गोरखपुर(राष्ट्र की परम्परा)।
दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिन्दी एवं आधुनिक भारतीय भाषा तथा पत्रकारिता विभाग द्वारा आयोजित साप्ताहिक संवाद कार्यक्रम के अंतर्गत इस सप्ताह “मुख्यधारा की मीडिया और सोशल मीडिया का अन्तरसम्बन्ध” विषय पर विचार-विमर्श सत्र आयोजित किया गया। कार्यक्रम में विद्यार्थियों और शिक्षकों ने दोनों माध्यमों की बदलती भूमिका, विश्वसनीयता, चुनौतियों और उनके परस्पर प्रभाव पर विस्तार से चर्चा की।
कार्यक्रम की शुरुआत वरिष्ठ पत्रकारिता पाठ्यक्रम के शिक्षक डॉ. रजनीश कुमार चतुर्वेदी के उद्घाटन वक्तव्य से हुई। उन्होंने पारंपरिक मीडिया और सोशल मीडिया के स्वरूप, उनकी विश्वसनीयता, नियंत्रण व्यवस्था तथा डिजिटल दौर में सूचना प्रसार की चुनौतियों पर विचार साझा किए।
उद्घाटन के बाद विद्यार्थियों ने विभिन्न पहलुओं पर अपने विचार रखे। मयंकनाथ त्रिपाठी ने मुख्यधारा मीडिया की नियंत्रित संरचना और सोशल मीडिया की तेज व मुक्त प्रकृति का अंतर स्पष्ट करते हुए कहा कि पारंपरिक मीडिया में फेक न्यूज़ की संभावना कम रहती है, जबकि सोशल मीडिया पर इसकी गति अधिक होती है, हालांकि त्वरित सूचना उसकी प्रमुख विशेषता है।
मानसी मिश्रा ने कहा कि आज दोनों माध्यम फेक न्यूज़ की समस्या से जूझ रहे हैं और सोशल मीडिया छोटी-छोटी सूचनाओं को भी प्रमुखता से सामने लाता है।
आतिश कुमार ने विश्वसनीयता को मुख्य चुनौती बताते हुए कहा कि मुख्यधारा मीडिया अपनी क्रेडिबिलिटी बनाए रखने में अपेक्षाकृत सफल रही है, जबकि सोशल मीडिया में स्थिरता और जिम्मेदारी की कमी दिखाई देती है।
पूर्णिमा त्रिपाठी ने कहा कि कई परिस्थितियों में सच्ची खबरें पहले सोशल मीडिया पर सामने आती हैं, जिससे दोनों माध्यम एक-दूसरे के सहयोगी की तरह कार्य करते हैं।
सोनी राय ने एजेंसी-आधारित मुख्यधारा मीडिया और स्वतंत्र सोशल मीडिया की प्रकृति के अंतर को रेखांकित किया।
नेहा यादव का कहना था कि मुख्यधारा मीडिया अब सोशल मीडिया को एक महत्वपूर्ण सूचना-स्रोत के रूप में स्वीकार करने लगी है।
योगेश्वर दुबे ने कहा कि सोशल मीडिया स्थानीय और छोटे मुद्दों को उजागर कर मुख्यधारा को उनकी ओर ध्यान देने के लिए प्रेरित करता है।
इसके बाद हुए प्रश्नोत्तर सत्र में मीडिया की विश्वसनीयता, तथ्य-जाँच, डिजिटल साक्षरता और मीडिया उत्तरदायित्व जैसे विषयों पर प्रश्न उठे। पत्रकारिता पाठ्यक्रम के समन्वयक प्रो. राजेश मल्ल और डॉ. अन्वेषण सिंह ने विद्यार्थियों के प्रश्नों का उत्तर देते हुए स्रोत-जाँच और जिम्मेदार डिजिटल व्यवहार पर बल दिया।
कार्यक्रम का समापन डॉ. अन्वेषण सिंह के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के संवाद कार्यक्रम विद्यार्थियों में मीडिया साक्षरता, आलोचनात्मक सोच और सामाजिक जागरूकता को सशक्त करते हैं। इस अवसर पर विभाग के शिक्षक डॉ. नरगिस बानो और अभय शुक्ल भी उपस्थित रहे।
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