19 नवंबर के जन्मे महान व्यक्तित्व
19 नवंबर भारतीय इतिहास, राजनीति, साहित्य, कला और समाज सुधार की दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण दिन है। इस दिन जन्मे अनेक महान व्यक्तित्वों ने न केवल अपने युग को नई दिशा दी बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा के अमिट स्रोत बने। चाहे स्वतंत्रता संग्राम की ज्वाला हो, राजनैतिक नेतृत्व का धैर्य, कला-संस्कृति की समृद्धि, साहित्य का गौरव या समाज सुधार की चेतना — 19 नवंबर का दिन इन सभी का उजाला अपने भीतर समेटे हुए है।
● 1835 – रानी लक्ष्मीबाई: स्वतंत्रता का अमर प्रतीक
19 नवंबर 1835 को जन्मी झांसी की रानी लक्ष्मीबाई भारत के स्वतंत्रता आंदोलन की जीवित ज्वाला थीं। 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत के विरुद्ध जिस साहस, रणनीति और राष्ट्रभक्ति का परिचय दिया, वह इतिहास में स्वर्णाक्षरों में दर्ज है। “मैं अपनी झांसी नहीं दूंगी” जैसा अटल संकल्प राष्ट्रीय चरित्र का आधार बना। रानी लक्ष्मीबाई ने मातृत्व, शौर्य, त्याग और नेतृत्व—सभी को एक स्वरूप में ढालकर भारत की महिलाओं के लिए अदम्य प्रेरणा का स्त्रोत स्थापित किया। आज भी उनका जीवन संघर्ष हर भारतीय के हृदय में देशभक्ति की ज्योति प्रज्वलित करता है।
ये भी पढ़ें – हक की बात जिलाधिकारी के साथ: कार्यक्रम में बालिकाओं ने बेझिझक रखी अपनी बातें
● 1838 – केशव चन्द्र सेन: समाज जागरण के प्रबल पुरोधा
19 नवंबर 1838 को जन्मे केशव चन्द्र सेन बंगाल नवजागरण के प्रमुख नेताओं में से एक थे। वे ब्रह्म समाज के संस्थापकों में गिने जाते हैं और उन्होंने सामाजिक कुरीतियों, बाल विवाह, छुआछूत तथा धार्मिक अंधविश्वासों के विरुद्ध प्रभावी अभियान चलाया। स्त्री-शिक्षा, वैवाहिक सुधार और आधुनिक चिंतन को प्रोत्साहित करने में उनका योगदान अतुलनीय माना जाता है। उन्होंने आध्यात्मिकता और विज्ञान दोनों को एक साथ जोड़ने का प्रयास किया। अपने विचारों और कार्यों के माध्यम से केशव चन्द्र सेन ने भारतीय समाज में आधुनिक चेतना और नैतिकता का नया अध्याय जोड़ा।
● 1875 – रामकृष्ण देवदत्त भांडारकर: भारत के महान पुरातत्त्वविद
राष्ट्र का इतिहास संरक्षित करने वाले विद्वानों में रामकृष्ण देवदत्त भांडारकर का नाम अत्यंत सम्मान से लिया जाता है। उनका जन्म 19 नवंबर 1875 को हुआ। वे भारतीय पुरातत्त्व, प्राचीन शिलालेखों और संस्कृत साहित्य के गहन अध्येता थे। भांडारकर ने भारत की प्राचीन संस्कृति, वैदिक परंपरा और ऐतिहासिक ग्रंथों को वैज्ञानिक दृष्टि से समझने और समझाने का विशाल कार्य किया। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) में उन्होंने महत्वपूर्ण शोध कार्य किए, जिनका उपयोग आज भी देश के सांस्कृतिक इतिहास के पुनर्निर्माण में किया जाता है। उनका योगदान भारत को अपने अतीत से जोड़ने वाली मजबूत कड़ी है।
ये भी पढ़ें – वरिष्ठ नागरिक समिति देवरिया बैठक में उठा समस्याओं के समाधान का मुद्दा, प्रशासन ने दिए आवश्यक निर्देश
