आज़ादी से पहले बना अस्पताल अब खंडहर में तब्दील! न्यू पीएचसी की दशा पर रो रहे मरीज

बरहज/देवरिया (राष्ट्र की परम्परा)। आज़ादी से पहले अंग्रेजी हुकूमत में बने बरहज के न्यू प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) की तस्वीर आज किसी खंडहर से कम नहीं दिखती। कभी यह स्वास्थ्य केंद्र स्वच्छता और सुविधाओं का प्रतीक माना जाता था, लेकिन आज जर्जर भवन, टूटी छत, झाड़-झंखाड़ से भरा मैदान और मूलभूत सुविधाओं के अभाव ने इसकी साख पूरी तरह दांव पर लगा दी है।

जंगल में तब्दील अस्पताल परिसर

भवन की दीवारें और छत पूरी तरह जर्जर हो चुकी हैं। बरसात के दिनों में फार्मासिस्ट और स्वास्थ्यकर्मी दवाइयों व रजिस्टरों को बचाने के लिए यहां-वहां भागने को मजबूर हो जाते हैं। अस्पताल का मैदान पूरी तरह जंगल में बदल चुका है। झाड़ियों के बीच हर समय सांप-बिच्छुओं का खतरा मंडराता रहता है।

पानी और शौचालय तक की व्यवस्था नहीं

स्वास्थ्यकर्मियों ने बताया कि यहां मरीजों और डॉक्टरों के लिए न तो बैठने की ठीक व्यवस्था है, न ही पीने के पानी की। मजबूरी में हर किसी को पानी की बोतल अपने साथ लानी पड़ती है। महिला मरीजों और कर्मचारियों को शौचालय न होने के कारण भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है।

स्वास्थ्य कर्मियों के भरोसे ही चलता अस्पताल

अस्पताल फिलहाल फार्मासिस्ट हेमंत शुक्ला, एलटी रामचंद्र भगत, आदित्य प्रसाद, चंद्रदेव प्रसाद और एएनएम ममता यादव के भरोसे किसी तरह चल रहा है। फार्मासिस्ट हेमंत शुक्ला ने बताया कि भवन की हालत ऐसी है कि कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है।

जिम्मेदार मौन, मरीज बेहाल

प्रभारी चिकित्सा अधिकारी महेंद्रनाथ और डॉक्टर मूलचंद का कहना है कि यह अस्पताल अंग्रेजी हुकूमत के समय का बना हुआ है। इसके कायाकल्प के लिए विभाग को कई बार पत्र भेजा गया, लेकिन अब तक कोई स्वीकृति या धन उपलब्ध नहीं कराया गया। एक बार मरम्मत के लिए धन आया भी था, लेकिन नगर के एक व्यक्ति ने निर्माण कार्य पर रोक लगा दी।

गेट पर दुकानदार, मरीजों की पहुंच में बाधा

अस्पताल के मुख्य द्वार पर दिनभर दुकानदारों की दुकानें सजी रहती हैं, जिससे मरीजों का आना-जाना भी प्रभावित होता है।

Editor CP pandey

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