गोरखपुर (राष्ट्र की परम्परा)गर्मी अपने पूरे शबाब पर है दिन ब दिन गर्मी अपने चरम पर होती जा रही है आम जनमानस को पानी के लिए तरसना पड़ रहा है । शासन की अनेक योजनाएं बनाई गई नल जल योजना के तहत हर घर नल लगाने की प्रक्रिया जोरों पर चल रही की हर आम जनता को शुद्ध पेयजल उपलब्ध हो सके लेकिन पुराने कलेक्ट्रेट परिसर में एक भी प्याऊ नहीं लगाया गया जो प्याऊ लगाया गया है ऊंट के दांत के तरह दिखाई दे रहा है एनआईसी भवन के सामने इंडिया मार्का हैंड पाइप एक लगाया गया है जिसके सामने गंदगी का अंबार लगा हुआ है उसके बाद भी प्यासे को पानी चाहिए प्यासे व्यक्ति आकर पानी पी रहे दूसरा ई डिस्ट्रिक्ट के सामने वर्षों पहले प्याऊ लगाया गया था लेकिन रखरखाव ना होने के केवल शो पीस बन कर पड़ा हुआ है इसी तरह सहायक अभिलेख अधिकारी के बगल में प्याऊ लगाया गया है वह जज्जर की स्थिति में ऊंट की दांत की तरह दिखाई दे रहा नए कलेक्टेड में एस्प्रा के द्वारा प्यायु लगाया गया है वह सही हालत के चल रहा है पुराने कलेक्टेड में तो आने वाले हर फरियादी को पानी के लिए त्राहिमाम त्राहिमाम करना पड़ रहा है किसी भी जनप्रतिनिधि या समाजसेवी का ध्यान इधर नहीं जा रहा जैसे समाजसेवियों द्वारा चौराहे चौराहे पर सीसी कैमरा लगवा कर शहर को अपराध मुक्त कर दिया गया है उसी तरह समाजसेवियों द्वारा प्याऊ लगवा कर प्यासे को पानी उपलब्ध कराया जाता तो उसे सीसी कैमरे से ज्यादा इस तपती गर्मी में आम जनता पुण्य प्रदान करने का कार्य करती पुराने कलेक्ट्रेट में जो प्याऊ लगाया गया अगर उसका रखरखाव देखभाल सही तरीके से किया गया होता तो आज खराब प्याऊ नहीं पड़ा रहता फरियादी पुराने कलेक्टेड में ही आते हैं नए कलेक्टेड में तो सिर्फ अधिकारियों से मिलने वाले ही पहुंचते हैं पुराने कलेक्ट्रेट की सुधि जनप्रतिनिधियों अधिकारियों व श्रमजीवी संगठनों को लेना चाहिए जिससे इस तपिश से बचने के लिए प्याऊ लगाया जा सके और प्यासे को प शुद्ध पानी उपलब्ध हो सके।
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