डॉ. सतीश पाण्डेय
महराजगंज(राष्ट्र की परम्परा)। मानव जीवन एक निरंतर गतिमान यात्रा है, जिसमें हर पड़ाव अपने साथ नई चुनौतियां, नए अनुभव और नई सीखें लेकर आता है। किसी भी व्यक्ति का जीवन सिर्फ सुखों से नहीं बनता, बल्कि असल रूप से वह संघर्षों से ही संवरता और मजबूत होता है। संघर्ष जीवन का वह अध्याय है जो मनुष्य को भीतर से तराशता है, उसे परिस्थितियों के प्रति संवेदनशील बनाता है और उसकी क्षमता को उजागर करता है। यही संघर्ष आगे चलकर प्रयत्न, धैर्य और सफलता की नींव बनते हैं।
जीवन के शुरुआती चरणों से ही इंसान संघर्षों का सामना करता है—चाहे वह शिक्षा पाने का संघर्ष हो, समाज में अपनी जगह बनाने का प्रयास हो या परिवार और जिम्मेदारियों के बीच संतुलन साधने की चुनौती। हर दिन की छोटी–छोटी कठिनाइयां व्यक्ति की मानसिक और भावनात्मक शक्ति को तपाती हैं। जो लोग इन विपरीत परिस्थितियों से नहीं घबराते, बल्कि उन्हें अवसर बनाकर देखते हैं, वही जीवन में बड़ा मुकाम हासिल करते हैं।
संघर्षों का अर्थ सिर्फ दुःख या पीड़ा से नहीं है। ये चुनौतियां व्यक्ति की समझ को गहरा बनाती हैं और उसके व्यक्तित्व को मजबूत करती हैं। आसान परिस्थितियों में कोई भी आगे बढ़ सकता है, लेकिन जब हालात कठिन हों, संसाधन कम हों और रास्ते अनिश्चित हों—तभी असली चरित्र की पहचान होती है। संघर्ष व्यक्ति को बेहतर बनने, सोचने और समाज को समझने की दृष्टि देता है। यही कारण है कि संघर्ष से गुजरने वाले लोग अधिक संवेदनशील, अधिक विनम्र और अधिक परिपक्व होते हैं।
समाज के बड़े–बड़े बदलाव भी संघर्षों की ही देन हैं। इतिहास गवाही देता है कि आम आदमी से लेकर महान नेताओं तक—किसी ने भी बिना चुनौतियों का सामना किए सफलता या पहचान नहीं पाई। खेत में मेहनत करता किसान, अपने परिवार के लिए रोज कमाने वाला मजदूर, नई राह बनाता युवा, या सीमाओं पर डटा सैनिक—हर कोई अपने-अपने मोर्चे पर संघर्ष के जरिए आगे बढ़ता है और इसी प्रक्रिया में समाज की प्रगति का रास्ता भी बनता है।
आज का आधुनिक जीवन भी संघर्षों से मुक्त नहीं है। डिजिटल दौर में जहां सुविधाएं बढ़ी हैं, वहीं प्रतिस्पर्धा भी कई गुना अधिक हो चुकी है। युवाओं के सामने करियर की चुनौतियां हैं, किसानों के सामने बाजार की अनिश्चितताएं, और आम परिवारों के सामने आर्थिक दबाव। ऐसे समय में संघर्ष और अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है—क्योंकि वही व्यक्ति को दृढ़ता देता है और उसे हार मानने से रोकता है। वास्तव में, संघर्ष जीवन के उन पड़ावों में से है जिनसे गुजरकर इंसान अपना श्रेष्ठ रूप पाता है। जिस तरह सोना आग में तपकर चमकता है, उसी तरह मनुष्य संघर्षों से गुजरकर अपनी क्षमताओं को पहचानता है और नई ऊंचाइयों तक पहुंचता है। इसलिए संघर्षों को जीवन का बोझ नहीं, बल्कि स्वयं को निखारने का अवसर मानना चाहिए।
मानव जीवन का हर पड़ाव संघर्षों से ही संवरता है—ये संघर्ष ही जीवन की दिशा तय करते हैं, चरित्र गढ़ते हैं और मंजिलों को उजाला देते हैं। यही जीवन की सच्चाई है और यही इसकी खूबसूरती भी।
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