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यूपी सिंह पंचतत्व में विलीन शिक्षा जगत में शोक की लहर

प्रो. सिंह का जीवन शिक्षा और समाज के लिए आदर्श-सीएम

गोरखपुर(राष्ट्र क़ी परम्परा)
महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के अध्यक्ष एवं पूर्वांचल विश्वविद्यालय जौनपुर के पूर्व कुलपति प्रो. उदय प्रताप सिंह (प्रो. यूपी सिंह) का शनिवार सुबह 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया। लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे प्रो. सिंह का निधन होते ही शिक्षा जगत, समाज और गोरक्षपीठ परिवार में शोक की लहर दौड़ गई।
रविवार को राजेन्द्र नगर स्थित आवास पर उनके पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए रखा गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आवास पर पहुंचे और श्रद्धा सुमन अर्पित कर प्रो. सिंह को नमन किया। मुख्यमंत्री ने शोक संतप्त परिवार से भेंट कर ढांढस भी बंधाया। इस अवसर पर एडीजी जोन, डीआईजी रेंज, मंडलायुक्त, जिलाधिकारी, एसएसपी, महापौर, विधायक, सांसद, एमएलसी, संपादक, प्रधानाचार्य, पूर्व प्रधानाचार्य सहित बड़ी संख्या में लोग आवास पर पहुंचकर अंतिम दर्शन किए।
आवास पर सुबह से ही जनसमूह उमड़ पड़ा था। श्रद्धालुओं, शुभचिंतकों और विद्यार्थियों की आंखें नम थीं। हर कोई अपने प्रिय गुरु, मार्गदर्शक और समाजसेवी को अंतिम बार निहार लेना चाहता था।
इसके बाद दोपहर में भव्य अंतिम यात्रा निकली। फूलों से सजे वाहन पर प्रो. सिंह का पार्थिव शरीर रखा गया। रास्ते भर लोग श्रद्धा सुमन अर्पित करते रहे। गोरखपुर शहर की गलियां “प्रो. यूपी सिंह अमर रहें” और “प्रो. सिंह को श्रद्धांजलि” जैसे नारों से गूंज उठीं।

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राप्ती नदी के तट स्थित नगर निगम के मुक्ति धाम पर उनका अंतिम संस्कार किया गया। बड़े पुत्र एवं दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. वी.के. सिंह ने उन्हें मुखाग्नि दी। घाट पर उमड़े जनसैलाब में सांसद, विधायक, एमएलसी, शिक्षक, संपादक, शुभचिंतक सहित भारी संख्या में लोग शामिल हुए। लोगों ने गमगीन माहौल में नम आंखों से उन्हें विदाई दी।
भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा व्यवस्था के लिए प्रशासन पूरी तरह सक्रिय रहा। आवास से घाट तक पुलिस बल की तैनाती की गई थी। एसएसपी व अन्य अधिकारियों ने स्वयं मोर्चा संभाला। ट्रैफिक पुलिस ने वैकल्पिक मार्ग बनाकर जुलूस मार्ग पर सुचारू यातायात व्यवस्था सुनिश्चित की। इससे अंतिम यात्रा बिना किसी अव्यवस्था के शांतिपूर्ण और गरिमापूर्ण ढंग से संपन्न हुई।
मूल रूप से गाजीपुर जिले के निवासी प्रो. यूपी सिंह का जन्म 1 सितंबर 1933 को हुआ था। गणित विषय के विद्वान रहे प्रो. सिंह को गोरक्षपीठ के लगातार तीन पीठाधीश्वरों—महंत दिग्विजयनाथ, महंत अवेद्यनाथ और वर्तमान गोरक्षपीठाधीश्वर एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ—के सानिध्य में कार्य करने का सौभाग्य मिला।
गोरखपुर विश्वविद्यालय की स्थापना के समय महंत दिग्विजयनाथ द्वारा दान में दिए गए महाराणा प्रताप महाविद्यालय में उनकी पहली नियुक्ति हुई। बाद में वे विश्वविद्यालय में गणित विभाग के आचार्य एवं अध्यक्ष बने। शैक्षिक जीवन में वे पूर्वांचल विश्वविद्यालय जौनपुर के कुलपति भी रहे।
वर्ष 2018 में वे महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के अध्यक्ष नियुक्त हुए और जीवन की अंतिम सांस तक इस पद पर बने रहे। 2021 में परिषद द्वारा स्थापित महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय में उन्हें प्रति कुलाधिपति की जिम्मेदारी भी सौंपी गई।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत संघचालक और विद्या भारती में भी उन्होंने महत्वपूर्ण दायित्व निभाए।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रो. यूपी सिंह ने शिक्षा के क्षेत्र में नए मानदंड स्थापित किए। उनका जीवन विद्यार्थियों, शिक्षकों और समाज के लिए प्रेरणास्रोत है। उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा।

rkpnews@desk

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