● 1917 – इन्दिरा गांधी: भारत की लौह-इच्छाशक्ति वाली नेता
19 नवंबर 1917 को जन्मी इन्दिरा गांधी स्वतंत्र भारत की पहली और अब तक की एकमात्र महिला प्रधानमंत्री थीं। वैश्विक राजनीति में उनका व्यक्तित्व दृढ़ इच्छाशक्ति और निर्णायक नेतृत्व का प्रतीक माना जाता है। बांग्लादेश मुक्ति संग्राम, हरित क्रांति, अंतरिक्ष कार्यक्रम और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की मजबूत उपस्थिति—ये सभी उनके नेतृत्व की पहचान बने। ‘गरीबी हटाओ’ जैसे ऐतिहासिक नारे ने भारतीय राजनीति में आमजन की आवाज को केंद्र में रखा। आलोचनाओं और चुनौतियों के बीच भी इन्दिरा गांधी का साहसिक निर्णय उन्हें विश्व की सबसे प्रभावशाली महिला नेताओं में शामिल करता है।
● 1918 – देवीप्रसाद चट्टोपाध्याय: इतिहास व दर्शन के अद्वितीय विद्वान
19 नवंबर 1918 को जन्मे देवीप्रसाद चट्टोपाध्याय भारतीय इतिहास, दर्शन और विज्ञान के अध्ययन में विशेष स्थान रखते हैं। उन्होंने प्राचीन भारतीय ज्ञान, वैदिक विज्ञान, दर्शन और भारतीय तार्किक परंपरा पर गहन शोध किया। उनका कार्य भारतीय बौद्धिक इतिहास को पुनर्परिभाषित करने का प्रयास माना जाता है। उन्होंने यह प्रमाणित किया कि भारत का प्राचीन ज्ञान केवल अध्यात्म तक सीमित नहीं था, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण और तर्कवाद भी उसकी जड़ में मौजूद था। उनके शोध ग्रंथ आज भी विश्वभर के इतिहासकारों के लिए महत्वपूर्ण संदर्भ सामग्री हैं।
● 1923 – सलिल चौधरी: संगीत की आत्मा को स्पर्श करने वाले स्वर–शिल्पी
19 नवंबर 1923 को जन्मे सलिल चौधरी भारतीय संगीत जगत के उन महान संगीतकारों में से थे जिन्होंने लोकधुनों, पश्चिमी संगीत और भारतीय भावनाओं को एक साथ जोड़कर अनोखी धुनें रचीं। ‘आवास’, ‘मधुमती’, ‘आनंद’, ‘काबुलीवाला’ जैसी फिल्मों में उनका संगीत आज भी मन को छू लेता है। वे एक उत्कृष्ट गीतकार, संगीतकार और लेखक भी थे। उनकी धुनों में मानवीय संवेदनाएं, प्रकृति की सुंदरता और सामाजिक चेतना जीवंत रूप में दिखाई देती थीं। भारतीय फिल्म संगीत में सलिल दा का योगदान अतुलनीय है।
● 1924 – विवेकी राय: भोजपुरी–हिंदी साहित्य के शिखरपुरुष
19 नवंबर 1924 को जन्मे विवेकी राय हिंदी और भोजपुरी साहित्य के सबसे सम्मानित नामों में से एक हैं। उनकी रचनाओं में ग्रामीण जीवन की संवेदना, आमजन की पीड़ा, संस्कृति और सामाजिक यथार्थ की सशक्त अभिव्यक्ति मौजूद है। ‘लोकरंग’, ‘कुहु–कुहु बोले कोयलिया’, ‘विवेकी राय की कहानियाँ’ जैसी कृतियों ने साहित्य जगत में नई पहचान बनाई। उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार सहित कई सम्मान प्राप्त हुए। उनकी लेखनी ने भोजपुरी भाषा की प्रतिष्ठा को राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
● 1928 – दारा सिंह: भारतीय पहलवानी और अभिनय का सूर्य
