तेजस्वी यादव का बड़ा ऐलान: बिहार में जाति-धर्म नहीं, विकास की राजनीति होगी एजेंडा

पटना (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)। बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय जनता दल (RJD) नेता तेजस्वी यादव ने राज्य की राजनीति में नई दिशा देने का आह्वान किया है। विपक्ष के नेता ने शुक्रवार को साफ कहा कि आने वाले समय में उनकी राजनीति का आधार केवल विकास, सुधार और रोजगार होगा, न कि जाति और धर्म।

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जाति-धर्म की राजनीति से दूर रहने का संकल्प

तेजस्वी यादव ने खगड़िया जिले में आयोजित एक बड़ी रैली को संबोधित करते हुए कहा—“मैं नई राजनीति करने आया हूँ, जहाँ जाति और धर्म की बात न हो। बिहार को आगे बढ़ाने के लिए हमें उद्योग, शिक्षा, स्वास्थ्य और युवाओं के रोजगार पर ध्यान देना होगा।”उन्होंने यह भी जोड़ा कि यह लड़ाई युवाओं और किसानों के भविष्य की लड़ाई है और अब वक्त आ गया है कि बिहार की राजनीति जातिगत समीकरणों से निकलकर प्रगतिशील सोच की ओर बढ़े।

विकास और निवेश पर जोर

तेजस्वी यादव ने कहा कि बिहार में प्रति व्यक्ति आय और निवेश को बढ़ाने के लिए ठोस कदम उठाना बेहद जरूरी है। उन्होंने अपनी हालिया रैलियों की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर साझा करते हुए लिखा कि राजनीति का आधार अब सकारात्मकता, रचनात्मकता और प्रगतिशीलता होना चाहिए।

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चुनावी रणनीति में नया एजेंडा

विश्लेषकों का मानना है कि तेजस्वी यादव का यह बयान बिहार की पारंपरिक जातिगत राजनीति से हटकर एक नई दिशा की ओर इशारा करता है। उनका यह संदेश युवाओं, किसानों और मध्यम वर्ग को आकर्षित करने की रणनीति भी हो सकता है।बिहार की राजनीति में लंबे समय से जाति आधारित समीकरण अहम भूमिका निभाते आए हैं। लेकिन विधानसभा चुनाव से ठीक पहले तेजस्वी यादव का यह विकास-केन्द्रित एजेंडा राज्य के राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित कर सकता है।

निष्कर्ष

तेजस्वी यादव का यह ऐलान साफ करता है कि वह बिहार में नई राजनीति की छवि बनाने की कोशिश कर रहे हैं। अब देखने वाली बात होगी कि मतदाता इस नए एजेंडे को कितना स्वीकार करते हैं और क्या यह रणनीति उन्हें चुनाव में बढ़त दिला पाएगी।

Karan Pandey

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