीति के लिए प्रसिद्ध हुए। यह सिद्धांत पड़ोसी देशों के साथ प्रेम, सहयोग और बिना किसी अपेक्षा के संबंध बनाने पर आधारित था।
उन्होंने कूटनीति, पत्रकारिता और राजनीति हर क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाई। वे विदेश मंत्री और राजदूत भी रहे। भारत-पाकिस्तान और अन्य दक्षिण एशियाई देशों से संबंधों को सुधारने की दिशा में उनका योगदान ऐतिहासिक रहा है।
उनका राजनीतिक जीवन शांति, संवाद और संतुलन का प्रतीक था।
रामास्वामी वेंकटरमण (जन्म: 4 दिसंबर 1910) – संविधान का सच्चा रक्षक
रामास्वामी वेंकटरमण का जन्म तमिलनाडु के तंजावुर जिले में हुआ था। वे भारत के आठवें राष्ट्रपति रहे। राष्ट्रपति बनने से पहले उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया और बाद में वित्त मंत्री तथा उपराष्ट्रपति जैसे महत्वपूर्ण पदों पर भी कार्य किया।
उनका प्रशासनिक अनुभव और संविधान के प्रति निष्ठा उन्हें एक कुशल राष्ट्रपति बनाती है। उन्होंने कठिन राजनीतिक परिस्थितियों में भी संवैधानिक मर्यादाओं का पालन किया।
उनका जीवन राष्ट्रभक्ति और कर्तव्यनिष्ठा का श्रेष्ठ उदाहरण है।
मोतीलाल (जन्म: 4 दिसंबर 1910) – सिनेमा का चमकता सितारा
मोतीलाल हिंदी फिल्म जगत के एक प्रमुख अभिनेता रहे, जिनका जन्म उत्तर प्रदेश में हुआ था। वे अपने स्वाभाविक अभिनय और संवाद शैली के लिए प्रसिद्ध थे। 1940-50 के दशक में वे हिंदी सिनेमा के सबसे बड़े सितारों में से एक गिने जाते थे।
उन्होंने सामाजिक फिल्मों में मुख्य भूमिका निभाई और अभिनय को एक नया स्तर दिया। वे दिलीप कुमार जैसे दिग्गजों के भी प्रेरणास्रोत रहे।
उनका योगदान भारतीय सिनेमा के स्वर्ण युग का अभिन्न हिस्सा है।
कार्यरतमानि वेंकट कृष्णन (जन्म: 4 दिसंबर 1898) – भारतीय विज्ञान का गौरव
प्रोफेसर कृष्णन एक प्रसिद्ध भौतिक वैज्ञानिक थे, जिन्होंने प्रकाश और ध्वनि विज्ञान में महत्वपूर्ण शोध किए। उनका जन्म तमिलनाडु में हुआ था और वे सी.वी. रमन के सहयोगी भी रहे।
उन्होंने कई प्रतिष्ठित संस्थानों की स्थापना और मार्गदर्शन किया। विज्ञान के क्षेत्र में भारत की वैज्ञानिक पहचान को मजबूत करने में उनका विशेष योगदान रहा।
उनकी खोजों का उपयोग आज भी वैज्ञानिक अनुसंधान में होता है।
विद्याभूषण विभु (जन्म: 4 दिसंबर 1892) – शब्दों के सशक्त साधक
विद्याभूषण विभु उत्तर भारत के प्रसिद्ध साहित्यकार थे। उन्होंने हिंदी साहित्य में अपनी रचनाओं के माध्यम से सामाजिक चेतना का प्रसार किया। उनका जन्म उत्तर प्रदेश क्षेत्र में हुआ था।
उनकी रचनाएँ मानवीय संवेदनाओं, नैतिक मूल्यों और राष्ट्रप्रेम की भावना से ओतप्रोत हैं। वे कवि, निबंधकार और शिक्षक के रूप में भी प्रसिद्ध थे।
उनका साहित्य भारत की सांस्कृतिक आत्मा को प्रतिबिंबित करता है।
रमेश चंद्र मजूमदार (जन्म: 4 दिसंबर 1888) – इतिहास के अमर रक्षक
डॉ. रमेश चंद्र मजूमदार का जन्म बंगाल प्रांत में हुआ था। वे भारतीय इतिहास के महानतम इतिहासकारों में से एक थे। उन्होंने भारत की प्राचीन, मध्यकालीन और आधुनिक इतिहास पर अनेक ग्रंथ लिखे।
उनकी लेखनी में तथ्यों की गहराई और राष्ट्र के प्रति गर्व स्पष्ट दिखाई देता है। उन्होंने भारतीय इतिहास को पश्चिमी दृष्टिकोण से हटाकर भारतीय नजरिए से प्रस्तुत किया।
उनके ग्रंथ आज भी शोधकर्ताओं के लिए आधार स्तंभ हैं।
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