19 नवंबर 1928 को जन्मे दारा सिंह विश्वविख्यात पहलवान और बाद में प्रसिद्ध अभिनेता बने। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की कुश्ती को नई पहचान दिलाई। ‘रुस्तम-ए-हिंद’ और ‘रुस्तम-ए-जहां’ जैसे खिताब उनके अपराजेय दमखम की मिसाल बने। अभिनय में भी वे ‘रामायण’ में हनुमान की भूमिका के लिए अमर हो गए। उनका व्यक्तित्व शक्ति, विनम्रता, भक्ति और भारतीय संस्कृति का अद्भुत मिश्रण था। दारा सिंह भारतीय युवाओं के लिए प्रेरणा का आधार बने हुए हैं।
● 1951 – ज़ीनत अमान: भारतीय सिनेमा की ग्लैमरस क्रांति
19 नवंबर 1951 को जन्मी ज़ीनत अमान ने भारतीय हिंदी सिनेमा में आधुनिकता, आत्मविश्वास और ग्लैमरस स्क्रीन–प्रेज़ेंस की नई परंपरा शुरू की। ‘हरे रामा हरे कृष्णा’, ‘सत्यम शिवम सुंदरम्’, ‘डॉन’, ‘कुर्बानी’ में उनके अभिनय ने उन्हें हिन्दी फिल्मों की सुपरस्टार बना दिया। वे अपने दौर की सबसे साहसी, स्वतंत्र–स्वभाव की और प्रभावशाली अभिनेत्री थीं, जिन्होंने महिलाओं को स्क्रीन पर नए रूप में पेश किया।
● 1961 – विवेक (अभिनेता): हास्य और मानवता का संगम
19 नवंबर 1961 को जन्मे तमिल सिनेमा के मशहूर अभिनेता विवेक न केवल हास्य कलाकार थे बल्कि सामाजिक मुद्दों को अपने हास्य के माध्यम से प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करने के लिए प्रसिद्ध थे। पर्यावरण संरक्षण, वृक्षारोपण और सामाजिक जागरूकता हेतु उनका योगदान अत्यंत सराहनीय था। उनकी अभिनय शैली मनोरंजन और संदेश दोनों को साथ लेकर चलती थी।
● 1971 – किरण रिजिजू: ऊर्जावान और प्रभावी भारतीय नेता
19 नवंबर 1971 को जन्मे किरण रिजिजू भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख नेताओं में शामिल हैं। अरुणाचल प्रदेश से आने वाले रिजिजू ने खेल मंत्रालय, कानून मंत्रालय और गृह मंत्रालय जैसे महत्वपूर्ण विभागों में अपनी कार्यकुशलता का परिचय दिया। वे युवाओं, खेल, उत्तर–पूर्व विकास और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर सक्रिय भूमिका निभाने के लिए जाने जाते हैं।
● 1975 – सुष्मिता सेन: भारत की पहली मिस यूनिवर्स और प्रेरणा–स्त्रोत
19 नवंबर 1975 को जन्मी सुष्मिता सेन ने 1994 में मिस यूनिवर्स का ताज जीतकर भारत का नाम विश्वभर में रोशन किया। उन्होंने सौंदर्य प्रतियोगिताओं में भारतीय महिलाओं की नई छवि दुनिया के सामने रखी—आत्मविश्वास, बुद्धिमत्ता और सौम्यता की छवि। फिल्मों में भी उन्होंने विविध भूमिकाएँ निभाईं। उनकी जीवन–शैली, गोद लिए गए बच्चों की परवरिश, और आत्मनिर्भरता का संदेश उन्हें आधुनिक भारत की प्रेरणा–महिला बनाता है।
सोहगीबरवां वन्यजीव प्रभाग महराजगंज में ट्रांसफर नीति की खुलेआम अनदेखी महराजगंज(राष्ट्र की परम्परा)। सोहगीबरवां वन्यजीव…
महराजगंज(राष्ट्र की परम्परा)। पराली संकट इस बार किसानों के लिए पहले से कहीं ज्यादा चुनौती…
हर घर जल योजना में लापरवाही: खोदी सड़क के मरम्मत न होने से लोग परेशान…
लेखक – चंद्रकांत सी पूजारी, गुजरा बिहार विधानसभा चुनाव–2025 के नतीजों ने जहाँ एनडीए को…
गोंदिया-वैश्विक स्तरपर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस के बीच दिनांक…
भारत का इतिहास केवल वीरगाथाओं, उपलब्धियों और महत्त्वपूर्ण घटनाओं से ही नहीं बनता, बल्कि उन…