काबुल/नई दिल्ली (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)दक्षिण एशिया में अब युद्ध केवल सीमाओं या आतंक के मोर्चों पर नहीं, बल्कि पानी की हर बूंद पर लड़ा जा रहा है। जल संकट अब सिर्फ़ एक प्राकृतिक आपदा नहीं रहा, बल्कि राजनीतिक और सामरिक हथियार बन चुका है। भारत द्वारा सिंधु जल संधि को स्थगित करने के बाद, अब तालिबान शासित अफगानिस्तान ने पाकिस्तान के सामने नया संकट खड़ा कर दिया है। तालिबान ने कुनर नदी पर विशाल बाँध के निर्माण का आदेश जारी कर दिया है — जिसका सीधा उद्देश्य है पाकिस्तान की जल आपूर्ति को सीमित करना।
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💧 तालिबान का जल कदम: पाकिस्तान के लिए चेतावनी
तालिबान सरकार का यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच दुरंड लाइन (2,640 किमी) पर तनाव चरम पर है। हाल ही में दोनों देशों के बीच भारी हथियारों और टैंकों से हुई झड़पों ने सुरक्षा हालात को और बिगाड़ दिया। पाकिस्तान द्वारा TTP (तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान) के खिलाफ किए गए हवाई हमलों के जवाब में अब तालिबान ने “पानी” को ही अपना हथियार बना लिया है।
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कुनर नदी पर प्रस्तावित बाँध सीधे तौर पर पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा और उत्तरी इलाकों की जल आपूर्ति को प्रभावित करेगा। इससे कृषि, सिंचाई और पेयजल संकट गहराने की आशंका बढ़ गई है।
⚔️ भारत-तालिबान की जल रणनीति और पाकिस्तान की चिंता
भारत द्वारा हाल ही में सिंधु जल संधि को निलंबित करने के कदम ने पहले ही पाकिस्तान की जल-राजनीति को झकझोर दिया था। अब तालिबान के बाँध निर्माण से पाकिस्तान के लिए यह दोहरा जल संकट बन गया है। विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम क्षेत्रीय शक्ति संतुलन में भारत और अफगानिस्तान की संयुक्त रणनीति की झलक देता है।
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अब पाकिस्तान को न सिर्फ़ सीमाओं की सुरक्षा करनी होगी, बल्कि हर बूंद पानी की भी रखवाली करनी पड़ेगी।
🌊 पानी बना राजनीतिक हथियार
तालिबान का कुनर बाँध यह साबित करता है कि आधुनिक युग में पानी अब केवल जीवन का स्रोत नहीं, बल्कि रणनीतिक ताकत का प्रतीक बन गया है। पाकिस्तान की कृषि अर्थव्यवस्था और आंतरिक स्थिरता के लिए यह बाँध आने वाले दिनों में गंभीर चुनौती साबित हो सकता है।
क्षेत्रीय राजनीति के इस नए अध्याय में तालिबान का संदेश स्पष्ट है —
“अब शक्ति का संतुलन केवल बंदूकों से नहीं, बल्कि नदियों की धाराओं से तय होगा।”
🧭 दक्षिण एशिया की राजनीति में “जल” अब सामरिक मोर्चे का हिस्सा बन चुका है। तालिबान का कुनर बाँध पाकिस्तान को जल और सुरक्षा दोनों स्तरों पर हिला सकता है। आने वाले दिनों में यह ‘वॉटर वॉर’ (Water War) न केवल पाकिस्तान के लिए, बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए नई भू-राजनीतिक चुनौती बन सकता है।
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