सीबीआई चार्जशीट में अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क का बड़ा पर्दाफाश
नई दिल्ली (राष्ट्र की परम्परा)। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने एक बड़े अंतरराष्ट्रीय साइबर धोखाधड़ी रैकेट का पर्दाफाश करते हुए 17 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है। इनमें चार चीनी नागरिक भी शामिल हैं। इसके साथ ही 58 कंपनियों को भी आरोपी बनाया गया है, जो कथित तौर पर शेल (मुखौटा) कंपनियों के जरिए एक हजार करोड़ रुपये से अधिक की ऑनलाइन ठगी में शामिल थीं।
सीबीआई के अनुसार, यह संगठित साइबर ठगी नेटवर्क 2020 में कोरोना महामारी के दौरान सक्रिय हुआ। आरोप है कि इस गिरोह ने 111 फर्जी कंपनियां बनाकर म्यूल खातों के जरिये करीब 1,000 करोड़ रुपये का लेन-देन किया। जांच में सामने आया कि एक ही बैंक खाते में कम समय में 152 करोड़ रुपये तक की रकम जमा हुई।
कैसे होती थी ठगी
जांच एजेंसी ने बताया कि यह नेटवर्क ऑनलाइन निवेश योजनाओं, फर्जी लोन ऑफर, पोंजी स्कीम, मल्टी-लेवल मार्केटिंग, नकली पार्ट-टाइम जॉब और ऑनलाइन गेमिंग के जरिए लोगों को ठगता था। इसके लिए गूगल विज्ञापन, बल्क एसएमएस, सिम-बॉक्स, क्लाउड सिस्टम, फिनटेक प्लेटफॉर्म और यूपीआई/पेमेंट गेटवे का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया गया।
111 शेल कंपनियों का जाल
सीबीआई के मुताबिक, शेल कंपनियां फर्जी निदेशकों, झूठे पते, नकली दस्तावेज और गलत कारोबारी उद्देश्यों के आधार पर बनाई गई थीं। इन कंपनियों के नाम पर बैंक खाते और पेमेंट गेटवे अकाउंट खोलकर अपराध से अर्जित धन को अलग-अलग खातों में घुमाया गया, ताकि असली स्रोत छिपाया जा सके।
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चीनी हैंडलर्स का रोल
चार चीनी नागरिक—जोउ यी, हुआन लिउ, वेइजियान लिउ और गुआनहुआ—इस नेटवर्क को निर्देशित कर रहे थे। उनके भारतीय सहयोगियों ने अवैध रूप से लोगों के पहचान दस्तावेज जुटाकर शेल कंपनियों और म्यूल खातों का नेटवर्क तैयार किया। जांच में यह भी सामने आया कि विदेशी नागरिक अब भी इस रैकेट को नियंत्रित कर रहे हैं। दो भारतीय आरोपियों की यूपीआई आईडी अगस्त 2025 तक विदेशी लोकेशन से सक्रिय पाई गईं।
आई4सी की सूचना से खुला मामला
यह जांच भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) से मिली सूचनाओं के आधार पर शुरू हुई थी। शुरुआत में अलग-अलग शिकायतें लग रही थीं, लेकिन फंड-फ्लो पैटर्न, पेमेंट गेटवे और डिजिटल फुटप्रिंट के विश्लेषण से एक संगठित साजिश का खुलासा हुआ।
अक्तूबर में तीन आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद सीबीआई ने कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश, झारखंड और हरियाणा में 27 स्थानों पर छापेमारी कर डिजिटल और वित्तीय सबूत जब्त किए, जिनकी फोरेंसिक जांच की गई। सीबीआई ने कहा कि जांच जारी है और आने वाले दिनों में और भी बड़े खुलासे हो सकते हैं।
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